होंठ फैलाये जो हमने खुलकर
तो हँसी के फव्वारे छूट पड़े आपोआप...,
आँसू चले आये खुशियों के साथ
बिन बुलाये मेहमानो कि तरह..!!
टुनटुनाहट दिल कि सुनाई देने लगी हमें दिल से...,
कानोकान जब खबर फैलने लगी दूकान-दूकान..!!
नापाक चाशनीयों में डूब कर मज़े लेने लगे हम...,
ज़िन्दगी उलझ गयी जब जलेबियों कि तरह..!!
तीखी ज़िंदगानी को भानु-भन्नाट जान
हर सनसनी को सनसनाहट मान
एक झन्नाटेदार थप्पड़ रसीद किया हमने
ख़ुदी के गाल को उसका गाल मान
लबों को लबों से मिलाने कि मन्नत हमने माँगी
झनझनाती ठंड में जैसे दिलकश एक रजाई माँगी
लपलपाते इस जोश-ए-जूनून को हमने
नफरतों में तब्दील करने कि जैसे कोई इजाज़त माँगी
यकीन मान, ओ आदम कि हव्वा !
इल्म के जायकेदार सेब से भी ज्यादा मज़ेदार है ये इश्क़ चम्बे दी बूटी
कोई समझता है इसे ऐब तो कोई मानता है इसे दोज़ख़ी त्रुटि
हम आदमज़ात मगन मगर पीने में कुन फाया कुन का मदहोश पव्वा ;-)
Man is bad case....isn't it?
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