जो मैं
तो बातें करने लगती है
तनहाइयाँ मेरी . . .,
मन मेरे कमीन ने
आज फिर
घेर रखा है मुझे . .!!
क्यूँ बैठे हो
तुम यूँ मुहँ लटकाए . .?
क्या किसी उदासी ने
आज फिर घेर रखा है तुम्हें . .?
क्यूँ आज फिर
हवाएँ हैं रुआँसी . .?
क्या किसी मदहोशी ने
आज फिर घेर रखा है तुम्हें . .?
कुछ तो सुराग होगा
तुम्हारी इस ख़ामोशी का . .?
क्या किसी बातूनी ने
आज फिर घेर रखा है तुम्हें . .?
दर्द है ये
या इम्तेहान किसी बेकसी का . .?
क्या किसी तमन्ना इंसानी ने
आज फिर घेर रखा है तुम्हें . .?
इलाज क्यूँ हो जिस्मानी
जब तकलीफ है मनमानी . .?
क्या किसी फितरत अनजानी ने
आज फिर घेर रखा है तुम्हें . .?
जवाब नहीं तुम्हारा
और
सवाली ठहराए जाते हैं 'मनीष' . .?
क्या किसी मक़सूद बेईमानी ने
आज फिर घेर रखा है तुम्हें . .?
मन मेरे कमीन ने आज फिर घेर रखा है मुझे . . .
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