Monday, July 26, 2010

जाने क्यूँ...




तुम सुन लो ना...
प्लीज़...
मेरे बिन कहे ही
वो..
जो मैं सदियों से कह-कह कर भी कह ना पाया....!

ना ना..!
ये नहीं की तुम्हारे-मेरे
कहने-सुनने में कोई कमी-पेशी थी..,
जाने क्यूँ मगर रह गई वो बात
फिर भी अनकही, अनसुनी...........
जाने क्यूँ मगर ख़ामोशी ने
फिर एक बार युगल-गीत ही गाया....!

इधर सुलगा किया सूरज
उधर चाँद रोशन रहा,
जाने क्यूँ मगर मिलन उनका
ग्रहण ही कहलाया....!

रात और दिन की चोरी
एक दिन पकड़ी गई,
जाने क्यूँ मगर अदालत ने
सर-ए-शाम ही अपना फैसला सुनाया....!

सुख ही सुख की चाहत देख
दुःख रहता है उदास,
जाने क्यूँ मगर ज़माने में
कोई उन्हें जुदा ना कर पाया....!

आदत है हमें इसे अच्छा
और उसे बुरा समझने की,
जाने क्यूँ मगर इंसान
कभी एक-राय ना हो पाया....!

ज़िन्दगी जब भी मिली मौत से
डर-डर के ही मिली,
जाने क्यूँ मगर गलबहियां उनकी
'मनीष' समझ ना पाया....!

Thursday, July 22, 2010

They say that a picture is worth more than a thousand words...



Thursday, July 15, 2010

तिशनगी

सवेरे-सवेरे..
हाय !
यूँ ज़िक्र ना ला तू अंगूर की बेटी का..,

रात भर ये कह ना उतरी शीशे में
की..
छलकते पैमानों में छलकने की मुझे इजाज़त नहीं..!!



ना पैमाना खाली कर सके
ना बदल पाए मयखाने के दस्तूर..,

तिशनगी मगर ये कह जिंदा रही
की..
डूबते हुओं को डुबाने की मुझे इजाज़त नहीं..!!



साकी से की जो इल्तजा
मुफीद प्यास बुझाने की..,

हँस के वो कहने लगी
की..
पियक्कड़ों को और पिलाने की मुझे इजाज़त नहीं..!!



दायम निकाले गए हम
यूँ जन्नत से अलसुबह..,

ज़िक्र फिर ले आये तुम तो हमने भी कहा
की..
मयखारों को कब मयक़दे जाने की इजाज़त नहीं..!!



कभी तो तरस आ ही जायेगा
उसे हमारे हाल पर..,

सुना है हमने
की..
ताउम्र तड़पते को तड़पाने की उसे भी इजाज़त नहीं..!!



गुनाहगार हूँ में जब उसका अज़ल से,
किस तरह बक्शवाऊं फिर गुनाह मैं अपनी अकल के,
सुना है के वो बड़ा रहीम-ओ-करीम है,
बक्श्ता क्यूँ नहीं फिर वो गुनाही के अमल से..


वाजिब है उनका हमें यूँ नाफ़हम कहना,
मजाक नहीं यूँ खुद को
खुशफ़हमी और ग़लतफहमी में गाफ़िल रखना..