Saturday, March 8, 2014

IShQ ke RISK



मजबूरियाँ ऐंसी कि कुछ भी हमें वो बतला ना सके

खामोशियाँ ऐंसी कि चार वो हमें सुना ना सके 

नज़दीकियाँ ऐंसी कि पास वो हमें बुला ना सके 

दूरियाँ ऐंसी कि सच वो हमें जतला ना सके 

खुद्दारियाँ ऐंसी कि खुद को वो झुठला न सके

तड़पते रहे दिन-रात वो वहाँ, हम यहाँ 

यारियाँ ऐंसी कि भुलाकर भी वो भुला ना सके 

किलकारियाँ ऐंसी कि ज़ख्म नासूर बन ना सके 

हसरतें इतनी कि ख्वाब जुदा हो ना सके

दुशवारियाँ ऐंसी कि रात भर वो सो ना सके 

सिसिकियाँ ऐंसी कि वक़्त-बेवक़्त हम रो ना सके   



Man is bad case....isn't it?

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