Friday, April 5, 2013

Enigma - Return to innocence

ये article विशेस तौर से उन साम्प्रदायिक आतंकवादियों के लिए है जो पढ़े-लिखे होते हुए भी धर्मांध हैं।
 http://www.bhaskar.com/article/ABH-sectarianism-and-terrorism-4226428-NOR.html

अज़ीज़ मियाँ कहते हैं की "...जो समझ समझ के भी बनते नासमझ हैं। समझ समझ के समझ को समझना भी एक समझ है। समझ समझ कर भी जो समझ को ना समझे, मेरी नज़र में असल में वो नासमझ है।"

आस ही नहीं पूर्ण विश्वास है की दूसरों को "जीने की राह" दिखाने-सुझाने वाले पंडित विजयशंकर मेहता जी कमसकम आज का थोथला लेख लिखने के बाद "स्वयं को खोजने की यात्रा आरम्भ करेंगे।" बगल में ही छपा या छिपा बैठा "जीवन दर्शन" - उनके जीवन की दिशा बदलने में आंशिक मदद कर सकता है।

वे और आप सभी गुणी, विशेषज्ञ, अजीर्ण, गंभीर मनष्य गण कब तक आत्मा और परमात्मा को दो समझकर मायावी द्वैत के सुनहरे अज्ञातवास में अपना प्रवास जारी रखेंगे, ये तो वक़्त ही बताएगा। हम सिर्फ आज का http://www.bhaskar.com/article/ABH-rahul-gandhi-congress-4226423-NOR.html "राहुल की सोच की झलक" पर सम्पादकीय लिखने वाले महोदय से इतना ही कहेंगे की - सारे विकल्प भविष्य के गर्भ में नहीं अपितु वर्तमान में सम्पूर्ण स्वीकारोक्ति के साथ लिए गए एकात्म निर्णयों पर ही निर्भर थे, हैं और सदा रहेंगे।

आपका क्या ख़याल है जनाब ........??
     


Man is bad case....isn't it?

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