Tuesday, November 1, 2011

खुशबु तो है पर यार नहीं है..



...and ever has it been known that love knows not its own depth until the hour of separation.

    Khalil Gibran

कुछ कहने को नहीं है
सच सुनने सा नहीं है
महसूस करता हूँ मैं क्या, रात और दिन
देखन वाला आज दिलदार नहीं है...
खुशबु तो है 
पर 
यार नहीं है...

पीने को पी रहा हूँ मैं तुझे हर पल हर क्षण  
जीने में मगर तेरी वो आह, तेरी वो सिसकार नहीं है...
खुशबु तो है 
पर 
यार नहीं है...

करने को कर रहा हूँ मैं सबकुछ
होता कुछ भी मगर अब मुझसे असरदार नहीं है...
खुशबु तो है
पर
यार नहीं है...

तू भी तो तड़पता है मेरे लिए, मुझसा ही
क्यूँ मुझमें मगर तेरा वो सुकून, तेरा वो क़रार नहीं है...
खुशबु तो है
पर
यार नहीं है...

रख रखा है मैंने भी तुम्हे अपने दिल में, तुम्हारी ही तरह
बस जाएँ जहाँ जाकर हम, ऐसा कोई संसार नहीं है...
खुशबु तो है
पर
यार नहीं है...

मर कर भी तो जल न पाएंगी रूहें हमारी
जल जाने को जिस्म इसलिए ही बेक़रार नहीं है...
खुशबु तो है
पर
यार नहीं है...

No comments:

Post a Comment

Please Feel Free To Comment....please do....