Saturday, April 13, 2013

CLASS WAR - (ARE you DOWN TO EARTH or DO you BELONG TO EXECUTIVE CLASS??)


  1. " जो लूटाओगे वही लौटकर आएगा। फूल लूटाओगे तो फूल मिलेंगे और कांटे लुटाओगे तो कांटे।"
  2.  - मुनिश्री तरूण सागर

  1. Reference:
    • Gurucharan das' rich ageNDA
    • Kalpesh Yagnik's mindblogging article
    • Pritish Nandy's ambitious loss
    • Pandit Vijayshankar Mehta's selfish usage of Lightening
    • Gandhiji's self-violence
    • Priyanka's coolpix back
    • Kareena's show off attitude
    • dainik bhaskar's sexual advertisements
  2. रोटी, कपडा और मकान बुनियादी जरुरत है ठीक सड़क, बिजली और पानी की तरह। जी हाँ इनकी कीमत चुकानी ही चाहिए पर धन ही एकमात्र उपाय नहीं कीमत देने के लिए। खासतौर से तब जब ये समाज आठ घंटे के परिश्रम का मूल्य मात्र ११० रूपये ही निर्धारित कर गरीब मजदूरों का शोषण करता हुआ स्वयं आराम से वातानकुलित कमरों में, दफ्तरों में जाना माना स्तंभकार, साहित्यकार या मालिक बना बैठा हो।
  3. आप कहते हैं की UPA सरकार का ध्यान वोट बैंक पर है और आपका ध्यान ? क्या वो महज कागजी बैंक बैलेंस पर नहीं है ?
  4. कभी दो चार सौ गरीब भिखारियों को, फकीरों को मुफ्त भोजन खिलाया है आपने ? नहीं खिलाया हो तो करवा कर देखिये। आप स्वयं जान जायेंगे की इनका असल माई-बाप बनना इतना आसान नहीं जितना आपका फितूर दिमाग समझता है। ये निर्भर हैं अगर तो सिर्फ परमात्मा रूपी सरकार की अनुकंपा पर, रहमदिली पर, मेहरबानी पर जो आप जैसे नामचीन रईसजादों को मजबूर कर देती है आपके खाद्य भण्डार बांटने के लिए, चाहे फिर भले ही आप जैसे पंडित या गुरु घंटाल ये परमार्थ का काम भी स्वार्थ-सिद्धि योग हेतु करते हैं।
  5. देश इतना बड़ा खर्च उठाने की हालत में नहीं है या आपका समुदाय नहीं है ? 
  6. देश की आर्थिक हालत खराब है मगर आपकी आर्थिक तंदुरस्ती का क्या ?
  7. कौन पहुंचाएगा ब्लैक मार्किट में ये अनाज - आपका समुदाय, हमारा पंथ या सरकार ?
  8. क्या अपने ही सामाजिक वर्ग की तरह ही झूठा, मक्कार, चालबाज़, अनैतिक अथवा धोकेबाज समझ रखा है आपने हम गरीबों को ?
  9. किसने बनाये वो फर्जी BPL कार्ड ?
  10. हम गरीबों के पास केवल हमारी सत्यता, हमारी नैतिकता, हमारी इज्ज़त ही होती है बचाने के लिए। आप जैसे लोगों का इस तरह की गरीबी से जिस दिन साक्षात्कार होगा ना तभी जान पायेंगे आप हमारी माली हालत। समझे जनाब?
  11. कहाँ गया आपके माता-पिता द्वारा बताया गया इमानदारी और कड़ी मेहनत का वो बातूनी महत्त्व ? क्या खो गया वो प्रीतिश नंदी जैसी महत्वकांक्षाओं में या विस्मृत कर लिया है आपने उसे अपनी जगत कल्याणकारी कार्य-संस्कृति की तरह ? बिना काम किये तो हमें जनम तक नहीं मिलता तो फिर आपकी ये दिलकश सोच कहाँ से आती है की आप लोग हमें बिना मेहनत किये एक कौर भी खाने देंगे? खासतौर से तब जब आप हमारा एक सन्देश - गलत हो या फिर सही , तक पढने-समझने का जोखिम नहीं उठाते? अधार्मिक होते हुए भी आप जैसे लोगों की हिम्मत देखिये की आप हमें धार्मिकता का न केवल सबक सीखाना चाहते हैं बल्कि धर्म की अपनी मनोवांछित धारणा भी हमपर थोप देना चाहते हैं।
  12. निजी क्षेत्र की कंपनियों में हम मजदूरों की तरह, जिनकी आप लोगों की तरह कोई पहचान नहीं होती, कभी एक-दो महीने भी काम करके देखा है आपने? किया होता या करें अगर तो तुरंत-फुरंत जान जायेंगे आप ज़मीनी हकीकत। जब अलिखित करार पर इतन संचय कर लिया आपके उधमियों ने सोचिये की अगर सरकार सब कुछ आपके मुहं मियाँ मिट्ठू वर्ग पर सबकुछ छोड़ देती टी आप ना जाने कितने देशों की बैंक्स के स्टॉक का भला कर जात आपका उद्यमी वर्ग।
  13. नया नहीं बहुत पुराना , बहुत सनातन है ये वर्ग जनाब, जो भ्रष्टाचारमुक्त राष्ट्र ही नहीं अपितु प्रत्येक राष्ट्रीय जन गण मन से भ्रष्टाचारमुक्त होने की मांग नहीं अपील कर रहा है, दुहाई दे रहा है। हर बार इसकी आवक को दबा दिया गया है पर इस बार नहीं। इस बार ना बच सकेंगे ये कल्पेषित याग्निक। असंभव के विरूद्ध होगा उनका बचाव इस बार चाहे फिर वे कितने ही कर ले उचित-अनुचित उपाय। वास्तविकता से कौन कितना परे है ये तो देश-काल-परिस्थिति ही सही वक़्त आने पर ज़ाहिर करेगी पर अभी के लिए बस इतना जान लीजिये की:
  • गांधीजी अब भी स्वयं को थप्पड़ मार रहे हैं आपकी सत्यता का परित्याग देख।
  • प्रियंका चोपड़ा जी पीठ दिखा रही हैं या कैमरा दे रही है हमें अपनी अर्धनग्न तस्वीर खखेंचकर फेविकोल से अपने दिल से चिपकाने के लिए करीना कपूर की तरह, ये हम समझ नहीं पा रहे हैं अभी।
  • करीना कपूर पटौदी जी ने सरे-आम पीठ दिखाने को अपना धंधा मान लिया है वहां तक तो ठीक पर फिर हमारे घूरने-घेरने पर ऐतराज क्यूँ ? जब उनके लिए केवल सैफ अली खान साहब को अपनी मादक पीठ दिखाकर संतुष्ट हो जाना काफी नहीं है तो हम असंतुष्ट पापियों से क्यूँ केवल अपनी बीवी की पीठ देखकर संतुष्ट रहने की अनैसर्गिक इच्छा रखती हैं वो ? जैसे हम बर्दाश्त कर लेते हैं उनका बला का हुस्न, ये जानते हुए भी की वो हमारी होना तो बहुत दूर-कभी शायद हमसे मिलना भी ना चाहेंगी रात के वक़्त होकर के अर्धनग्न- ठीक वैसे ही उन्हें भी सीख लेना चाहिए हमारी बदनीयत, बदनजर, बदसलूक, बेबाक बयानों को हम आशिकों की निगाहों का कसूर मानकर या दुस्वप्न जानकार 
  • फिर ठीक इन अर्धनग्न हसीनाओं, बालाओं, महत्वकांक्षी बलाओं की तरह ही 'दैनिक भास्कर' भी हमें सरेआम उकसाता है जनिन्द्रियों को बड़ा करने के, सेक्स की समस्याओं से निजात पाने के, सेक्सी बातचीत करने के, शीलाजीत गोल्ड खाकर उत्तम सम्भोग करने के विज्ञापन छाप-छापकर। आपको क्या पता की कितनी मुश्किल से संभाल पाते हैं हम अपनी वासनामयी मन की आकांक्षाओं को ये सब देखकर    
  • अनेक हत्याएं कर आतंकी ठीक वैसे ही बच जाते हैं, भाग जाते हैं कल्प्कल्पेश जी जैसे आप बच निकलते, भाग निकलते हैं हर बार अपनी अपांग मानसिक सोच को विचारोउत्तेजक टिपण्णी का कॉलम बताकर  

Man is bad case....isn't it?

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