मजबूरियाँ ऐंसी कि कुछ भी हमें वो बतला ना सके
खामोशियाँ ऐंसी कि चार वो हमें सुना ना सके
नज़दीकियाँ ऐंसी कि पास वो हमें बुला ना सके
दूरियाँ ऐंसी कि सच वो हमें जतला ना सके
खुद्दारियाँ ऐंसी कि खुद को वो झुठला न सके
तड़पते रहे दिन-रात वो वहाँ, हम यहाँ
यारियाँ ऐंसी कि भुलाकर भी वो भुला ना सके
किलकारियाँ ऐंसी कि ज़ख्म नासूर बन ना सके
हसरतें इतनी कि ख्वाब जुदा हो ना सके
दुशवारियाँ ऐंसी कि रात भर वो सो ना सके
सिसिकियाँ ऐंसी कि वक़्त-बेवक़्त हम रो ना सके
Man is bad case....isn't it?
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