शिवालय है ताजमहल
चाहते हैं वो के ताजमहल को शिवालय मान लिया जाए
ठीक वैसे ही जैसे बम्बई-मुंबई और बेंगलोर-बेंगलुरु कहलाये
मगर लुत्फ़ ये है हुजुर की नाम बदल कर भी तो
वो अपनी सूरत-इ-हाल बदल ना पाए
कहा हमने की बिलकुल मान लेंगे भाई
क्यूंकि हमारे लिए तो ये सारी समृष्टि ही शिवमय है भाई
बस आपकी मंशाओं की ज़रा सी चर्चा कर लें हम शिवजी से भाई ?
फिर आप जैसा कहेंगे वैसा ही होगा भाई ..
भाई को ये ज़िद की शिवजी का हक़ मारा ना जाए
और मुझे ये शौक़ की शिवजी ही आकर ये हक़ जताएँ
हम भी देख लेंगे इसी बहाने शिव-पार्वती के जलवे
शर्त ये के इस वार्ता के प्रचार-प्रसार के सारे हक़ मुमताज बेगम को मिल जाएँ
हामी भर दी जब शिवजी ने
तो शुरू हुई ये Live मुलाक़ात
मगर ये क्या ..??
शिव और मुमताज तो भरी महफ़िल में एक हो गए
अवाम और इमाम की अक्ल पर तो जैसे ताले पड़ गए
सियासी धंधों पर पड़ी गज़ब की मार
लाली देखन वालों को जानो के लाले पड़ गए
शिवजी ने देखा जब पार्वती जी को ही मुमताज बेगम के अदम रूप में
तो मेरे भोले बादशाह तो अपनी प्यारी पार्वती की इस मनमोहक अदा पर
जैसे एक क्षण में ही मूग्ध हो गए, चमत्कृत हो गए, विस्मित हो गए
और
जाते-जाते पहना गए वो शाहजहाँ को मुमताज के प्रेम का ताज
देख के ये अतुलनीय और विहंगम दृश्य
हम जैसे 'दीवाने' इश्क के ताजोमय हो गए, तेजोमय हो गए
कागा रे कागा
मोरी इतनी अरज तोसे
चुन-चुन खाईयो माँस
अरज या है
खाईयो तू ना नैन मोरे
पिया के मिलन की आस
कागा रे कागा
नैना भी तू खईयो मोरे
नैन भी तू खईयो मोरे
बस एक बार मिलन की
पूर्ण हो जाए आस
कौन है असल राजाधिराज ??
अपने 'मन' पर जो कर सकता है 'राज'
वो ही कहलाने के काबिल है
राजाधिराज
महाराज
या
मनराज
तुम ही बताओ क्या हो तुम वो मनराज ?
बताओ ना
खुल के बताओ
जरा हम भी तो सुने
की
कौन हो तुम
क्या हो तुम मनराज ?
जानते हो खुद को तुम ?
देखते हो कभी खुद को तुम ?
या देखते हो
आईने में बस अपना चेहरा तुम ?
अपने gender, चेहरे, name, पारिवारिक surname
उम्र, शिक्षण, city, address, looks, attitude, bike, ड्रेसिंग-व्रैसिंग
के अलावा भी खुद तुम्हारी अपनी कोई पहचान है तुम्हे ?
या
यूँ ही अपने ख्याली पुलावों में रहते हो तुम गुम ?
'मन' को लगता है की जो वो जानता है
या
जनवाती है जो उसे उसकी ही गुलाम पाँच इन्द्रियाँ (senses)
वो "ही" सत्य है
और बस यही सोच बन जाता है उसका egoistic अहंकार गुण
अपने काम-क्रोध,
मोह-माया,
भय-पराजय,
लोभ-स्वार्थ,
मान-अपमान,
सही-गलत,
दिशा-दोष-भ्रांतियों के चलते
मन ये स्वीकार ही नहीं कर पाता
की
कोई 6th sense द्वारा पल-पल महसूस किया जाने वाला "भी" हो सकता है
प्रेम का, करुणा का,
वीतराग का, सत्य का,
शुभ का, सवार्थ का,
respect का , honor का,
beyond reasoning compassion का
निष्ठा का, सहिष्णुता का, सद्ज्ञान का
justified भी, निर्विकल्प भी, निर्विकार भी, नीरबैर भी, निरंकार भी, निर्गुण भी
और
एकोंकार भी
scientific proofs is what your pseudo-intellectual mind trusts naa..??
So...
please do try to prove to yourself as to
whether you were born out of f*****g LUST
or
was it pure LOVE between your parents
which brought you to live a life on this planet Earth ?
Do answer me, if you are any different from those people
who rape, hurt, abuse, accuse, blame & disrespect women
in one or the other way;
diplomatically
if not hypocritically
WHY..??
just because you do not possess what she does ?
just because deep down you are afraid of her divine power of love ?
Yeah...
Do not honor her if you do not have the heart to do so
but then there ain't any need to disrespect her,
mutilate her, boss her too....
GROW UP POOR CHILD
GROW UP !!
God bless you
Amin
Man is bad case....isn't it?