Sunday, December 25, 2022

काम की बात

हज़ारों काम मोहब्बत में हैं मज़े के 'दाग़' 
जो लोग कुछ नहीं करते कमाल करते हैं

- दाग देहलवी

काम से काम रखता हूं:

बड़े काम का है ये काम
काम से काम रखता है
काम की बात करता है
फिजूल की बात नहीं

काम calm कर देता है
काम नाम कर देता है
कामुकता आम नहीं

काम पूजा भी है
काम धरम भी है
काम आसान नहीं

काम कम बातें ज्यादा
नफा कम नुकसान ज्यादा
ना नुकूर दरकार नहीं

काम के हो तो काम के ही रहना
काम से कभी न तुम यूं मुँह फेरना
मुँह मुँह की ये बात नहीं

काम रोग हो सकता है
काम वासना हो सकती है
काम नपुंसक लिंग नहीं

काम के चर्चे भी होते हैं
काम के पर्चे भी होते हैं
काम नाकाम नहीं

https://hi.m.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%AE

काम मुहावरा है, काम कहावत है और है एक शैली भी 
काम सूचक भी, सूचना भी है, धोतक भी है और प्रवृत्ति भी
काम बिना जग सूना, काम बिना हम नही, तुम नहीं, कुछ भी नहीं 

काम रचना है
काम घटना है
काम वासना नहीं

Tuesday, December 20, 2022

फलसफे इश्क़ - मोहब्बत के


मुमकिन ही नहीं कि किनारा भी करेगा
आशिक़ है तो फिर इश्क़ दोबारा भी करेगा

- हिलाल फ़रीद

इश्क़ दोबारा करो, तीबारा करो या करो बारंबार
बिक जायेंगे घर-बार जब तक "करोगे"= "व्यापार"
जिस दिन एक हुए उस एक से दूजा दिखाई न देगा
मोहब्बत को इश्क़ होने में लगते हैं दिन बस चार

- दीवाना वारसी

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें 
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें 

ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती 
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों* में मिलें 
*Wastelands

ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो 
नश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें 

तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा 
दोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों* में मिलें 
*Veils

आज हम दार पे खींचे गए जिन बातों पर 
क्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों* में मिलें 
*Syllabus

अब न वो मैं न वो तू है न वो माज़ी है 'फ़राज़' 
जैसे दो शख़्स तमन्ना के सराबों* में मिलें
*Mirage 

~ अहमद फराज

Monday, December 19, 2022

बिस्मिल्लाह

सुना है उनसे मुलाक़ात होगी
अगर हो गई तो बड़ी बात होगी
- नज़ीर बनारसी

मुलाकात बड़ी बात बने ना बने नज़ीर,
कोई न कोई बात तो जरूर बनेगी..

मुंह खुले तो मधु रस बरसेगा होठों से होठों तलक...,
ज़ुबान ज़र्रे ज़र्रे की महीन सी तहकीकात करेगी..!!

खुले दिल से दिल खोल कर गर मिले दो बदन तन-मन-धन अर्पित कर...,
बेशक रूह से रूह की मुलाक़ात की सुबह और दिन से रात के मिलन की रात होगी..!!

मुंह खुले के खुले रह जायेंगे आत्मा से परमात्मा का मधुर मिलन देख, सुन, महसूस कर...,
फिर ना सोच-समझ, विचार-विमर्श, तर्क-वितर्क, ख्वाब-ओ-हकीकत की कोई बात होगी..!!

इश्क़ में मर्ज़ियाँ नहीँ चलती साहब, जो भी यार कहे बस "बिस्मिल्लाह" कीजिए...,
शुरू इस काम को भी बस "बिस्मिल्लाह-हिर्रहमा-निर्रहीम"" पढ़ के कीजे..!!

आमीन आमीन सुम आमीन 

Sunday, December 18, 2022

पंगो की दुनिया

अपने-अपने फलसफे
अपनी-अपनी आदतें हैं जी..
धीरे से वो आते हैं तो
हौले से हम जाते हैं जी..

आना-जाना तो यूं ही लगा रहेगा बरसों,
क्या कहें की ये तो अंदर की बातें है जी..

अंदर-बाहर, बाहर-अंदर, ऊपर-नीचे, नीचे-ऊपर के किस्से हैं ये तमाम,
एक जगह टिके रहना वक्त और इंसान की फितरत ही नहीं है जी..

वो राजी तो हम मना, हम राजी तो वो मना,
दीप में लीन रहना तो मन की तासीर है जी..

आप मस्त रहिए मस्ती में मस्तानों के संग,
हम दीवानों को तो पंगे लेने की लत है जी..
😜😄😜  💘🎯💘 🍌🥑🍌
🔑👙🔑  🩲🚀🩲  🧬🌹🧬

Tuesday, December 13, 2022

माया की छाया


मन है तो निराशा-आशा साथ चलेगी ही
नर हो तो मादा मायावी बन रास रचेगी ही

काम करोगे उसके काम का अगर
तो उसके जग में तुम्हारा नाम करेगी

ज्ञान का वो सेब जो चखा था माया ने कभी
टेंटुआ बन अटका हुआ है नर गले में अभी

तन-मन-धन का खेल बन गया है संसारी
नर हो तो मादा मायावी बन रास रचेगी ही

हुस्न की दीवानगी ये क्या रंग ले आई
हमने तो मांगी थी खुदा से उसकी खुदाई

निपुण हुए तो जीत भी जाओगे
सदगुनी हुए तो पार हो जाओगे
अवगुण चित्त गर धरे रहे मन में
चिंता की चिता जला ना पाओगे

Saturday, December 10, 2022

God's own Goal

Cristiano Ronaldo, arguably, the most popular football player on this planet.

As it happens, Ronaldo was told by his Portugal coach to sit on the bench in arguably the most important game of the tournament so far, the knock out match with Switzerland.

Wait !...the most important player of Portugal not playing in the most important game of the tournament so far....why?

That is because Ronaldo misbehaved. He threw tantrums when he was replaced by his coach in the previous game in the World Cup. The coach was mighty displeased and decided Ronaldo needed some time to think things over.

..And oh by the way, as we all now know, Portugal convincingly won the game that Ronaldo did not play 6-1. And the 21-year old who replaced Ronaldo in the match, ended up scoring three goals.

So what did we learn from this episode....a few takeaways for all of us :

1. No one is indispensable. You may be a hotshot in your team or company but guess what, life will go on even without you.

2. You are free to question or have a difference of opinion with your manager/boss. But don't disrespect him/her ; very likely there will be repercussions.

3. Give youngsters a chance. That is the only way you will find out if they are good enough.

4. In life, don't shy away from making the tough calls. Even if it means benching your most popular player.

5. ..And finally, be humble. Or else life will force your hand.
~Author unknown to me

MY CANDID RESPONSE:
https://youtube.com/shorts/k1SaTFCWlDY?feature=share
It's all about how you look at the story, the media you trust and the perspective you believe in.

How..??

Maybe the tantrums were thrown purposefully to awaken the coach and the team to not to get over dependent on Cristiano as one man army..??

Maybe it was a thoughtful strike by Cristiano to raise the standards of the team as a whole by giving chance to talented youngsters sitting in bench waiting for their chance..??

Maybe it was an incredible pass given to his experienced coach to wake up the seniors..??

Maybe youngsters were asked to prove their mettle by taking the challenge as a lifetime chance or opportunity to settle down the scores..??

Maybe it was neither the heads side or tails side of the coin but the whole coin itself..??

Maybe it was nothing but God's own masterstroke or goal..??

Friday, December 2, 2022

Flirting is an art

तो कुछ बादल गरज कर झमाझम हैं बरसते..!!
😊
My dear Cookies,
Candidly speaking, I, [MAN_IS_BAD_KASE in deed 😜 as a mannish man with tons of inbuilt manhood in me] personally feel that something is always cooking up between a man and a woman. Whether that 'something' is 'good or bad', 'beautiful or ugly', 'everything or nothing', 'transient or eternal', 'blissful or painful', 'verbal or textual', 'sexual or asexual', 'platonic or romantic' etc etc etc. totally depends on the various intrinsic and extrinsic factors viz;
(a) IQ and EQ levels 
(b) Social culture and norms 
(c) Traditions and customs 
(d) Physical nature 
(e) Chemical bonding 
(f) Mathematical algorithm 
(g) Biological needs
Every factor means differently to each and every individual which leads to flabbergasting consequences and effects.

Wednesday, November 30, 2022

Yahya

A student of life: If you please send me the meaning of the following picture and the words therein, it would be very helpful to me.

Simply speaking it means that nature is life and life is beautiful; as it is.
Eloboration:
Good morning,
As per my understanding Yahya (Yahweh is merciful) pens down the effects and affects of "desires" which empties the vistas of life and heaven. Yahya metaphorically compares earth with our mindful heart which gets depressed under the influence of its own endless expectations and limitations underneath. The desire to enlighten the mind with the help of a Sun/light is so deceptively illusionary that mostly despair is the resultant outcome. That is so because Earth getting lit up is a circumstantial phenomenon for half of the rotational earth while the other half seems to be in an illusionary darkness because of the visual effect (or lack of vision!) of the same phenomenon. The view from a vantage point is totally different as it has the vision to see the whole planet Earth 🌍🌎 shining blue.
The phenomenon is similar to the status of our mindful heart which feels that it's only because of the weight of its desires or ambitions or goals that heaven is achieved when from the enlightened vantage point there is nothing to achieve but everything to cleanse the mirror (mindful heart) by wiping out the transient image. The veil of desires or expectations needs to be lifted to realise that there is nothing to achieve but a lot to let go.
Ya Ya, Yahya says that it knows that it's not only difficult but also seems disturbing to consider our own being in this physically present and materialistic world 🌎 as some kind of matrix or illusion or delusion or माया but so it is.
Yeah 👍😂👍, Yahya the omnipresent, omnipotent, omniscient Yehweh knows that to the mindful heart, full of desires, passions, ambitions, goals and expectations, such no-mind state of blissful existence seems paranoid, worthless and beyond imagination.
So be it 🤩

Sunday, November 20, 2022

वक्त ने किया क्या है..??

https://youtu.be/mg2svnhYeEE


धैर्य से सुनता तो हूं मैं उसकी हर बात पर समझ नहीं पाता मैं उसके नकारात्मकता से भरे ख्यालात। यकीन ही नहीं कर पाता मैं उसके नास्तिक विचारों पर। सम्मान उसकी रूह का करता हूं मैं दिल-ओ-जान से हर दम पर उसकी सोच-समझ से उसके तादात्म्य का मैं कतई सम्मान नहीं कर पाता। 
लगता है जैसे उसका मन रूपी पुजारी उसी के बदन रूपी मंदिर में रचे-बसे उसके ही आत्मा रूपी परमात्मा पर सदियों से राज करता रहा है। ये शासन जैसे अब शोषण करने लगा है उसके मनमंदिर पर। जाने किस कुपोषण का शिकार हुई होगी उसकी रूह की अपने ही पुजारी की गुलाम बन के रहना उसने स्वयं ही कुबूल कर लिया और मानने लगी वो सब बातें जो उसकी खुद की कभी थी ही नहीं। पता नही चुनाव गलत था, विचार गलत था या विश्वास गलत था पर दोष तो बेचारे समय को ही दिया गया की *समय गलत था*। 
क्या वाकई समय कभी सही या गलत होता है?
समय तो समय ही है और समय ही होता है
समय अनुसार तो मनमंदिर अपने रंग-रूप बदलता है
रूह तो वही रहती है जो वो थी और जैसी हमें मिली थी फिर भी ना जाने क्यों मानव मन वक्त को सीतमगर मान दिन-रात घड़ियाली आंसू बहाता है और रोता फिरता है यहां-वहां।
गुनहगार खुद है और दोषारोपण वक्त पर !! 
वाह रे, ओह मेरे अपने धूर्त और चालाक पुजारी!
क्या खूब लीला रची है तूने अपने मनमंदिर के स्वामित्व को बचाने के लिए..!!
अपनी ही रूह का स्वयंभू स्वामी बन जाने के लिए..!!

जय हो 😜😄😜

Man is Bad Case, isn't it?

यही तो तुम्हारे मन की तकलीफ है की मैं वो नहीं समझता जो वो चाहता है के मैं उसकी सोच-समझ के अनुसार सोचूँ-समझूं। तुम्हारा मन तुम्हें तो अपना गुलाम बना ही चुका है ( या यूं कहूं की तुमने ही उसे अपनी रूह पर राज करने का अधिकार दिया है) और अब मुझे भी अपना कायल करना चाहता है (कभी हुस्न के जलवे दिखा कर तो कभी मेरी ही इच्छाओं के उन्मादी कलेवे खिला कर)। इसी को तो मायाजाल कहते हैं मेरे प्रियतम 😄

तुम्हारा रिश्ता तुम्हारे अपने मन से इतना गहरा है की तुम्हें लगने लगा है की तुम्हारे मन-मस्तिष्क की सोच तुम्हें अब अपनी ही सोच-समझ लगने लगी है। एक ऐसा अनोखा तादात्म्य स्थापित कर लिया है की उसपर किए गए कटाक्ष अब तुम्हें तुम पर किए गए वार लगते हैं। हद ये की तुम्हारे अपने मन-मस्तिष्क से इतने पुराने और गहरे रिश्ते के आगे अब सदियों पुराना तुम्हारी आत्मा का प्रेम का रिश्ता भी फीका पड़ने लगा है। 

प्रेम जिंदा है दिल में पर मन-मस्तिष्क की कैद में है
परिंदा उड़ना तो चाहता है पर उड़ना भूल सा गया है

Blog पर भी उसी वजह से पोस्ट करता हूं जिस प्रेम और करुणा की वजह से तुम्हें post करता हूं। 

हम सभी मन के मारे हुए परिंदे हैं जो दोष समय या जीवन या जीवनसाथी या लोगों को या किस्मत को देते फिरते हैं और अपने करम या चुनाव या सोच या मन के स्वामित्व की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं देते।

खुद को ही नही जानते हम और चाहते हैं की दुनिया हमें समझे। 
क्या गजब का self-centred बचपना है..!! 
क्या अहंकार है..!!

तीन ही तरीके आते हैं हमारे मन को अपनी चाल चलने के:
पहला, जो हमारे मन ने कभी अपनाया था (Ignore या नजरंदाज करने का)
दूसरा, जो हमारा मन अक्सर अपनाता है (मजाक या माखौल उड़ाने का - to Laugh or to ridicule)
तीसरा, जो हमारा मन जल्द ही अपनाएगा (रूठने का या लड़ने का - to create tantrum or to fight)
अंत में अंततः हम अपने ही मन पर विजय प्राप्त कर लेते हैं ।
सतत ध्यानास्थ रहिए..
अपने मन को आपकी चेतना को दिग्भ्रमित करने का अधिकार न दीजिए
सदैव चौकन्ने रहिए..
चर्चा कीजिए उस विषय वस्तु की जिस पर हम मित्रवत चर्चारत हैं
अभी और यहीं में रहिए...

सद्चिदानंद भव:
ॐ नमः शिवाय ॐ 

Thursday, November 17, 2022

अहम् ब्रह्मास्मि त्वं चा!


मन वो पुजारी है जो शरीर रूपी मंदिर को स्वच्छ, स्वस्थ, सुंदर, निर्मल, कोमल भी रख सकता है और अस्वच्छ, अस्वस्थ, असुंदर, मलिन, कठोर भी। इस पुजारी को मंदिर का समुचित ध्यान रख मंदिर के आत्मा रूपी स्वामी का जप-तप-ध्यान करने को कहिए।
ईश्वर की कृपा से इस मन-मंदिर के ईश-ईशा तत्व हैं आप अतएव इस मनमंदिर के स्वयंभू संचालनकर्ता भी आप ही हैं। ध्यानस्थ हो अपने कर्म का चुनाव कीजिए और अपने कर्मों के फल का अधिकार पूर्ण श्रद्धा-सबूरी, प्रज्ञा-विवेक समेत अपने कूल स्वामी, अपने ईश पर स्वाहा कर दीजिए।

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 47)

अर्थ: कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, कर्म के फलों में कभी नहीं... इसलिए कर्म को फल के लिए मत करो। कर्तव्य-कर्म करने में ही तेरा अधिकार है फलों में कभी नहीं। अतः तू कर्मफल का हेतु भी मत बन और तेरी अकर्मण्यता में भी आसक्ति न हो।

Wednesday, November 16, 2022

SMS = सुमधुर संगीत

कब तक सिर्फ online ही मिलोगे/खिलोगे/याद करोगे..??
कभी तो Offline mode में भी मिलने-मिलाने आ जाओ..
खुशियाँ बरसाओ जी भर के आनंद के कुछ पल जी जाओ..

भूल-चूक लेनी-देनी का हिसाब-किताब कब तक और क्योंकर रखें हम..??
ढाने थे जितने भी सितम ढा चुके हैं हम,
सहने थे जितने जुलम सह चुके हैं हम,
दिल लगाया है दिल से तो गले मिलने भी आ जाओ..
रुत/ऋतु सुहानी हो ही चुकी है, रात भी सुहानी कर जाओ..

[जिंदगी की यही रीत है,
हार के बाद ही जीत है,
थोड़े आँसू हैं, थोड़ी है हँसी,
आज ग़म है, तो कल है ख़ुशी]

प्रेम की भी तो सदा से यही रीत है,
ज़र्रे ज़र्रे में बस जाता मादक संगीत है,
होंठ थिरकें, ज़ुबान फिसले मेरी, बांसुरी तुम बजा जाओ..

प्रेमियों के मधुर मिलन के लिए ही तो जनम लेती  ये मनमोहक प्रीत है,
सितम बन जाते सनम, जुलम बन जाते जानम, प्रीति ही तो प्रीतम का गीत है,
जनम-जनम से भूखी-प्यासी इस अधूरी कहानी को पूरा करने aa जाओ..

आ जाओ तुम आ जाओ..
आ जाओ तुकब तक सिर्फ online ही मिलोगे/खिलोगे/याद करोगे..??
कभी तो Offline mode में भी मिलने-मिलाने आ जाओ..
खुशियाँ बरसा जाओ जी भर के आनंद के कुछ पल ले/दे जाओ..

भूल-चूक लेनी-देनी का हिसाब-किताब कब तक और क्योंकर रखें हम..??
ढाने थे जितने भी सितम ढा चुके हैं हम
सहने थे जितने जुलम सह चुके हैं हम
दिल लगाया है दिल से तो गले मिलने/मिलाने भी आ जाओ..
रुत/ऋतु तो सुहानी हो ही चुकी है, रातें भी सुहानी कर जाओ..

जिंदगी की यही रीत है
हार के बाद ही जीत है
थोड़े आँसू हैं, थोड़ी है हँसी
आज ग़म है, तो कल है ख़ुशी

प्रेम की भी तो सदा से यही रीत है
ज़र्रे ज़र्रे में बस जाता मादक संगीत है
होंठ थिरकें, ज़ुबान फिसले जो मेरी तो बांसुरी तुम बजा जाओ..

प्रेमियों के मधुर मिलन के लिए ही तो जनम लेती  ये मनमोहक प्रीत है
सितम बन जाते सनम, जुलम बन जाते जानम, प्रीति ही तो प्रीतम का गीत है
जनम जनम से भूखी-प्यासी इस अधूरी कहानी को पूरा करने आ जाओ..

आ जाओ तुम आ जाओ..
आ जाओ तूम आ जाओ..
आंठ पहर, चौसठ घड़ी
चहुँ ओर तुम छा जाओ..

Sunday, November 6, 2022

One with the One

To find oneself one has to lose oneself. The more one loses oneself, the more one finds oneself one with the one and the only one.
 All-in-one. One-in-all. That's it.





Man is bad case....isn't it?

Thursday, October 27, 2022

Time, Space, Love, Life, Choice, God



"अब तक नहीं" से "अब कभी नहीं" के बीच के इस फासले को भरने के लिए हम क्या कुछ नहीं कर जाते...,

"ना कुछ" से "सब कुछ" के बीच के ये फैसले हम से बहुत कुछ नहीं तो कुछ न कुछ तो करवा ही जाते..!!

जो हुआ, अच्छा हुआ
जो हो रहा है, अच्छा हो रहा है
जो होगा, अच्छा ही होगा
परहेज तुझे वक्त से था,
जगह से है, फैसले से, ज़िंदगी से, प्यार से या खुदा से..??



या





..??

Friday, September 30, 2022

राम रची राखा


https://twitter.com/hvgoenka/status/1574734078531641346?t=GECKaEa2q-lnb9DSF3tK9g&s=08

Maybe one has to make right things happen in this materialistic world full of possession and possessiveness but there ain't anything wrong or right in this or that Spiritual world if Rumi where S/He lives.
पता है..!!??!!
दूर...., यहां से बहुत दूर...
गलत और सही के पार...
एक मैदान है...
मैं वहीं मिलूंगा तुम्हें
~ रूमी

There it happens beyond any scholastic/scientific/mindful/judgemental or eventual speculations.

Life just happens the way it does: 

चौपाई

होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा॥
अस कहि लगे जपन हरिनामा। गईं सती जहँ प्रभु सुखधामा॥

Tuesday, September 20, 2022

VIRAL CINEMATOGRAPHIC WORLD



You got it bro but most Indians don't.

Generally, they unconsciously or maybe consciously not only shoot but also vigorously promote & propogate such video films. No, their source of energy is not because of some altruistic social concern or enigma but an avarice to earn some kind of stardom as an entertainer, a social reformer, a holier than thou persona or a flabbergasting image of an anthropologist. They are indeed the real devil's advocates in Indian society.
Irony is that they 'know not what they are doing' and don't even have an iota of intellect to realise that they are indeed acting as some kind of melodramatic puppets in the hands of so called democratic politicians or elite class to spread the reign of melancholy. They are the real fans of capitalism who sincerely believe in the psychedelic psyche of creating havoc. Such psychomaniacs indeed have the power, post and devil's mind to come up with catchy & anarchic slogans like: "Entertainment के लिए कुछ भी करेगा"

घर खाली हो तो शैतान शक्तिमान हो उठता है
अकेला इंसान जाने क्या-क्या कर गुजरता है
ख़ुदाया, खौफ़ नहीं जिसे ज़िल्ल-ए-इलाही का
वो CCTV को प्रचार-प्रसार का माध्यम समझता है

May Sanity Prevail
Amen 



Man is bad case....isn't it?

Thursday, September 15, 2022

योग - संयोग

१४ सितंबर - हिंदी दिवस
१५ सितंबर - बिंदी दिवस

शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्

साईं की नगरी मधुर मिलन:

देखी जो उनकी तीर-ए-नज़र तो हम बदहवास हो गए
चौंक उठे कई सितारे जो वो हमारे खासमखास हो गए

माई के आशीर्वाद से गंधर्व विवाह संपन्न:

प्रेम में प्रेम से प्रेमी मिल लिए
आत्मा ने जैसे होंठ सिल दिए

जिसके हिस्से में रात आयी है, 
उसके हिस्से में चाँद भी होगा

विकल्प तो खैर किसी का भी नहीं...,
ना तेरा, ना मेरा, ना उसका,
एक नाम है सो गुम जाएगा,
आज नहीं तो कल ही सही..!!

सब को सब का जायज हक़ मिल गया
हमें भी हमारा "सबकुछ" मिल गया
बेजारी में बेकार से बेदार हो चले हम
श्रद्धा को सबूरी का सहारा मिल गया

ॐ साईं राम
ॐ माई नाम
ॐ नमः शिवाय ॐ
ॐ शिवोsहम शिवोsहम शिवोsहम ॐ
🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏



Sunday, September 11, 2022

अर्धनारेश्वर




हे भगवान,
मर्द को औरत के रूप में देखने की कैसी ये चाहत है..??
औरत को मर्द बनकर क्या मिल जाती कोई ताक़त है..??

मर्द ही मर्द हों इस हसीन दुनिया में तो कैसा होगा..??
औरत ही औरत हो इस रंगीन जगत में तो कैसा होगा..?? 
सोचो ज़रा, ऐसा हो तो कैसा होगा...

क्या हर औरत में भी एक शक्तिशाली और दबंग मर्द छिपा होता है..??
क्या हर मर्द भी एक औरत की तरह अंदर ही अंदर बड़ा हसीन होता है..??
क्या शिव-शक्ति का समागम हो अर्धनारेश्वर नहीं होता...

ढूंढते फिरते हैं हम जिस जीवनसाथी को पल-पल हर पल इस मायावी दुनिया में,
क्या वो संगी-साथी, वो मृगनयन हमारे भीतर ही रचा-बसा नहीं होता..??

क्या कबीर कह नहीं गए की;

कस्तूरी कुंडल बसे मृग ढ़ूँढ़ै बन माहि।
ऐसे घटी-घटी राम हैं दुनिया देखै नाँहि॥

Man is bad case....isn't it?

Saturday, September 10, 2022



क्योंकर इतना जरूरी है तुम्हें किसी को ये समझाना की तुम क्या हो और कैसे हो...,

खैरियत उस पर इसी में की वो तुम्हें उतना ही अनुपम समझे जितने के तुम हो..!!

कभी किसी के दिल में उतर कर देख,
सारे चेहरे धुंधले पड़ जायेंगे...,

तहेदिल से उतारा जो किसी को दिल में,
मरने वाले थोड़ा जी जायेंगे..!!

🥰💘🥰

जी हां,
एहसासों का रिश्ता बड़ा गहरा है
मोहब्बतों पे नहीं ना कोई पहरा है

Man is bad case....isn't it?

Friday, September 9, 2022

Virtual world

काल्पनिक फिल्मों की सफलता मुझसे ये कहती हैं,
कल्पनाएँ हकीकतों से कई ज्यादा बेहतर होती हैं........
कल्पनाएँ सपने बुनती हैं जबकि हकीकतें सपने तोड़ती हैं
हकीकत जब कल्पना से मेल नहीं खाती तो सपने टूट जाते हैं






Man is bad case....isn't it?

Schools of thought




दो-दो school जाते हैं आजकल के बच्चे
एक private दूसरा public
पहले से वो किताबी ज्ञान लेते हैं
तो दूसरा उन्हें सिखाता है सामाजिक चाल-चलन
एक स्कूल लगता है चंद घंटों के लिए
तो दूसरा कभी बंद ही नहीं होता
24×7×365 उपलब्ध रहती है ये पाठशालाएँ 
कभी social media बनकर तो कभी society बनकर
आप ही बताइए
कौन सा स्कूल ज्यादा असरकारी है..??


Man is bad case....isn't it?

Saturday, July 30, 2022

Banyan Tree बरगद का पेड़




मन हूं और मनीष बड़कस भी..
कस रखा है जिसे बड़ की बरोह या प्राप जड़ों से..
ऋषि-मनीषियों की तरह मन का ईश तो नहीं
सतत प्रयास है की मन न बन जाए ईश कहीं।

हर हर महादेव 🙏🌹🙏

Man is bad case....isn't it?

Thursday, July 21, 2022

HORNS

*HORNS*

Horns do disturb me a lot
They do pierce me day n' night
Like a thorny knight in the plot
Ram indeed my zodiac sign ♈
I do bleat before I blot.

Horns shouldn't honk but they do rot
Vehicles get vernacular on the spot
Air pressurised to pressurise the block
Clanking metals in a stainless pot

Honking isn't just a censored beep
Their klaxon has a toot so deep
Every honk has a different verbatim 
Each honker comes with a snort

They don't just beep to get their way
They convey their feelings with a dart 🎯
Sometimes they whistle sometimes they gloat
Attention seekers get their lot

School buses customise their horn
Beckoning patrons on the spot
Time & tide waits for none is what they teach
Lessons never learnt by a capitalistic slot.

Motorcyclists have a productive noise
Machines throttle with a thunderous poise
Silence ain't their cultural domain
Don't their silencers bring out rain!

That typical jamming in a traffic jam
Horny birds tweeting blissfully in a swarm
Swans swallow, Cranes croak, as pedestrians float
There's a vociferous jungle on a cemented coaltar road 🛣️

I do wish for a harmless world in my visionary sight
But before that I seek a hornless tribe for a future bright
Oh my dear, Hondas, Suzukis, Escorts & Tatas,
Please give me a harmonious street before I rest in peace.

Amen 

~Maneesh Badkas~



Man is bad case....isn't it?

Thursday, July 14, 2022

Power of Expression

Man is bad case....isn't it?

पश्चाताप बोले गए शब्दों का ही हो यह जरूरी नहीं....
कभी कभी समय पर नही बोलने का पश्चाताप भी जीवन भर रहता है...!

That's why I don't miss a moment to express my love; either by saying "I Love You" or by hugging, or kissing, or making love, or loving gestures.
😘💘😘

I don't know why people, especially feminists, are so afraid to express their innermost feelings about love in the best possible way.
Maybe the feminine gender thinks and believes that once they respond explicitly or express their instincts candidly, they will either have to face the music of the lust or will be called a slut. They certainly know that one step leads to another just as one way leads to other and hence restrain themselves to take any step, or way, or choice. *The Road Not Taken* (Robert Frost) is often talked about with either a sigh of regret or happiness but that happens later in life after the moment has gone.

Maybe they know not that the choice to not to take a step, a way or a road is also a choice which has its own omens or repercussions.

There are men who think that women, when it comes to making a choice between *love and security* tend to choose security over love and creation because of their natural motherly instincts
On the other hand there are women who believe that most men know not what true love is and mostly misconstrue lust, or sex, or sexual satiation or gratification as love and hence can't be trusted on matters of spirit.

The tug of war goes on and on and on since ages and yet there ain't any winner as yet. Well, there can't be because Men come from Mars and Women originate from Venus as they put it in lighter vein. More so because every conclusion, or judgement, or belief that an individual derives out of the given situation is quite personal and circumstantial based on transient perspectives or permanent mindset.

Let the matter rest in peace till the spirit transcends into matter cause it doesn't matter untill it matters.

Deja Vu 

ज़ुबान

बातों में वजन हो ना हो, रूदन तो है ही,
जिंदगी गुलबदन हो ना हो, सृजन तो है ही...

भगवान को भी तो नहीं बक्शते हम इंसान,
नादान हों ना हों, परेशान तो हैं ही...

टीका-टिप्पणी करने से कौन रोक सका है हमें,
मूल्यवान हो ना हो, ज़ुबान तो है ही...

Man is bad case....isn't it?

MODERN TEACHERS

*7 MODERN TEACHER QUALITIES:*

The seven essential qualities that a Private School Teacher should necessarily possess in Modern Times are as follows.
The so called Sir/Ma'am should be:
1. Formidable in the art of flattery.
2. Clerical in nature.
3. Ascetic in attitude.
4. Adept in telephonic conversation.
5. Speedy in syllabus completion.
6. Meticulous in materialistic needs.
7. Diplomatic in behaviour.

*Special Note:

B.Ed is a must. Feminine gender would be preferred. Healthy, Well dressed, Good Looking & Submissive candidate without financial needs and family burdens stands a better chance to thrive in this industry.

*HAPPY GURU PURNIMA*


Man is bad case....isn't it?

बाजार गरम है

दो तरह के स्कूल चल रहे हैं बाजार में,
एक वो जो किताबी शिक्षा देते हैं ५-६ घंटे में,
दूसरे वो जो सामाजिक ज्ञान देते हैं सस्ते में,
शिक्षा तो खैर रह जाती है ठंडे से एक बस्ते में,
व्यवहारिक ज्ञान का मगर चहुंमुखी विकास बंटे-बंटे में...

किताबी शिक्षा लगती है नौजवानों को पुरातनवादी और कट्टर,
सांसारिक व्यवहार के मगर  मायावी और ट्रेंडिंग हैं चक्कर...

पाठशालाएं मांगती हैं शिक्षित करने की मोटी-मोटी फीस,
स्मार्ट बनाने के लिए गूगल बाबा के पास गुरु घंटाल मगर बीस,
निशुल्क न सही पर शुल्क, शुल्क कब लगता है साहब,
जब साहेब आपके पॉकेट में हों और मोबाइल हो आपका दफ्तर @peace...

अपनी तो पाठशाला - मस्ती की पाठशाला का फंडा कोई नया-नवेला बवेला थोड़े ही है मेरे भाई,
कभी हमने भी तो रामायण, महाभारत के गूढ़ तत्वों की बुद्धू-बक्सा देख-देखकर पूर्ण की थी पढ़ाई...

पढ़े-लिखे अनपढ़ों की एक फ़ौज खड़ी करने वाला एक जिहादी सा हिंदुस्तान बन गए हैं हम
फसल को पैदावार पर करना हो अगर नाज़ तो पहले राम/कृष्ण की तरह जियो मेरे हमदम...

वंदे मातरम्
वंदे मातरम्
वंदे मातरम्

जय हिंद 🇮🇳


Man is bad case....isn't it?

Thursday, May 12, 2022

Tapti Mill; a fair enough fair

*ताप्ती मिल - एक मेला* ताप्ती नदी के तट पर एक गाँव था अलबेला वो गाँव तहसील हुआ, शहर हुआ अब ज़िला उस तट पर मुमताज़ बेगम का था एक हमाम ठंडे-गरम पानी के रेले, नक़्क़ाशीयाँ धूम-धाम सैफ़ी कॉलेज के पास पानी-पूरी का एक ठेला चटखारे ले लेकर खाते थे, मजनूँ और लैला क़िला था सो खंडहर हो चुका, बादशाही तमाम ताप्ती अब भी नज़ारे तकती है, सियासत अंजाम फूलवारा चौक से गलियाँ बढ़ती हैं शनिश्चरी शनवारे की तरफ़ चारों और एक दीवार है, जामा मस्जिद मिलन कमल की बरफ़ गांधी चौक पर वाहनों की क़तार के बीचोंबीच लगता था मेला दुपहिया जान की सीट पर कोई आशिक़ न बैठा कभी अकेला टांगा स्टैंड पर घोड़ों की टापें देतीं थी उनके आ जाने की खनक बात ये तब की है जब बात-बात पर नहीं जाते थे हम सनक अब ना वो नौंक-झौंक है ना पीठ पर पड़ने वाला धेला बस एक सरपट दौड़ है, कोई नहला है तो कोई दहला सेवा-सदन को छूता हुआ सुभाष स्कूल का वो मैदान हर रविवार क्रिकेट का सैलाब लिए बच्चे-बड़े-नादान सिंधी बस्ती होकर गुज़रता था बहादरपुर का चेला इंदिरा की तलवार का ज़ख़्म जिसने कभी नहीं झेला बाग मरिचिका में काँक्रीट का एक जहाज़ अनजान कीर साहब के बंगले में हम अल्हड़ से हुए जवान शाहपुर की और मुड़ता है बुरहानउद्दिन साहब का सिलसिला बुरहानपर की शान है इस दरगाह का अन्दाज़ और शीला नेहरु से हुआ मुतासीर ताप्ती मिल का एक मेला लालबाग में बना था कभी बुरहानपुर स्टेशन पहला ख़ूनी भंडारा बस नाम नहीं, राज था इसमें गहरा मीठे-मीठे पाक-साफ़ पानी में भूलभुलैया का पहरा समझ सको तो जान लो, अनेकता में एकता का झमेला द्वैत के देतों को वैसे भी अद्वैत का ज्ञान नहीं जाता पहला Burhanpur Tapti Mill का है secular एक चेहरा ये वो प्रांगण है जहाँ ना कुछ तेरा है ना मेरा उषा को किरणों ने घेरा बना लिया जो वहीं पर डेरा जाग उठी जो दुनिया सारी जब जागो तो तभी सवेरा
Man is bad case....isn't it? अपने लिए माँगना चाहत है, अपनों के लिए माँगना मोहब्बत है, गैरों के लिए माँगना ईबादत है, खुदाया! बिन माँगें ही सबकुछ दे देना इश्क है, जुनून है, खुदाई है... प्यार व्यापार नहीं अपितु सदाचार है, सद्कर्म है, रिहाई है... जहाँ जाकर अक्ल और सोच खत्म होती है; बस, वहीँ से इश्क शुरू होता है... इस जज़्बात को जीने के लिए यहाँ से दूर...बहुत दूर...सही और गलत के पार एक मैदान है वहाँ पहुँचना होता है रूमी की तरह... डूब कर पार हुआ जाता है अमीर खुसरो की तरह... मेरे देखे से मादाओं में ये बात सिर्फ कोई मीरा, कोई लल्लो, कोई राबिया ही जी पाई है, इसी लिए तो शायद १,२४००० तीर्थंकर सिर्फ आदम के रूप में ही अवतरित हुए, हव्वा ने तो जैसे ज्ञान का निषिद्ध फल चखने की आदमजात सजा पाई है... इश्क की आग में डूब जाना ऐसे-वैसों के बस की बात भी नहीं... इश्क़ है इश्क़ ये मज़ाक़ नहीं चंद लम्हों में फ़ैसला न करो Let's give love before we seek love Let's deserve respect before we demand it God bless you to be Love in love with love for love and only love 💖 Amen 🙏🌹🙏

Sunday, February 27, 2022

इश्क़ है इश्क़

अपने लिए माँगना चाहत है, अपनों के लिए माँगना मोहब्बत है, गैरों के लिए माँगना ईबादत है, खुदाया! बिन माँगें ही सबकुछ दे देना इश्क है, जुनून है, खुदाई है... प्यार व्यापार नहीं अपितु सदाचार है, सद्कर्म है, रिहाई है... जहाँ जाकर अक्ल और सोच खत्म होती है; बस, वहीँ से इश्क शुरू होता है... इस जज़्बात को जीने के लिए यहाँ से दूर...बहुत दूर...सही और गलत के पार एक मैदान है वहाँ पहुँचना होता है रूमी की तरह... डूब कर पार हुआ जाता है अमीर खुसरो की तरह... मेरे देखे से मादाओं में ये बात सिर्फ कोई मीरा, कोई लल्लो, कोई राबिया ही जी पाई है, इसी लिए तो शायद १,२४००० तीर्थंकर सिर्फ आदम के रूप में ही अवतरित हुए, हव्वा ने तो जैसे ज्ञान का निषिद्ध फल चखने की आदमजात सजा पाई है... इश्क की आग में डूब जाना ऐसे-वैसों के बस की बात भी नहीं... इश्क़ है इश्क़ ये मज़ाक़ नहीं चंद लम्हों में फ़ैसला न करो Let's give love before we seek love Let's deserve respect before we demand it God bless you to be Love in love with love for love and only love 💖 Amen 🙏🌹🙏

Monday, February 21, 2022

7 STEPS TO TRANSCENDENCE


7 CATASTROPHIC STEPS TO TRANSCEND THYSELF:

1. CONTACT: The person comes in contact with a live master or guru.

2. CATAPELSY: Suspension of old being happens mostly out of shock. Past goes.

3. CATHARSIS: Head/mind/brain come in a state of shock but heart gets free. The master or the Guru beheads you, your reason, your logical being.

4. CATASTROPHE: Reason is gone. Heart rules. Ego starts falling.

5. CROSS: Ego dies. The being loses its identity with body and mind.

6. CONVERSION: Godliness comes alive. Human becomes divine.

7. CHRIST CONSCIOUSNESS: One becomes one with the whole. One becomes that which one really is. Drop becomes ocean.

(Notes from a discourse by Osho)