Monday, March 21, 2011

सच्ची इबादत..मौन प्रार्थना..





वो सदा से
फकीरों की झोली में ही मिला है...
क्या कीजे
इश्क कुछ न चाहने वालों का सिल-सिला है...

मांगते ही कुछ
पराया हो जाता है वो..,
भिकारियों को कब मगर माँगने से गिला है..!!

देता है वो
जो है मेरे हक़ में..,
हक़ वालों को कब मगर नसीब का मिला है..!!

करता है
हर मुराद मेरी वो पूरी..,
मुरीद का कब मगर दूजा कोई किला है..!!

दे दिया उसने
सब कुछ बगैर मन्नत माँगे ही..,
क्या पता किस नमाज़ी की दुआओं का मगर ये सिला है..!!

मनोकामनाएँ पूरी करने को
पूजता-पुजवाता है पुजारी..,
हरे-हरे नोटों से कब मगर दिल में हरी खिला है..!!

ख्वाहिशों की फेहरिस्त
हम तलबगारों से भी लम्बी..,
आफ़ताब कब मगर हमारे अरमानों से जिला है..!!

माना के
दुःख, दर्द, तकलीफ है 'मनीष'..,
ज़ीस्त कब मगर बस एकरंगी हला है..!!







Wednesday, March 16, 2011

SPOILT FOR CHOICE...by choice


दिल-ओ-दिमाग के बीच जंग है जारी
जज़्बातों पे अक्ल पड़ती है भारी
खड़ा बीच बाग़ के 'मनीष' परेशान
इसे चुन ले तो उस से गद्दारी...




SPOILT FOR CHOICE...by choice
 

Good and Bad..
Morning & Evening..
Day and Night..
Silence and Screaming..
Life and Death..
Luck and Mis-fortune..
Health and Disease..
...
...
...
and
in fact every other thing
that exists in Life...
comes in a duo,
comes in a pair.

By choosing one,
we automatically choose the other side of the coin too...

By preferring one over the other,
we invite Pain..

Accepting each moment of life AS IT IS,
with Love and Gratitude,
is to Live life as one big God Day..
in Bliss..

Choose good but do not reject bad..
Welcome morning but do not regret evening..
Celebrate day but do not abhor night..
Learn to be silent but do not forget to scream..
Live life but do not fear death..
Thank luck but do not blame mis-fortune..
Love health but do not hate disease..

Because..
in truth, what is one without the other..?

Nitsche tells us
"THE OTHER IS THE DOOR TO HELL"

Shankar is a step ahead when he says
"THERE IS NO OTHER"

Osho summarises it practically to say
"IT IS THE FEELING OF OTHERNESS THAT IS THE DOOR TO HELL"



Man, by his own choice, is a bad case...isn't it?

Wednesday, March 9, 2011

महत्वाकांक्षा

 आजकल सब मुझे शक की निगाहों से देखते हैं
पास जाऊं तो बेवजह बिदकते हैं
गोया मैं कोई बिमा एजंट हूँ
देख मुझे यूँ धीरे से खिसकते हैं.....

माना के हम गायक हैं
कुछ कम ही सुनने लायक हैं
थोडा सा गुनगुना भी न सकें
क्या इतने हम नालायक हैं.....

अच्छा जी..!!
अब मैं समझा की लोग मुझसे इतना क्यूँ बिचक रहे हैं
उन्हें लगता है की हम भी कोई रिकॉर्ड तोड़ने निकल रहे हैं
मत डरों यारों, हम नहीं इस दौड़ में शामिल
ये गीत तो बस....यूँ ही निकल रहे हैं.....


Monday, March 7, 2011

Oh girl...Oh girl - सोचो...



Oh girl...
Oh girl...
Why do you want to be just like boys...???
Why do you seek equality from men...???
Don't you know
that
You are unique in just the way you are...!!!
What makes you so beautiful
is the fact
that
you are just you...!!!
not this, not that
but
the real original you...!!!
Hope. you know you
Trust, you trust you.
Oh girl...
Oh girl...
Why do you wanna imitate men...???
Why do you wanna compete with someone you complete...???
Don't you know
that
we boys play with destructive toys...!!!
As you lovingly create our homes
&
worlds
worthy enough to be lived...!!!
Hope, you believed
Trust, you relieved.

सोचो...

सोचो गर चाँद सूरज होना चाहे तो क्या होगा..!!
हर फूल गुलाब होना चाहे तो क्या होगा..!!

छा जाएगी हर सूं एक गहरी उदासी,
औरत के जिस्म में भी गर मर्द होगा..!!

हर स्वाद लगने लगेगा बेस्वादु,
सेब-ओ-संतरों में गर एक ही रस होगा..!!

शोर से लगने लगेंगे ये गीत-ओ-ग़ज़ल,
सात सुरों का गर ना सरगम होगा..!!

जाने क्या होगा इस क़ाएनात का हश्र,
चेहरे-चेहरे में गर ना कोई फर्क होगा..!!


और फिर ये भी तो है की ;


रोज़ मिलें, बात हो, साथ हो...
ये जरुरी तो नहीं..
फूल खिलें, मौसम हो, बरसात हो...
ये जरुरी तो नहीं..

ज़िन्दगी चलती रहती है हर वक़्त यूँ ही,
हम हों, तुम हो, जज़्बात हो...
ये जरुरी तो नहीं..

आँखों से भी तो ज़ाहिर हो जाती है दिलों की ख़ुशी,
उत्सव हो, गीत हो, नाच हो...
ये जरुरी तो नहीं..

यूँ बेवजह भी तो हो सकते हैं ये कुदरत के खेल,
मकसद हो, पंख हो, परवाज़ हो...
ये जरुरी तो नहीं..

ना जाने क्यूँ जीए जाते हो अब तुम 'मनीष',
सांसें हों, दिल हो, धड़कन हो...
ये जरुरी तो नहीं..




Friday, March 4, 2011

मुलाक़ात...

खुद पिलाते नहीं
वो एक कतरा भी
अपने पुरनूर मयखानों से
और
बुझाने जाऊं जो मैं अपनी तिश्नगी
ज़माने की शराबों से
तो
तेवर दिखलाए जाते हैं
मुझे कुछ इस कदर
की
जी भी न सकूँ...!!



ऐसा नहीं की यकीन तुम्हारी कोशिशों पर नहीं,
कशिश मगर होती कोशिशों से कम नहीं..!!

एहसासों को दरकार होती है एक रूहानी मुलाक़ात,
फिर चाहे वो एक लम्हे की भी हो तो ग़म नहीं..!!

कशिश मगर होती कोशिशों से कम नहीं...

यूँ बँट-बँट कर हिस्सों-हिस्सों में न मिला करो हमसे,
मुलाक़ात तो होती है पर होती आँखें नम नहीं..!!

कशिश मगर होती कोशिशों से कम नहीं...

कुछ सुर तुम लगा लेते हो, कोई साज़ हम छेड़ देते हैं,
हासिल एकसाथ मगर हमें मक़ाम-ए-सम नहीं..!!

कशिश मगर होती कोशिशों से कम नहीं...

कभी तो सब कुछ भूल कर मुझसे मिलो मेरे हमदम,
कह सकूँ मैं दम से के बस...अब जीने में दम नहीं..!!

कशिश मगर होती कोशिशों से कम नहीं...

ये जल्दबाजी, ये घबराहट, ये दीन-ओ-ईमान के फलसफे क्यूँ,
"मन इश" ही तो है कोई एटम बम नहीं..!!

कशिश मगर होती कोशिशों से कम नहीं...

Wednesday, March 2, 2011

MAHASHIVRATRI




Mahashivratri is an ecsatic celebration of masculine creative power of Shiv merging in perfect harmony with the feminine creative energy of Shakti. The union of ShivShakti is bliss to life.

Shiv-Shakti abound each and everything that is.

Needless to add that it is present in equal measures in each one of us too. We just need to consciously fine tune or balance the supra natural powers in us by finding our own ways to be in peace and bliss.

Life then is a perfect symphony...