अपने जीवन के प्रति धन्यवाद से भरा हो जिसका मन
वो होता है सच्चा हिन्दुस्तानी
योग हो जिसके तन-मन-धन में सघन
वो होता है सच्चा हिन्दुस्तानी
स्वयं-हित से पहले हो राष्ट्र-हित की जिसमें दिली लगन
वो होता है सच्चा हिन्दुस्तानी
बच्चे पैदा करने तक ही सिमित ना हो जिसका सृजन
वो होता है सच्चा हिन्दुस्तानी
हर कौम-संस्कार-ज्ञान को आत्मसात कर करे जो ग्रहण
वो होता है सच्चा हिन्दुस्तानी
श्रद्धा और सबुरी से भरा हो जिसका हर कदम
वो होता है सच्चा हिन्दुस्तानी
सुबह उठ सबसे पहले अपने इष्ट का स्मरण करे जो
वो होता है सच्चा हिन्दुस्तानी
बाद उसके उठ माता-पिता और बुजुर्गो को नमन करे जो
वो होता है सच्चा हिन्दुस्तानी
नित्य करमों से फारिग हो स्नान-ध्यान-पूजन करे जो
वो होता है सच्चा हिन्दुस्तानी
निकल पड़े फिर जो घर से करने को समाज का सृजन
वो होता है सच्चा हिन्दुस्तानी
अपने काम को जो माने पूजन
वो होता है सच्चा हिन्दुस्तानी
दफ्तर-दूकान-प्रतिष्ठान में सेवा ही हो जिसका करम
वो होता है सच्चा हिन्दुस्तानी
पद-मान-सम्मान के नशे से रखे जो फासला अधम
वो होता है सच्चा हिन्दुस्तानी
सिमित संसाधनों से ही जो बना सके जीवन को चमन
वो होता है सच्चा हिन्दुस्तानी
चादर की लम्बाई अनुसार ही फैलाए जो अपने चरण
वो होता है सच्चा हिन्दुस्तानी
रूह के माध्यम से इन्द्रियों को कर ले जो अपने शरण
वो होता है सच्चा हिन्दुस्तानी
नारी का दोहन करने में जो कतई ना हो सक्षम
वो होता है सच्चा हिन्दुस्तानी
सदाचारी होने का जो पाले ना हो भरम
वो होता है सच्चा हिन्दुस्तानी
इन अठारह धार्मिक संस्कारों में से
एक-दो का भी पालन करते दिख जाए जो कोई भी सज्जन
तो गुरु अपना जान के तुरंत कर लेना नमन
गुरु-पूर्णिमा भी मन जाएगी
सच्चा हिन्दुस्तानी भी मिल जायेगा
और
प्रभु के भी सहसा हो जाएँगे दर्शन
वर्ना तो...,
ढूंढ़ते ही रह जाओगे इस भरे-पुरे मुल्क में
एक अदद हिन्दुस्तानी
क्यूँ करें हम ये फिजूल की तलाश
क्यूँ ना हम खुद ही हो जाएँ
एक सच्चे हिन्दुस्तानी...!!
पर फिर...,
क्यूँ करें हम ये फिजूल की तलाश
क्यूँ ना हम खुद ही हो जाएँ
एक सच्चे हिन्दुस्तानी...!!
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