Friday, December 13, 2024

आँखें





आंखों का स्पर्श कभी-कभी,
शब्दों से भी गहरा होता है
आँखें चुभती भी हैं
आँखें सजती भी हैं
आँख मारी भी जाती है
आँख उतारी भी जाती है
आँखें आती हैं
तो जाती भी होंगी
आँखें निहारती हैं
तो इतराती भी होंगी 
आँखें बहती भी हैं 
आँखें सहती भी हैं 
आँखें डराती हैं, धमकाती हैं
चमकती हैं, चमकाती हैं
आँखें इधर-उधर मंडराती हैं जब
शामत सी आ जाती है तब
आँखें बंद भी हो जाती हैं
आँखें खुल भी जाती हैं
आँखें उदास हो जाएं तो 
आँखें नम भी हो जाती हैं
आँखें इशारे कर जाएं तो
आँखें शर्माती भी हैं
आँखें तरेर दे कोई तो
आँखें लाल भी हो जाती हैं
आँखें मिल जाएं तो 
आँखें खिलखिला उठती हैं
आँखें शर्मसार हो जाएं तो
आँखें झुक भी जाती हैं
आँखें खिल जाएं कभी तो
कभी भर भी आती हैं
आँखों-आँखों में बात हो जाए तो
आँखों-आँखों में इकरार हो जाए तो
नज़रें मिला कर नज़रें उतारनी भी पड़ती हैं
आँखों की मस्तियाँ भी हैं, शोखियाँ भी हैं, और है गुस्ताखियाँ भी
आँखों के दीवाने भी हैं, परवाने भी हैं, और हैं कई अफसाने भी
नज़रों की ये जो सौगात है
नज़र नज़र की बात है
छू जाएं गर तुम्हें तो नज़राना 
ना छू पाएं गर तुम्हें तो पर्दा
छू लेने दो अगर तुम तो उल्फ़त आशिक़ाना 
छू लो अगर तुम तो अंदाज़-ए-बयां क़ातिलाना..

Thursday, December 12, 2024

मन चाहा इंसान

*अपने आप को नेक इंसान बनाएं*
(गीता जयंती पर विशेष)

👉महाभारत का सार मात्र दस पंक्तियों में समझें !!

*~ चाहे आप हिन्दू हों या किसी अन्य धर्म से।
*~ चाहे आप स्त्री हों या पुरुष।
*~ चाहे आप गरीब हों या अमीर।
*~ चाहे आप अपने देश में हों या विदेश में‌।

संक्षेप में,यदि आप मनुष्य हैं तो नीचे दिए गए महाभारत के अनमोल *१० मोती* अवश्य पढ़ें और समझें:-
1- यदि आप समय रहते अपने बच्चों की अनुचित माँगों और इच्छाओं पर नियंत्रण नहीं रखते, तो आप जीवन में असहाय हो जाएँगे... *"कौरव"*
2- आप कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों,यदि आप अधर्म का साथ देंगे,तो आपकी शक्ति, शस्त्र,कौशल और आशीर्वाद सब बेकार हो जाएँगे... *"कर्ण"*
3- अपने बच्चों को इतना महत्वाकांक्षी न बनाएँ कि वे अपने ज्ञान का दुरुपयोग करके सर्वनाश कर दें... *"अश्वत्थामा"*
4- कभी भी ऐसा वचन न दें कि आपको अधर्मियों के सामने समर्पण करना पड़े... *"भीष्म पितामह"*
5- धन,शक्ति,अधिकार और सत्ता का दुरुपयोग गलत काम करने वालों का साथ अंततः पूर्ण विनाश की ओर ले जाता है... *"दुर्योधन"*
6- सत्ता की बागडोर कभी भी अंधे व्यक्ति को न सौंपें अर्थात जो स्वार्थ,धन,अभिमान,ज्ञान, आसक्ति या वासना से अंधा हो, क्योंकि इससे विनाश होगा... *"धृतराष्ट्र"*
7- यदि ज्ञान के साथ आत्मबल और बुद्धि भी हो तो आप अवश्य विजयी होंगे... *"अर्जुन"*
8- छल-कपट से आपको हर समय सभी मामलों में सफलता नहीं मिलेगी... *"शकुनि"*
9- यदि आप नैतिकता,धर्म और कर्तव्य का सफलतापूर्वक पालन करते हैं,तो दुनिया की कोई भी शक्ति आपको नुकसान नहीं पहुँचा सकती... *"युधिष्ठिर"*
१०- अपनी ज़ुबान, सुंदरता और मादकता को संयमित रखें वरना जुआरी आपको दांव पर लगा देंगे और भेड़िए आपको निर्वस्त्र कर देंगे। कृष्ण कृपा के योग्य बनें... *"द्रौपदी"*

"सर्वे भवन्तु सुखिनः
 सर्वे सन्तु निरामयाः।"

👉अपना सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा है। हम बदलेंगे,युग बदलेगा।

आपका दिन शुभ एवं मंगलमय हो।

🙏जय गुरुदेव🙏

Wednesday, December 11, 2024

Age ain't a taboo, is it?


अब जा कर पता चला हमें कि हम अब तक इतने दिलकश और जवान क्यों हैं,
दुनिया अगर हमें ठरकी या छपरी कहती है तो कहा करे, हमें क्या............

हमें तो मतलब सिर्फ उनसे, उनके लबों से और उनके अल्फाजों से है........,
अकेले में चुपके से कहते हैं वो की गुनाह करने की कोई उम्र थोड़े ही होती 💘

Thursday, December 5, 2024

हम और आप

ग़ज़ब की मुस्कान के साथ हर बोझ उठा लेते हो आप...,
~
बाखुदा स्वार्थ से पहले कर्तव्य को रखते हैं आप..!!

आप ही ने तो दामन थाम कर साथ चलना सिखाया था कभी...,
~
आप अब भी तो एक रहनुमा सा साया बन मेरे साथ चलते हो..!! 

ॐ साईं राम 
जय जय माँ 
🙏🌹🙏

Tuesday, November 26, 2024

MIND RULES OVER HEART

Learning and knowing someone is a life long process because deep down humans have an insightful tendency to keep on changing their attitude or behavior with time and life experiences. Judging someone, within a specific time limit (within 3 years, 3 months, 3 weeks, 3 days, 3 hours, 3 minutes), on the other hand is an analytical skill that human race has high-handedly developed since ages. This strategy to judge someone quickly helps us to save time and move on.

The ability to make spontaneous remarks, comments and decision is the brain child of a highly intelligent and intellectual mind. This brain is not only physically situated on the top of the body but also has mental strength, logical power and staff support to stay at the top of an organization. None of the other body parts of the organization have the power, desire or status to challenge or question the autocratic decision of the supremo and hence they dare not. The fear factor works supremely and supremacy enjoys its status.

The practice to judge someone or someone’s capabilities instantaneously is quite pragmatic. It is practical when the decision is made only for that particular moment or incident and is based on some experiential evidence that the nominated authority thinks that it has observed. Mind you that this so called observation might be a self-possessed obsession as well. The same practicality transforms into a nasty habit or a prejudiced prediction or a harmful addiction when a momentary decision is turned into a permanent tag or a life long label for the person under scrutiny.

The intriguing fact is that this labelling capacity is not at all there in childhood and hence cannot be termed as natural or congenital by any means. It is not found even in those adolescents, adults or mature beings who have been conscious enough to keep their child-like behavior purely intact and alive. This skill nurtures under the influence of an highly ambitious power-packed mind which not only indulges in ruling over the childish heart but also enjoys demeaning the spirited soul.


Mann is bad case....isn't it?

Angelical Angle


किसी की प्यास बुझाने वाले भला हम कौन,
भाप बनाकर उड़ाए फिर भर जाए हमें मौन

लहरों का एक समंदर समाया हुआ है हम में,
नदियाँ हम में ही समाहित हो बदलती है यौन 

संसार हमारा स्वाद में खारा-खारा ही सही,
नमक ना हो तो क्या अधूरा नहीं इश्क़ कोण

Thursday, November 21, 2024

समय समय की बात है


मौज है प्यासी प्यासी
माथे पर उलझन है सिलवट सी
आरज़ू है जवान, जुस्तजू है मकाँ 
हम दहकते हैं, वो बहकते हैं
हम भटकते हैं..क्यों भटकते हैं 
मज़ा जो विरहन के आगोश में है
वो क़ायम पहलू - ए - यार में कहाँ

दोपहर की मौज
दो पहर बाद सुरमई शाम हो गई
चराग़ रोशन हुए 
तो दिलकश रात रंगीन हो गई
अगली सुबह पढ़ी 
जो उन्होंने हमारी प्यासी ईबारत 
दिन लाजवाब हुआ 
और morning good हो गई 

😉😉😉 
😜😜😜
😘😘😘

समय समय की बात है सरकार
समय को भी समय है दरकार
🫶
या वारिस 
🙏🌹🙏

Sunday, November 3, 2024

रिहाई


ज़िंदगी भर तो हुई गुफ़्तुगू ग़ैरों से मगर
आज तक हम से हमारी न मुलाक़ात हुई

- गोपालदास नीरज

मुलाक़ात हुई जो ख़ुद से तो ये जाना कि;
काम मेरा जन्मदाता,
क्रोध मेरा सहभागी,
कामुक और क्रोधी मैं,
वेग भी मैं, सहनशील भी मैं,
सामर्थ्य मैं, जय-पराजय मैं,
मनस्वी भी मैं, शरीर भी मैं, आत्मा भी मैं,
दुःख भी मैं, सुख भी मैं,
योगी भी मैं, जोगी भी मैं, भोगी भी मैं ही,
द्वैत भी मैं, अद्वैत भी मैं ही..
जाने किस-किस से जीतने की इच्छा पाले बैठा है मेरा ये अद्वितीय मैं..??

              ~ दीवाना वारसी

Wednesday, October 30, 2024

रूप की महिमा



तुम्हें फूलझड़ी कहूँ तो टूट जाती है लडी..
पटाखा कहूँ तो बजती है कानों में सीटी..

बॉम्ब कहूँ तो रूठ जाते हैं फिल्मी सितारे..
चक्री के चक्कर में अनार बीमार हैं सारे..

घर-घर तुम्हारी ही तरह रंगोली है सजी..
तुम बिन रूप नहीं, स्वर्ग नहीं, नर्क नहीं..
🌶️🔥🌶️
फिर न कहना कि मैं कुछ कहता ही नहीं..
😍💘😍

#रूप चतुर्दशी
#नर्क चतुर्दशी 
#छोटी दिवाली
बधाई हो...

Monday, October 28, 2024

धर्म और स्वतंत्रता


दिन पूरा, रात पूरी,
सुबह पूरी, शाम पूरी,
 जज़्बात पूरे, नियत पूरी,
 मैं अधूरा, वो अधूरी,
 ख़्वाब पूरे, कहानी अधूरी...

Friday, October 25, 2024

Sunflower

रुपया-पैसा आ जाने से दीन-ओ-ईमान नहीं आ जाता...,
रईसों से अहंकार का रिश्ता यूँ ही नहीं जुड़ जाता..!!

माना कि हर निशान कलंक नहीं होता 
आबोहवा का असर यूँ ही नहीं उड़ जाता

कीचड़ में ही कमल भी तो खिलते हैं
सूरजमुखी यूँ ही नहीं रोशनी देख मुड़ जाता

~ दीवाना वारसी

Monday, October 21, 2024

NATURAL BEHAVIOUR




How can introverts succeed and thrive in extroverted work environments?

Let me seek an example of a work environment which needs only and only extroverts and has absolutely no space for introverts. Keep me posted if you find any or even many.

At the onset let us be very clear in our understanding that being an ‘introvert’ or an ‘extrovert’ is not a negative or positive aspect of ones personality. It is ones way of living life or expressing oneself and need not be changed out of some kind of pride or prejudice.

Ever working environment or place has space for both kind of individuals and one can fit in the system quite easily and naturally by adopting the role which fits ones basic nature or personality trait. The team leaders or the Human Resources Department of such work places are specially designated to give an individual a job as per that individual’s personality trait. That is how a good organization uses and develops its goodwill and performance. There are numerous ways that HRD can utilize to help an introvert individual to succeed and thrive even in a so called extroverted or hyped up work environment.

The task of changing oneself can also be adopted if one finds itself necessary to survive in the work environment that one finds oneself in. This task to bring necessary changes in oneself has to come from within and not because of some kind of external force or compulsion. Self-development programme works much better after prudent self-analysis. Such an individual can start with talking to oneself first and then by expressing ones ideas, concepts, concerns, values , points to ones close friends, family members and peers. One can assign oneself regular outings and join social networks to gain social contacts and momentum.

A tortoise can’t be compelled to run as fast as a rabbit and neither can a rabbit be asked to shrink its feet and go into a shell. A tortoise can be asked to swim fast and a rabbit can be asked to go slow or take a nap only to revitalize itself but this is productive only if that tortoise and rabbit is willing to do so out of some life threatening need, survival instinct or a desire to explore oneself. Exploitation never works - not in the long run at least.

Man is bad case....isn't it?

Wednesday, October 16, 2024

OFFICE POLITICS - a boon or a bane



How can someone navigate office politics without compromising their integrity or alienating colleagues, especially in a highly competitive corporate environment?

We come across this pertinent question many a times during our professional life. Most of the times the questioner is a youngster who has joined a job with a lot of exuberance to establish his/her worth by making timely use of his/her academic talents and non-academic skills but is finding themselves caught in a rattrap after the probationary or apprentice period. The office or work experience that one actually goes through one's work span baffles the young mind to choose the right way or path to achieve one's goal o ambition. Needless to say that each and every employee wants to grow and get an appraisal which not only improves one's financial and social status but also substantiates one's being and self-respect.

The youngsters choose their path as per their perspective or belief. The chosen path could be that of a diligent and dedicated employee who works hard as per one's best capability and ability. The other path could be to work as smartly as possible as per the need of the hour and office. Then there are employees who don't walk the talk but do talk a lot about their consistency in work despite the work, health or family pressure they have to face in this pathetic corporate world. Flattery is one more skill that employees employ to achieve their goals. Every employee adopts the way which he/she thinks right and take the path which pleases his/her senses.

Each and every way is righteous if it helps one to achieve one's goal in stipulated time without any loss of self-respect and integrity. Employees do shift their path or point of view after walking on or practicing on it for an affordable duration of time. This change comes after analyzing the results of their office endeavor. Age and work experience has got nothing to do with this practical entrepreneurship period as every boss or management has a different mindset or theory and you know that "Boss is always right".

So, the question remains as it is and the saga continues...

[The first and foremost thing that someone has to do to get rid of office politics is to leave the very idea of navigating or directing or piloting the office politics. Office politics is not only quite a common practice in a highly competitive corporate world but also a favorite time-pass activity in which the flickering mind indulges quite passionately. This involvement in dirty office politics can be easily avoided by staying stoic. Any kind of active or passive participation in such unhealthy and unhygienic office politics has the power to make anyone at least an accomplice, if not a criminal, in conduction of a lucrative crime. Being a witness to such an unnecessary activity requires a lot of patience and skill. Just being an indifferent or dormant observer without any reaction or response whatsoever is a tremendous art of applied diplomacy which one acquires through deep meditation by applying self-control practices. This attitude might alienate one’s colleagues up to a certain extent or time but it would never compromise one’s integrity towards the organization or job.]

*A bibliophile shall very well understand the usage of parenthesis in the above article.

~ Manish Badkas alias Man_is Bad_kase


Man is bad case....isn't it?

Thursday, October 10, 2024

Character analysis

Guess who..??

मेरे देखे से तो अब तक के जीवन दर्शन में मुझे एक औरत ही औरत की असल दुश्मन नज़र आई है। ऐसा शायद इसलिए कि दर्पण में मुझे अपने भीतर भी एक औरत नज़र आई है। या फिर ऐसा शायद इसलिए क्योंकि उस ममतामयी, आनंदमयी, चैतन्यमयी, गरिमामयी औरत ने अपने मूलभूत स्त्रैण चरित्र को खो कर दुनियादारी या समाज का पुरुषीय व्यक्तित्व अपना लिया है। ऐसा उस स्त्री ने शायद राज़ी-खुशी, शायद डर के मारे या शायद सफलता पाने के लिए किया है। 

आपको क्या लगता है

Sunday, October 6, 2024

The Ship of Relationships


Relationships are built on mutual love, respect, safety and trust.
"Give. But don’t allow yourself to be used.
Love. But don’t allow your heart to be abused.
Trust. But don’t be naive.
Listen. But don’t lose your own voice." 

Every BUT in the above lines indicate a negative or business minded mindset.

Can we have a PARADIGM SHIFT in our approach towards living life as humanly as possible?

"Give - getting used by someone shouldn't stop you from giving.
Love - heart never gets abused; it's the mind which tells you so.
Trust - being naïve is better than being cynic.
Listen to understand the perspective instead of being judgmental."

Monday, September 30, 2024

किताबें




किताबों के ढेर में छुपी हुई है बेजोड़, अनमोल और अमूल्य शिक्षा,

समय-समय पर तोल-मोल के गुणी जन लेते हैं इनसे अतुल्य दीक्षा,

ज्ञान का अर्जन कर अहंकार का विसर्जन करे हैं चतुर विद्यार्थी इनसे,

शिक्षक गण भी पग-पग पर कर जोड़ मांगे हैं इनसे बहुमूल्य भिक्षा..

।। ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।।
🙏 📚 🙏

Sunday, September 29, 2024

मिलन और जुदाई

जब अकेलापन अच्छा लगने लगा तो फिर तूने दस्तक दी...,
और जब तू अच्छा लगने लगा तो तू फिर अकेला कर गया..!!

तमन्ना फिर मचल जाए
अगर तुम मिलने आ जाओ

ये मौसम ही बदल जाए
अगर तुम मिलने आ जाओ

नहीं मिलते हो तुम मुझसे
तो सब हमदर्द हैं मेरे

ज़माना मुझसे जल जाए
अगर तुम मिलने आ जाओ

कुछ रह सका ना जहां
वीरानी तो रह गई..

तुम चले गए तो क्या
कहानी तो रह गई..

हिम्मत कर, सबर कर, बिखर कर भी संवर जाएगा
यकीन कर, शूकर कर, वक्त ही है - ये भी गुजर जाएगा 

Thursday, September 26, 2024

Kindle

We light a candle to remember the dead, And we blow out a candle to celebrate a birthday. A thought-provoking reflection on life and remembrance. 🕯️

The former act is to remind the mind and body that the soul is ignited for eternity while the latter is to remind the same mind and body that death is inevitable.

Kindle 🕯️

Friday, September 20, 2024

तू नहीं तो कोई ओर भी नहीं

"bahut lambi hai zameen milenge laakh haseen, 
  Is zamaane mein sanam tu akeli toh nahin"

बाग में यूं तो लाखों हसीन फूल थे
मेरी नज़र मगर तुझपे हीआकर ठहर गई...
तेरी खुश्बू ने खींचा जो मुझे अपने पास
ज़माना ये समझा की नीयत मेरी फिसल गई...
चंद लम्हें तेरे साथ गुजारना चाहता था
या रब्बा! इजाज़त तेरी किस्मत से मिल ही गई... 
पल-दो-पल और साथ जी लेते हम मगर
क्या जाने किस गैर की हैरत भरी नज़र लग गई...
🫶❤️🫶

Wednesday, September 4, 2024

मेरा सच या आपका सच..??


सच कहा आपने की सच तो सच है
सच के इतने चेहरे मगर की हर सच बिकाऊ लगने लगा है 
सच का बोलबाला देख राजा हरिश्चंद्र विलीन हो गए
सच में सच डग-डग, पग-पग अवतरित हो चला है..
जितनी न्यूज चैनल्स उतने सच
जितने अखबार उतने सच
जितने दल उतने सच
हर जगह बस सच ही सच..
बोलो कौनसा वाला खरीदोगे..??
😜

Monday, August 19, 2024

रक्षाबंधन

रक्षा का सूत्र तो सदैव आपके ही कर-कमलों में है, हे स्वामी,
कलाई पर बंधा महीन धागा सांसारिक सुख-दुःख का सूचक है, हे अंतर्यामी,
आरती भी आपकी, पूजा भी आपकी, जीव प्रसाद है दूरगामी,
दाता भी आप हैं, निधि भी आपकी, कृपा आपकी ऊर्ध्वगामी, हे पारगामी।

जय हो 🌹

Thursday, July 4, 2024

Ironic yet true

Irony is when they say to be yourself and then start judging and hating.
Irony is when they back stab and ask why are you bleeding?
Irony is when we have so much to tell but no one to listen.
Irony is when people ignore each other to get each others’ attention.
Irony is when mind says to move on but heart says to hold on.
Irony is when we express our pain by joke.
Irony is when you start feeling happy alone, everyone wants to be with you.
Irony is when they stop talking with you, but actually start talking about you.
Irony is where intelligent people are full of doubts, half baked knowledgeable people are full of confidence.
Irony is in election we don’t vote for the one whom we like the most but for the one whom we hate least.

Saturday, June 22, 2024

योग संयोग

ये भी कैसा योग है
अजब योग-संयोग है..
मेरी तोंद अब मेरा दर्द बन गई है..

बड़े प्यार से मैंने उसे पाला-पोसा
पर अब वो मेरे हाथों से निकल गई है..
 
मेरी तोंद अब मुझसे आगे बढ़ गई है..

रोक सको तो रोक लो उसको
वैसे सारे बंधनों से वो मुक्त हो गई है..

मेरी तोंद अब मेरा दर्द बन गई है

😜🤪😜

Sunday, June 2, 2024

दिल का आलम



न कोई शाना है, न शानू है, न शोना है और न कोई शान...,
तक-तक तकता रहता हूं उसकी तस्वीर सुबह- ओ-शाम..!!

तबाही की दहलीज पर आ खड़े हैं,
मत पूछो की ये मंजर क्या है !

बाहर से अच्छे लगते है जरूर मगर,
मत पूछो के मेरे अंदर क्या है !

निकलते नहीं बूंद भर आंसू भी अब,
मेरी आंखों से ज्यादा बंजर क्या है !

और टूटे हुए सपनों का दर्द कितना गहरा है,
मत नापो के ये समंदर क्या है ?

पुराने लिफ़ाफ़े में टूटे हुए ख़्वाब हैं
ना खोलो कभी तुम दर्द बेहिसाब हैं...

मेरे ख़यालो से कभी जाता ही नही
तेरी किताब मे जो सूखा गुलाब हैं...

ज़ख्म दिल के नही दिखेंगे तुझको 
दिल के हर राज़ पर एक हिजाब हैं...
~~~~~~
ख़त के छोटे से तराशे में नहीं आएँगे
ग़म ज़ियादा हैं लिफ़ाफ़े में नहीं आएँगे..!!

मुख़्तसर वक़्त में ये बात नहीं हो सकती
दर्द इतने हैं ख़ुलासे में नहीं आएँगे..!!

उस की कुछ ख़ैर-ख़बर हो तो बताओ यारो 
हम किसी और दिलासे में नहीं आएँगे..!!

Wednesday, May 29, 2024

Window

वो खिड़की अक्सर बंद रहती थी..
बड़ी मुश्किल से कभी-कभार ही खुलती थी..
खुलते ही मगर...
वो एक हसीन तस्वीर बन जाया करती थी...

उफ्फ वो खिड़की..

😍🥰😍

Friday, May 24, 2024

महंगाई नहीं, खर्चे बढ़ गए हैं साहब


जी हुजूर..पूर्णतः स्वीकार है ये कटु सत्य
भाग्य निर्माण करता है कर्मों का ही पथ..

शौक को आदत बन जाने में आता है मज़ा 
आदतों को बदल जाने में लगता है वक्त..

हर ख्वाहिश नज़र आती है जरूरत जैसी
जरूरतों को पूरा करने में लगता है वक्त..

जरूरतें पूरी करने हेतु भरपूर है ये सृष्टि
मनोकामनाएं पूरी करने में लगता है वक्त...

शुभ हों, मंगल हों या हों लाभकारी
कामनाएं को खत्म करने में लगता है वक्त..

~दीवाना वारसी 

(चाह गई, चिंता मिटी, मनवा बेपरवाह
जिनको कछु ना चाहिए वो ही शहंशाह)
 ~कबीर

Wednesday, May 22, 2024

आज की नारी

https://x.com/thenidhii/status/1792831208428392829
Watch before you read 😜

मेरे फटे-पुराने कपड़ों से उसने अपना पवित्र दामन ढांक लिया..
जूते खाने की नौबत आने से पहले ही उसने जैसे स्वाद चख लिया..

सूखे पत्तों की तरह संभाले रखा मैंने उसकी यादों को..
उसकी बातों ने अमर हो सदा ही दवा का काम किया.. 

नैसर्गिक सुंदरता को कॉस्मेटिक उत्पादों की जरूरत क्या..
नयनों ने बड़ी ही अदा से तीर-ए-नीमकश का काम किया..

😜🫶😜

Tuesday, April 30, 2024

Tell me what is it..??

Let me tell you something that is purely authentic

Your company makes my world astonishingly beautiful

Each and every moment spent with you is aesthetic

Time flies naturally and emphatically as it is very dutiful

Matter of fact it is though it might sound romantic

Pretty sure that it’s beyond words and yet so meaningful

Pragmatism tells me that it could be just a rhetoric

Behold! my pulsating heart just gave me a look so disdainful

Gosh! my soul believes in a bond which is platonic

Monday, April 29, 2024

Importance of English in Education

Importance of English in Education:

Why did Homo sapiens diverge from the rest of the animal kingdom and go on to dominate the earth? Communication? Cooperation? According to best-selling author Yuval Noah Harari, that barely scratches the surface.

Language helps humans to make their team work much more effective and time specific than any other species which works in groups. Before religion, gossip created a social, even environmental pressure to conform to certain norms. Surprisingly, it’s not our shared language or even our ability to dominate other species that defines us but rather, our shared fictions. Language helps us to express our beliefs and shared beliefs allow us to do the thing that other species cannot. Language helps us to co-operate and achieve our goals a s a group. Shared fictions aren’t necessarily lies. Shared fictions can create literal truths. For example, if I trust that you believe in money as much as I do, we can use it as an exchange of value. Quick and large-scale shifts are possible only because of effective communication.

“The Cognitive Revolution is accordingly the point when history declared its independence from biology,” Harari writes. These ever-shifting alliances, beliefs, myths—ultimately, cultures—define what we call human history.

As the third most widely spoken language in the world, English is widely spoken and taught in over 118 countries and is commonly used around the world as a trade language or diplomatic language. It is the language of science, aviation, computers, diplomacy and tourism.

The importance of English: 10 reasons to learn the language

1. English is a global language.
2. Studying English can help you get a job.
3. Learning English can help you meet new people.
(English is the official language of 53 countries and is used as a lingua franca (a mutually known language) by people from all around the world. This means that whether you’re working in Beijing, or travelling in Brazil, studying English can help you have a conversation with people from all over the world.)
4. Many scientific papers are written in English.
5. English is the language of the media industry.
6. English is the language of the Internet.
7. Travelling is a lot easier with a good knowledge of English.
8. English is one of the most important languages for business.
9. With English, you can study all over the world.
10. English gives you access to multiple cultures.

A good knowledge of English will allow you to access films, music and literature from hundreds of countries around the globe. Not to mention the fact that numerous books from across the world are translated into English. Few experiences will make you grow as a person more than learning the values, habits and way of life in a culture that is different from yours.

Tuesday, April 16, 2024

मुहब्बत की इबादत



प्रश्न: मर्द और औरत की मोहब्बत में क्या फर्क होता है?
उत्तर:
तो दोनों को ही चरम सुख से परम आनंद की प्राप्ति होती है
मर्द की हो या हो औरत की मोहब्बत, मोहब्बत मोहब्बत होती है
गर फर्क है भी तो सिर्फ तौर-तरीके और सोच-समझ का
वर्ना तो मोहब्बत इबादत की जान या पहली पायदान होती है

Question : Can boys fall in love with a married lady?
Answer : Love is beyond time and marital status
Lust, though, remains confined in space...

Thursday, April 11, 2024

लखनवी अदब और अंदाज़

https://www.facebook.com/share/r/eZF38sQczUGsV14Y/?mibextid=D5vuiz

दिल से पीने-पिलाने का दस्तूर बड़ा ही मनमोहक है,
लेने-देने को आतुर प्रेमी की शान बड़ी ही रोचक है,
यूं तो मदिरापान और प्रेमध्यान के पीछे होती कोई वजह नहीं,
पर डूब के पार हो जाने की कला बड़ी ही मादक है...

😜🫶😜

Friday, March 8, 2024

Woman & Man

ख़ुदा ने अनगिनत चेहरे बनाए होंगे दुनिया में 
मेरी आँखों में आज तक बस एक सूरत है...

Woman ♀️ ; an unwritten book; an untold story. Man ♂️ can only woo her.

Be elegant when you like her.
Be graceful when you love her.
Be grateful if she loves you.

She is nature.
She bestows as nature does.
She stays in Shiv as Shakti does.

#HappyWomensDay
#HappyMahaShivRatri

Monday, February 19, 2024

मूर्ख कौन..??

मूर्ख हैं वो जो यह समझते हैं की ध्यान दूसरों को बदलने का अस्त्र है...
महामूर्ख हैं वो जो ध्यान की शक्ति का उपयोग कर कुतर्क करते हैं...

ध्यान रहे की शस्त्र उठाने पड़ते हैं तब जब कुतर्क अधर्म को जन्म देने की जुगाड में प्रयासरत दिखता है...

ध्यान रहे की ध्यान कर्म को अधर्म मानता है ना की जन्म या जात-पात या संप्रदाय को...

ज्ञात हो की स्वयं का ही मन जब कुंठा, अपवाद, अफवाह, मिथ्या, दुराग्रह, हिंसा से ग्रसित हो तो यही कुपोषित मन स्वयं को भक्षक होते हुए रक्षक मान लेने की अहंकारी भूल कर बैठता है...

सावधान रहें ऐसे दंभी, अविकसित मनरूपी पुजारी से जो देश का सेवक या चौकीदार बन मानवीय प्रेम और मानवता को अपनी नफरत के विष से शहर दर शहर डसता फिरता है...

ऐसा वाचाल और विमुख प्राणी मन की चाल चलने को अपना दायित्व या जन्मसिद्ध अधिकार समझ भड़काने के लिए सदैव तत्पर रहता है...

ऐसा भोगी सत्ता, राज, सरकार की शक्ति का स्वार्थ सिद्धि के लिए आन बान शान से दुरुपयोग करने में जरा नहीं झिझकता...

ऐसा दुशासित मन स्वयं को शाह का मुसाहिब समझ सोशल मीडिया पर कुतर्क मीडिया और उनके तथाकथित विचारकों को अपनी गोदी में बैठा कर अज्ञान और नफरत के पासे फेंकता चला जाता है...

सचेत रहें ऐसे मौकापरस्त राजनीतिज्ञों से, छलियों से, फरेबियों से जो सफेद कपड़े पहन संप्रदायों को विभाजित कर काला कफन ओढाने के दुष्कर्म से प्रेरित हैं...

सजग रहिए ऐसे फसादियों से, कट्टरवादियों से, आतंकवादियों से जो धर्म के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेकने में अत्यंत माहिर हैं...

ध्यान के नाम पर इन जैसे दानवों का ध्यान सिर्फ आम जनता की भावनाओं को उकसा कर स्वयं की लालसाओं को पूर्ण करने हेतु एक ऐसा निरक्षर समाज, ऐसा बुद्धू वोट बैंक खड़ा करना होता है जो महात्मा बुद्ध सा मनोवैज्ञानिक कभी ना बन पाए...

ऐसे विलासी मन की बात में ही मन की वो चाह छुपी होती है जो प्रभु भक्ति नहीं अपितु निर्विकसित अंधभक्ति चाहता है आप से, हम से और प्रभु से भी...

तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार
उदासी मन काहे को डरे...

*जय जय श्री राम*

Sunday, February 18, 2024

PRISTINE ROMANCE

PRISTINE ROMANCE
She was as sweet a girl as a girl could be. Her beauty was beyond verbal description and she had a distinct naughtiness in her eyes which was charming enough to provoke any gentleman to ask her out. Her hair style matched her countenance. Her walk made even the cats smile with affirmation and when she talked the bass and treble would wink with a technical curve in it. The strain on the nerves of her neck were clearly visible as her collar bones made a pit to die for. The dimple on her soft cheek reminded me of Preity Zinta but her complexion was not as fair as Preity’s but absolutely as dusky to make the sun shine brightly. Oh! What a magnificent beauty!

I was fondly playing with her during my birthday party on the terrace when I playfully asked her if she would marry me. Her response was as candid as it should be. The tone was as naïve as one could hope for. Th look in her eyes was as sparkling as belief is. Then came the most innocently romantic response in the most cheerful voice that I have ever heard. She said, “Yes….just ask my mother. There she is.”

I looked at her beautiful mother who is still our close family friend and smiled with utter admiration for that little girl sitting on my lap.

She was just 7 year old and I was 30+ but the romance was as pure and pristine as it should be. As everlasting as it ought to be.

Friday, February 16, 2024

बज़्म

गायत्री आद्रिका💞
@Gayatri_adrikaa


जो तुम आ जाते 
बस एक बार

तो ख़त्म होता इन 
नैनों का इन्तज़ार

सारे गिले शिकवे इक 
पल में दूर हो जाते

जो हम तुमसे लिपटकर 
रो लेते ज़ार ज़ार

अब सब्र बहुत हुआ, 
कितना सताओगे हमें

अब तो देना ही होगा 
हमें तोहफ़ा ए दीदार ।

~

बार-बार जाते हैं हम उस एक बार में
वादा था जहां दीदार-ए-यार का

दूर तक तकती रहती है अब भी निगाहें
इंतज़ार कभी खत्म नहीं होता

लिपटते हैं साए दो जिस्म एक जान की तरह
कसक ऐसी की मिलन नहीं होता

ना कोई गिला है अब, ना कोई शिकवा
सब्र रखने का सीमित वक्त नहीं होता

#दीवाना वारसी

Thursday, February 15, 2024

रूठे हुए को कैसे मनाया जाए..??

रूठा है तो मना लेंगे...
अपने नर्म हाथों में उसे थाम कर
दिल खोलकर उसकी तारीफ करें..
उसकी सख्ती को तंदुरुस्ती जान कर
तहेदिल से उसकी मालिश करें..
तदपश्चात जब वो बरसने लगे तो
उसके तनाव को पूर्णतः गटक लें..
सच्चे दिल से हर पल उसके साथ रहें
दामन उसका अंत तक ना छोड़ें..

(रूठे हुए को मनाने का कारगार तरीका)

#HealthyTips

Tuesday, February 13, 2024

WhatsApp Status




Status देखकर तो लगता था की सुधर गए हैं हम...,
मुद्दतों बाद जब वो मिले तो हालात पल में बिगड़ गए..!!

एक हाथ में जाम था और दूसरे में दम-खम...,
दमखम जब एक हुए तो पैमाने पड़ गए कम..!!

बस काम की बात करने के लिए ही तो मिले थे हम...,
कामातुर कुछ ऐसे हुए की दूर हुए जुदाई के गम..!!
😍😘😍

Thursday, February 8, 2024

कौन हूॅं और कैसा हूॅं मैं..??

जी हां, खूबसूरती का कायल हूॅं मैं 
बदसूरत सीरत से घायल हूॅं मैं

नादान कहो या कहो तुम मुझे ठरकी
Like करने में बड़ा ही Royal हूॅं मैं

Loyalty मेरी बड़ी ही सस्ती
Reposting का कीड़ा नहीं vial हूॅं मैं

बिंदास बस्ती और बेतकल्लुफ मस्ती
हर घड़ी धड़कता एक dial हूॅं मैं

कभी dial करके देखना मेरा नंबर
बेबाकी से लेने वाला trial हूॅं मैं 

मुझ दीवाने की नहीं कोई हस्ती 
वारसी सिलसिले की खनकती पायल हूॅं मैं

~ दीवाना वारसी

Tuesday, January 2, 2024

The Art of Parenting

Who deserves the right to parent a child - biological parents or biological grandparents and why?
Is the disciplined parenting regressive in nature?
Is the pampered parenting progressive in nature?

Yesterday evening I watched a Bollywood movie titled Shastry viruddh Shastry on Netflix.

Shastry Viruddh Shastry https://g.co/kgs/qyj6ctW

The directors and actors have done an amazing job by raising the controversial and debatable issue in the most candid way. Kudos to them.

As a teacher, I always felt the need to have a fruitful debate on the issue of the art of parenting and this film made the dream of a child come true.

Do watch this film to form your own opinion, view and perspective about the responsibility we, as parents and society, have on our shoulders.

अंग्रेजी नव वर्ष

जब; अंग्रेजी toothpaste
अंग्रेजी toothbrush 
अंग्रेजी toilet 
अंग्रेजी underwear 
अंग्रेजी trousers 
अंग्रेजी T-shirt 
अंग्रेजी shoes 
अंग्रेजी car 
अंग्रेजी days 
अंग्रेजी months आदि..
सब कबूल
तो 
अंग्रेज़ी calendar
या 
नव वर्ष ने क्या बिगाड़ा है? 
भारतीयता स्वार्थी है या हिंदुत्व कट्टर?

Monday, October 16, 2023

Holistic Education

https://www.facebook.com/reel/791829225330427/

One of the reasons for me to leave the 'school teacher job' is the autocratic, business minded and capitalistic mentality of the administrators and managements of the so called education service industry.

Pray for humanism in the society and the humanity on humanitarian grounds.

Amen
🙏🌹🙏

My erstwhile school mate, after watching the above shared video link, asked me two pertinent questions regarding education service industry in India. She knew that I did work for CBSE affiliated schools in Ujjain M.P. for a period of 10 years and hence the queries were natural, viz;
1. Is it true?
2. Are teachers and schools responsible for a weak student?

I am sharing my candid response to both the queries.

1. Yes it is true to a certain extent. True to a huge percentage when it comes to the autocratic, business minded & capitalistic mentality of School administrators and managements but certain teachers do try hard to stay aloof and away from such duels and give their best to the students. However, I find it difficult to be stoic when as a teacher I am indeed part of the whole and the system.  
The current so called education service industry which is in the high-handed hands of the renowned autocratic politicians and esteemed aristocrats does compel even a sacrosanct employee to do the job as per the philosophy of the monarchial employer.

2. Yes...upto a certain degree a teacher is certainly responsible for not nurturing the WEAK student in such a personalised or a customised way that could raise that weak student's IQ, EQ levels & grades from weak to average, above average or excellent level.
Nevertheless, parents and society share a bigger chunk of RESPONSIBILITY for a student's IQ, EQ and MENTAL status because a student spends only 6 hours of time in the school premises and just an hour or so with a subject teacher in 24 hours. Nonetheless, the same student spends larger chunk of time (16 to 18 hours in a day) with parents and society and hence they can't shrug their shoulders from their quota of 'child status responsibility' by just paying the school fees on time. 
Raising a upbringing a child is a much more vital task than just reproducing a child on the transient urge of basic or natural instincts.
Art of Parenting is as much significant as is the Art of Teaching. Both go hand-in-hand to nourish the offspring in order to make a world class citizen and humanitarian earthling out of a baby.

Saturday, October 14, 2023

ज़ुबान

ज़ुबान जब कैंची की तरह चले तो अच्छे-अच्छों की हड्डी-पसली एक कर जाए,

चटखारे ले ले कर जब वो चले तो भांति-भांति के स्वर और व्यंजन चखा जाए,

ज़ख़्म पैदा भी करे है कटीली ज़ुबान और वैद्य बन ज़ख्मों को सहलाए भी,

उत्तेजना भी पैदा करे है रसीली ज़ुबान और आशिक़ को चिढ़ाए भी,

दांतों में कुछ फंस जाए तो बेचैन हो उठती है ज़ुबान और उन्हीं दातों से कट जाए भी,

ज़ुबान ज़ुबान का फर्क कह लीजिए इसे या कहिए इसे हर ज़ुबान की अपनी अलग दास्तान या प्रथक पहचान,

कहे कबीर सुनो भाई साधो, साधो ऐसी ज़ुबान जो औरन को शीतल करे आपहूं शीतल होई जाए, मोल करो तलवार का पड़ी रहन दो म्यान।

Monday, August 28, 2023

TEACH ME NOT 🚫

"Which school are you working for now-a-days, Sir?"

This happens to be the most common question that my ex-colleagues and students often ask me through social media channels. Often, my candid response to this concerned query is that now-a-days I am working with my own school of idealistic and utopian thoughts to find a way to stay out of conflicts and called names for being an antiestablismenterrainist.

"Why don't you join some good and renowned school and help children the way you do, Sir?", is the next open-ended question.

My response, which I hope LinkedIn and the job providers and facilitators would duly note before they propose me a plum job in a good school, goes like this:

During my 15 years tenure of being an English teaching faculty as a Trained Graduate Teacher and Post Graduate Teacher in various CBSE affiliated private schools, I have had enough of autocratic, high handed, arbitrary, oppressive, boastful, business minded, capitalist, monarchial, incompetent, selfish attitude from such schools, their aspiring administrators and rude directors to run out of derogatory adjectives and finally bid goodbye to them and their obnoxious premises.

So, please do find a real good employer, who is awesome and has earnestly overcome the evil and feeble tendencies of their own powerful mind to rule their kingdom as a Guru and not as an anarchist, for a robust, ravenous, rambunctious, volatile, firebrand and rebellious employee like me who does possess an open mind to analyse the reality and is not at all narcissistic or possessed by his cynical or prejudiced theory about the elite class of capitalistic educationalists in India.

It would be a pride to work for a really good employer in real sense.
😃🙈🙉🙊😃

What about you?

मन की बात


तमाम "रेखाओं" और "सीमाओं" के पार तह-ए-दिल से हम उनके क्या हुए...,
तौबा-तौबा, क्या-क्या सितम, क्या-क्या जुलम हम आशिकों पे कायम ना हुए..!!

मनीष उनके मन के ईश क्या हुए...!!

उनके मन की बात भी चुपके से कह ही देते हैं
बात सच्ची हो या झूठी वो तो बस चुप ही रहते हैं

कहने को बहुत कुछ है पर किससे कहें, कितना कहें और क्यों कुछ भी कहें हम...,
कब तक युॅं ही खामोश रहें और सहें हम..!!

Oh my Man ♂️ is a Bad Kase, isn't it?

Friday, August 18, 2023

Happiness is a state of mind

Happiness is not necessarily the absence of sufferings... 

It is the presence of peace of mind...

Being children of love, we need not learn or be taught how to love or make love, do we?

But,

We do learn the lessons of hatred from the society. Our mind teaches us how to hate, doesn't it?

Similarly,

Peace is natural and comes naturally to us if we possess a loving and beautiful mind

But,

The same possessive mind can repulsively teach us to stay in the conflict state.

Friday, July 7, 2023

प्यारी प्यारी माॅं

आज ७/७ हैं माॅं
हम साथ-साथ हैं माॅं
पुष्पा-अशोक है तो मनीष निधी है,
ईश ईशान है तो ईशा सुधीर है,
मेधना प्रेम की कल-कल बहती थी, बहती है और बहती रहेगी माॅं,
तेरे आशीष की वर्षा हम सभी पर युॅं ही सतत बरसने दे माॅं...
प्यारी माॅं...
🙏🌹🙏

Wednesday, July 5, 2023

मोतियों की गाथा

एक दुर्लभ मोती की जबानी...

कभी आज़ाद थे हम,
समुद्र के अंश थे हम,
उठाया गया, चुना गया,
छेदा गया, भेदा गया,
फिर पिरोया गया हमें

एकजुट तो हुए पर धागा कमजोर हो तो टूट कर बिखर जाने का डर सतत सताता रहता है हमें 

अब एक महीन धागे में वर्षों से एकसाथ बंधे हुए हैं हम...
सजाने-सॅंवारने के काम तो आते हैं पर गले लगाने के बाद उतारे भी जाते हैं हम,
दिल से उतर कर फिर किसी संदूक में कैद हो जाते हैं हम...

जी हाॅं, कहने को तो नायाब मोती कहलाते हैं हम,
पर असल में किसी बंधे हुए मजदूर से कम नहीं हैं हम,
सामंतवाद, पूंजीवाद, लाल फीताशाही की कसम,
माॅं कसम...

वंदे मातरम् 
🙏🌹🙏

Friday, June 30, 2023

Man is Bad Kase: Mind rules

खुद को बुरा कह दो तो कई सारे लोग यूँ ही बेकार हो जाते हैं
हम असुरों को ये देवता लोग मुँह नहीं लगाते हैं
बस..अमृत चुरा कर दौड़ लगाते हैं
महादेव बेवजह ही नीलकंठ हो जाते हैं... 

https://www.amazon.in/MAN-BAD-KASE-manish-badkas-ebook/dp/B00AQGM4S4 

Saturday, May 27, 2023

आकर्षण और समर्पण की तहकीकात

उन्होंने इतरा कर कहा की *आकर्षण तो कहीं भी हो सकता है पर समर्पण कहीं एक ही जगह होता है*।

हमने जब मासूमियत से पूछा की जरा हमें भी तो बताइए की *किस किस जगह आकर्षण होता है और किस एक जगह समर्पण होता है* तो घबरा कर बोले की आपको भी पता है और हम भी जानते हैं।
हमने फिर ईमानदारी से जानना चाहा की जरा खुल कर बताइए की हमें क्या पता है और आप क्या जानते हैं तो कहने लगे की आप नहीं जानते क्या।

अब कैसे बताते हम उन्हें की हमारे पता होने में और उनके जानने मानने में जमीन आसमान का फर्क भी तो हो सकता है...

सो पैगाम लिख भेजा की;

मेरे देखे से तो *आकर्षण* सूरत-सीरत, पद-नाम-दौलत, मन-जिस्म-रूह, शबाब-शराब-कबाब, कला-बला-धरा, अदा-वफा-जफा, मान-सम्मान-ध्यान, जवानी-मोहब्बत-जुनून, इत्यादि का हो सकता है पर *समर्पण* तो सिर्फ कब्र-शमशान-चिता पर ही होता है 😊

या

*आकर्षण* तो आंखों का, जुल्फों का, लबों का, गालों का, सूरत का, गर्दन का, कांधों का, उरोज को, खम का, नाभी का, नितम्ब का, जांघों का, हाथों का, पैरों का, कमर का, पीठ का, आदि आदि का हो सकता है पर लिंग का *समर्पण* तो सिर्फ योनि में ही होता है 😜

ये भी लिख कर इत्तिला दी की ये तो हुआ मेरा सत्य-तथ्य-ज्ञान, जनाब पर अब जरा आपकी जानकारी से भी हमारी मुलाकात करवा दीजिए, हुजूर...

उनके जवाब के इंतजार में बैठे हैं अब तलक हम की उनकी नज़र में मामला संगीन भी है और विचाराधीन भी।

देखते हैं किसकी पैरवी कर किसके हक़ मे फैसला सुनाते हैं मेरे सरकार।

Thursday, April 6, 2023

WhatsApp Democracy under scrutiny

All the members and admins of WhatsApp groups in general & Indians in common are hereby advised to post no political or religion based comments in the ambush of nationalism or favouritism or idolatry in this WhatsApp group please...🙏

We all are free to opine about the national, political, religious, financial, economic, social, virtual or real state or status of India & Indians but this freedom doesn't give us any right to float or propogate our personal views, opinions or perspectives on a family based social group. Responsibility comes hand in hand with freedom. Especially so, if the purpose behind the formation of the group is to stay connected or United in spite of cultural, linguistic, religious, political and many more differences. UNITY IN DIVERSITY is what Whatsapp consciously appeals for.

We have so many other platforms and groups where we can satiate our desire or habit to bring up such argumentative & questionable issues alongwith the resultant fiery discussion and inbuilt feeling of vengeance and animosity to nourish our "I am more righteous than you" attitude or behaviour. I don't think that's our hidden agenda behind formation of such a lovely group or nation, is it? 
We ask this humble question with folded hands 🙏 to not only the Honourable Admins of the group but also the respectable and learned members of the group.

Your answers (whether typed in your group or posted on WhatsApp  personal number) shall definitely help WhatsApp and enlighten us in better understanding of the reality of our existence and journey as a social media company as a human soul not only in this group but also as a benevolent homo sapien on planet Earth.
Kindly do the needful and oblige.

Friday, March 31, 2023

बाजारू औरतें और दिलफेंक मर्द

इन्हीं बाजारू और दिलफेंक औरतों/मर्दों ने, जी हां इनके ही अंग प्रदर्शन ने, इनकी ही वैश्यावृति ने, इनके पोर्न क्लिप्स ने ज्यादातर भारतीय मर्दों/स्त्रीयों को आशावान और भारतीय विवाहित जीवन को धैर्यवान, मूल्यवान, संकल्पवान बनाए रखा है। बाकी का बचा हुआ सबकुछ ठीक-ठाक होने के दिखावे का काम हम अपने ही हाथों और कल्पना शक्ति के दम पर स्वयंभू हो अर्जित कर लेते है। स्खलित भी हो जाते हैं, संतुष्ट भी और कामोन्माद orgasmic भी।

भारतीय मर्द हो या नारी सब की एक ही कहानी है। संबंध विवाह पूर्व हों या हों विवाहोत्तर अधूरापन जैसे सबकी निशानी है।

ऐसा शायद इसलिए की बिना शर्त प्रेम (Unconditional Love) नाम की चीज का अस्तित्व ही नहीं है इस स्वार्थी जगत (Selfish/📱 Cellfish World) में। आभासी वास्तविकता और आभासी मिलन (Virtual Reality & Virtual Meetings) इस आधुनिक जगत की जैसे एक तकनीकी जरूरत बन चुकी है। चाहिए तो सबको सच्चा प्रेम ही होता है पर देने के नाम पर ला ला प्रवृत्ति आड़े आ जाती है। अक्सर तो हम प्रेम हम करते हैं - जबकि प्रेम हो जाता है। फिर इस व्यापारिक संबंध को, जिसे हम दिल के खुश रखने को प्रेम कहते हैं, करते भी हैं तो जिस्मानी, मानसिक, सामाजिक, वित्तीय या कोई और सुख पाने के लिए - सुख देने के लिए तो कदापि नहीं। देने की तो बात ही ना कीजिए साहब बस आने दीजिए। भगवान भी मिल जाए तो अच्छा है वरना धन चाहे काला हो या सफेद - क्या फर्क पड़ता है जी? जिसकी लाठी उसी की भैंस।

प्रेम आनंद देने की भावना से ओत-प्रोत हो तो परम आनंद, चरम आनंद, परमानंद या सच्चिदानंद की स्थिति में भी पहुंचा सकता है - ये तो जैसे हम भारतीय दिमाग के कीड़ों को समझ ही नहीं आता। या..शायद समझ में तो आता है पर ऐसी निस्वार्थ पहल करने वाला/वाली मूर्खता कौन करे? मैं तो दे भी दूॅं ऐसा निस्वार्थ प्रेम पर सामने वाले/वाली ने कबूल ना किया या मोल लौटाया नहीं तो?

प्रेम के जगत में सारा खेल भावना या नियत का है। किस भावना से प्रेम दिया या लिया, खाना पकाया या खाया ज्यादा महत्वपूर्ण है बजाए इसके की किसको दी या किसकी ली, कितनी बार ली या कितनी बार दी। कब और कहाॅं से ज्यादा मोल किस भावना और कैसी नियत के चलते प्रेम का आदान-प्रदान संभव हुआ का अर्थ है।
पाने के लिए दिया..??
या
दे कर ही पाया..??