Sunday, June 1, 2025

अंतरात्मा की आवाज


उसकी जुल्फों से आती है dove शैंपू की भीनी-भीनी खुश्बू...,
मेरी हसीन माशुका मुझे बूढ़ा नहीं होने देती..!!

पचपन में भी दिखा देती है मुझे मेरा बचपन....,
मेरी नादानियांँ मुझे जवान नहीं होने देती..!!

पचास के मोड़ पर भी वो लगती है कमसिन...,
मेरी दीवानगी मुझे बुजुर्ग नहीं होने देती..!!

नस नस और अंग प्रत्यंग में दौड़ता है लहू...,
तन बदन की आग होश में रहने नहीं देती..!!

ख्वाबों में आ आ कर तड़पाता है जोबन...,
मचलते अरमान रात भर सोने नहीं देते..!!

मनी के मनु में भर देती है वो उमंग और उत्साह...,
मेरी अंतरात्मा मुझे बुढ़ापा महसूस होने नहीं देती..!!
                          ~ दीवाना वारसी

Sunday, March 16, 2025

नोक-झोंक


वो शे'र ही क्या जिसमें नोक-झोंक न हो
वो ज़िंदगी क्या जिसमें जोक-शौक न हो

मेरी चुहलबाज़ी को मेरी पहल समझते हैं वो
वो आशिक़ी क्या जिसमें नोक-झोंक न हो

छेड़खानियाँ मेरी अब भी चौंका देती है उन्हें
वो मुहब्बत क्या जिसमें रोक-टोक न हो

आप ही की तस्वीर है इन आँखों में 😍
कभी निहारती है टुकुर टुकुर चुपके से 🫣
तो कभी बंद हो जाती है हौले से 😜
शर्मा जी से करीबी रिश्ता है इनका 🫣
मिलते ही गले जो पड़ जाती हैं वो 🤗

हँस देती हैं वो मेरी हर बात पर 
वो दोस्ती क्या जिसमें हँसी-मज़ाक न हो

खिलखिला उठती है वो दोस्ती के नाम पर 
वो रिश्ता क्या जिसमें लोक-लाज न हो

रोके रखती है वो ख़ुद को डूब जाने से
वो हसरत क्या जिसमें जज़्बात न हो

कुछ नहीं कहकर सबकुछ कह देती है वो
वो बात ही क्या जो बेबाक न हो

ज़िंदादिली पर लगा है आवारापन का ठप्पा
वो दिलदार क्या जो दिलफेंक न हो

Tuesday, January 28, 2025

ज़िंदगी, आशा और उम्मीद


"सुना है कहीं की हर एक की ज़िंदगी में एक ऐसा वक्त आता है जब उसे फैसला लेना होता है कि पन्ना पलटना है या किताब बंद करनी है"

किताब पढ़ते वक्त पन्ने पलटना होते हैं
पन्ने पलटते वक्त अश'आर अधूरे से होते हैं
किताब बंद करते वक्त एक पन्ना मोड़ देता हूँ 
बंद किताब खुलते ही जिंदा जो हो जाती है

आशा करता हूँ कि उम्मीद पूरी होगी

आशा और उम्मीद में अंतर यह है कि आशा सिर्फ़ इच्छा है, जबकि उम्मीदें मांग करती हैं. उम्मीदें अक्सर किसी तर्क पर आधारित होती हैं, जबकि आशा के लिए किसी तर्क की ज़रूरत नहीं होती।

ज़िंदगी एक अज्ञेय, एक अबूझ किताब सी लगती है, ए दोस्त,
पन्ने पलटते पलटते अध्याय बदल जाते हैं...

एक अध्याय खत्म होते ही दूसरा अध्याय शुरू हो जाता है...

एक कहानी या किताब पूरी होते ही कई अनुत्तरित सवाल छोड़ जाती है...

बस, उन्हीं सवालों के जवाब खोजने हेतु एक नई किताब फिर खुल जाती है...

ज़िंदगी एक ऐसी अदभुत और अविश्वसनीय किताब जो कभी ख़त्म नहीं होती...

Wednesday, January 22, 2025

मौसम और मिजाज़

दिल तड़पता रहा हम तड़पते रहे
सारी रात चांद को तकते रहे 
तेरी याद में सोये नही रातभर
सितारों से ही बातें करते रहे..

सुबह हुई तेरे नाम से
आँखों के एहतराम से
सलाम किया जज़्बातों ने
दिन कटेगा सपनों में..

दोपहर की बात ना कर
आठों पहर ये कहर
शाम के करवट लेते ही
फिर वही रात का सफर..

तुम्हारे साथ मौसम फरिश्तों जैसा
तुम्हारे बिना वही मौसम गमगीन
जादू तुम्हारा है मोहब्बत जैसा
तुम जो हसीन तो समा भी रंगीन..

अनकही बातें


बहुत कुछ पा लिया लेकिन अधूरापन नही भरता... किसी से ऊब जाते है...किसी से मन नही भरता...

एक सिलसिले की उम्मीद थी जिनसे वही फासले बढ़ाते चले गए..
हम तो पास आने की कोशिश में थे जाने क्यूं वही दूरियां बढ़ाते गए..

Wednesday, January 1, 2025

Happy New Year

स्वीकार करो या मत करो
जो है, जैसा है, वैसा है
वो तो है...
ऐसा हो, वैसा हो, तो जाने कैसा हो
ऐसा होना चाहिए, वैसा होना चाहिए
समय को हर बिंदु पर ध्यान देना चाहिए...
ऐसा होता तो कैसा होता,
वैसा होता तो कैसा होता,
इन सब मनोकामनाओं के पार...
जैसा है, वैसा है
सतत् है, अमर है, सनातन है...
अब तुम्हारा मन उसे अंग्रेजी वर्ष कहकर
स्वीकार करे या ना करे
वो तो है...
जैसा है, वैसा है 
😜🫶😜
Happy Happy 2025 💯
Be happy - Stay happy 😊 
Let happiness come without a Y 💓