यूँ तो...
कहने को 
मैं भी कह सकता हूँ 
की 
नाखुश हूँ मैं अपनी ज़िंदगानी से 
पर 
कह दूँ अगर
तो 
नाशुक्रा ना कहलाऊंगा 
अल्लाह की बख्शी हुई उन नेमतों का
जो बरसाई है 
उस रहीम-ओ-करीम ने मुझ पर 
एक सवाल है फ़क़त 
यूँ दिल पर ना लीजिये 
जवाब देने में यूँ वक़्त ज़ाया ना कीजिये 
क्या पता कब निकल जाए ये अदना सी जान 
बस...
ज़िन्दगी की अपनी यूँ तौहीन ना कीजिये  
 
 
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