Tuesday, December 13, 2022

माया की छाया


मन है तो निराशा-आशा साथ चलेगी ही
नर हो तो मादा मायावी बन रास रचेगी ही

काम करोगे उसके काम का अगर
तो उसके जग में तुम्हारा नाम करेगी

ज्ञान का वो सेब जो चखा था माया ने कभी
टेंटुआ बन अटका हुआ है नर गले में अभी

तन-मन-धन का खेल बन गया है संसारी
नर हो तो मादा मायावी बन रास रचेगी ही

हुस्न की दीवानगी ये क्या रंग ले आई
हमने तो मांगी थी खुदा से उसकी खुदाई

निपुण हुए तो जीत भी जाओगे
सदगुनी हुए तो पार हो जाओगे
अवगुण चित्त गर धरे रहे मन में
चिंता की चिता जला ना पाओगे

No comments:

Post a Comment

Please Feel Free To Comment....please do....