पचपन साल का हुआ जाता है मेरा मध्य-प्रदेश,
बच्चे, बूढ़े, जवान सभी को देता है वो ये सन्देश,
मध्य मार्ग अपनाते हुए भी जिया जा सकता है,
अतियों में जीना बोलो कहाँ का दुरन्देश . . .
मध्यस्थ हो ध्यानस्थ भी हुआ जा सकता है,
कोई सीख-प्रवचन नहीं बस.. एक आव्हान करता है मध्य-प्रदेश . . .
क्या जरुरी की रहें हम लीन मन की अतियों में,
सर-पाँव को प्रेम-भाव से दिशा भी तो दे सकता है मध्य-प्रदेश . . .
मध्य-पान और मध्य-निषेध के फलसफे उन्हें हो मुबारिक,
"अति सर्वत्र वर्जियेते" के सिद्धांत को अपना सकता है मध्य-प्रदेश . . .
जात-पात के भेद-भाव भुला कर, मीष-सामिष को एक सा पचा कर,
उदार भाव से उदर की ही भाँती सब कुछ अपना सकता है मध्य-प्रदेश . . .
रख सबको एकजुट, कर सफल संचालन,
मध्य में होकर भी केंद्रीय हो सकता है मध्य-प्रदेश . . .
चलो हो जाओ तुम सब मिलकर चाक-चौबंद और स्वस्थ,
की बिन तुम्हारे बदले बदल न सकेगा ये मध्य-प्रदेश . . .!!
नवम्बर १, २०११ को मद्य-प्रदेश ने अपनी स्थापना के ५५ वर्ष पुरे किये
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