Tuesday, December 20, 2022

फलसफे इश्क़ - मोहब्बत के


मुमकिन ही नहीं कि किनारा भी करेगा
आशिक़ है तो फिर इश्क़ दोबारा भी करेगा

- हिलाल फ़रीद

इश्क़ दोबारा करो, तीबारा करो या करो बारंबार
बिक जायेंगे घर-बार जब तक "करोगे"= "व्यापार"
जिस दिन एक हुए उस एक से दूजा दिखाई न देगा
मोहब्बत को इश्क़ होने में लगते हैं दिन बस चार

- दीवाना वारसी

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें 
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें 

ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती 
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों* में मिलें 
*Wastelands

ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो 
नश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें 

तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा 
दोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों* में मिलें 
*Veils

आज हम दार पे खींचे गए जिन बातों पर 
क्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों* में मिलें 
*Syllabus

अब न वो मैं न वो तू है न वो माज़ी है 'फ़राज़' 
जैसे दो शख़्स तमन्ना के सराबों* में मिलें
*Mirage 

~ अहमद फराज

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