काश...
के
ये जन्नत
और
ये जहन्नुम
मौत के बाद ही
नसीब होते हमें...,
देखा है हमने
वाईज़ों को
रोज़ मगर
जन्नतों पे मरते हुए
और
सजदे में
नमाज़ियों को
जहन्नुम के खौफ़ से...!!
वल्लाह..!!
कोई बतलाये उन्हें
के
हासिल है ये खुदाई जन्नत
अभी और यहीं ही
और
मिलता नहीं है जहन्नुम
कल और परसों में...
फिर
ये भी कर लीजिये इकरार
की
खुदा और खुदापरस्त
होते कभी
दहशतगर्द नहीं....!!
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