Wednesday, June 26, 2013

रायचंदी - unsolicited advice

रायचंदी 

मेरे मित्र ईश् ने कल रात एक अनजान एवं अनाम महोदय/महोदया द्वारा टंकित sms फॉरवर्ड किया था। आपकी अंतरात्मा को कचोटने हेतु प्रस्तुत करता हूँ :



मैंने पुछा 
हे केदारनाथ !!
भक्तों का क्यों नहीं दिया साथ ?
खुद का धाम बचाकर 
सबको कर दिया अनाथ।
वे बोले
"मैं सिर्फ मूर्ती या मंदिर में नहीं 
पृथ्वी के कण कण में बसता हूँ
हर पेड़, हर पत्ती,
हर जीव, हर जंतु 
तुम्हारे हर किन्तु, हर परन्तु में बसा हूँ 
हर सांस में, हर हवा में,
हर दर्द में, हर दुआ में...
तुमने प्रकृति को बहुत छेड़ा 
पेड़ों को काटा, पहाड़ों को तोड़ा 
मुर्गी के खाए अंडे 
कमजोरों को मारे डंडे 
खाया पशु-पक्षियों का मांस 
 मेरी ही हर बार तोड़ी तुमने साँस 
फिर आ गए तुम मेरे दरबार में 
मेरा ही अपमान करके 
मेरी मूर्ती का किया सत्कार 
हे मूर्ती में भगवान् को समेटने वालों 
संभल जाओ अधर्म को धर्म कहने वालों 
करते हो हिंसा और फिर पूजा
अहिंसा से बढ़कर नहीं कोई धर्म दूजा 
मेरे नाम पर अधर्म करोगे
तो ऐसा ही होगा 
दुसरे जीवों को अनाथ करोगे 
तो मंजर इससे भीषण होगा।"

इस बेतुके मशविरे का हमने भी दिया फिर एक बेतुका सा ही जवाब
आप ही पढ़कर कहिये की कैसा लगा जनाब?

आदरणीय साहब/साहिबा !!
और सबकुछ तो खैर आपने 
लिखा एकदम खरा-खरा है  
पर 
अंडे-मांस-मछली को
साग-फल-सब्जी से पृथक करके 
अलग-अलग देख
ये भी दिखा दिया हमें आपने ही 
की
आपके मुख से या कलम से 
  हमारे अद्वितीय प्रभु नहीं
अपितु 
आपका ही सिमित मन बोला था   
 आपकी सोच में अद्वैत का अधुरा ज्ञान धरा है 
अद्वैत का भान अभी आपको पूर्णतः नहीं फला है
मित्र तुम, सखी तुम, सखा तुम 
  अहिंसा को परमोधर्म मानने वाले 
इंसान तो लगते हो बड़े ही प्यारे 
पर 
लगता ये भी है 
की 
परमपूज्य इश्क अभी उतरा नहीं आपकी अंतरात्मा के द्वारे
ढाई आखर प्रेम को 
अब तक ना आपने 
खुदी को कूट कूट कर 
खुद के भीतर भरा है
कागजी ज्ञान सदा ही रह जाता 
प्रेम-ध्यान के आगे धरा की धरा है 
रघुकुल रित सदा चली आई 
प्राण जाई पर वचन ना जाई 
एक सच्चा भक्त और एक सच्चा भारतीय 
सच्चे दिल और सच्चे कर्मो से 
निभाता आया यही संस्कार 
और सच पूछो तो 
यही सच्ची परम्परा है।

।। सत्य मेव जयते ।।

मन is bad case....isn't it?

Sunday, June 23, 2013

राधे-कृष्ण, राधे-कृष्ण, राधे-कृष्ण


राधे-कृष्ण, राधे-कृष्ण, राधे-कृष्ण

इस ना-कुछ को "सबकुछ" की झलक नहीं ना मिली है अबतक ...,
सुना है,
शून्य होते ही 'ना' के और 'कुछ' की चाह के,
'सबकुछ' प्रगट होता है वहाँ,
"पूर्ण" विराजमान सदा से जहाँ ..!! :-)

मन is bad case....isn't it?

Friday, June 21, 2013

MAN IS BAD KASE: कौन देख रहा है किसे??

MAN IS BAD KASE: कौन देख रहा है किसे??: यह संदेश, यह लेख लिखा जा रहा है  तमाम अच्छे  एवं चुनिन्दा  पत्रों में आज छपे इस समाचार के सन्दर्भ में जो हम पाठकों के ये बताता है की भा...

Man is bad case....isnt it?

कौन देख रहा है किसे??



यह संदेश, यह लेख लिखा जा रहा है  तमाम अच्छे  एवं चुनिन्दा  पत्रों में आज छपे इस समाचार के सन्दर्भ में जो हम पाठकों के ये बताता है की भारत सरकार है कि आपके फ़ोन की बातचीत पर, एसएमएस पर व इ-मेल पर कोई एक 'नज़र' रखे हुए है। इसका मतलब है की अप्रैल 2013 से केन्द्रीय निगरानी प्रणाली शुरू कर दि गई  है। इस निगरानी प्रणाली को टेप करने के लिए एक तकनिकी जासूस की तरह आपके खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत सरकार इसकी मदद से आपके ब्लॉग पोस्ट, LinkedIn पोस्ट, आपके फोन कॉल, आपके ई - मेल सामग्री, आपके फेसबुक अपडेट, आपके चहचहाना tweets आपका वेबसाइट विचरण आदि तमाम गतिविधियों को आपके खिलाफ एक सबूत की तरह रिकॉर्ड किया जा सकता है।

मानवाधिकार संगठन निजता के अधिकार के उल्लंघन का मुद्दा उठा रहे हैं। वे इस तकनीकी जासूसी और इस निजता के मानव हक के उल्लंघन हेतु रची गई इस केंद्रीय निगरानी प्रणाली के उपयोग के खिलाफ विरोध कर रहे हैं और इस व्यवस्था का आपराधिक दिमाग द्वारा दुरूपयोग किये जाने की निसंदेह संभावना के बारे में वास्तव में ना केवल खुद डरे हुए हैं अपितु ये डर हम पाठकों के मन में भी डाल रहे हैं।

यह सच है लेकिन एक ईमानदार व्यक्तित्व को, कानून का पालन करने वालों  को, नैतिक रूप से धर्मी और पूर्णतः मुक्त, प्यार, देशभक्ति संरक्षक भारत के नागरिकों को इस प्रणाली से दर कर जीने की कोई आवश्यकता ही नहीं है। आपराधिक दिमाग व्यक्तियों या बुद्धिजीवियों को सही करने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए इस सुधारात्मक कदम के बारे में चिंता करने या डरने की जरूरत नहीं है - डरे वो जो पापी हैं। एक तरह से देखा जाए तो यह हमारी भारत सरकार ने हमें इन बदमाश जानवरों या ब्लैकमेलरों से और उनके जुल्म से सुरक्षित रखने में मदद करने के लिए एक लाजवाब कोशिश की है। हमें भारत सरकार की  ऐसे अपराधियों की पकड़ कर पाने के लिए ना केवल मदद करनी चाहिए अपितु यह भी करना चाहिए की हम सार्वजनिक रूप से इस तरह के एक साहसिक और भविष्यमुखी कदम उठाने की भरसक सराहना करें।

हम वर्तमान भारत में लगभग 12 करोड़ इंटरनेट प्रयोक्ताओं को ये सन्देश ना केवल पक्षपाती साधारण मीडिया और उनके संपादकीय पुरुषों को भेजना चाहिए अपितु भारत सरकार और उसके अधिकारियो को भी ये सराहना संदेश ज्यादा से ज्यादा मात्र में भेजने का संकल्प लेना चाहिए।

बोलिए लेते हैं आप मेरे साथ ये भारत कल्याण का संकल्प ?

आप लोगों से इस सन्देश को वास्तव में जीने के लिए या इस संकल्प को लागू करने या इस पोस्ट साझा करने के लिए मेरा विनम्र अनुरोध है। मेरे अनुरोध को सम्मानित करके मेरी मदद करें। अगर यह संदेश स्वचालित रूप से भी सबसे बेईमान, कानून तोड़ने, अनैतिक, मन दास, नफरत, उत्पीड़क और भारत के भगोड़े नागरिकों तक पहुंच जाए तो कहना ही क्या। कहने की जरूरत नहीं कई लोगों के रूप में हम साथ-साथ इसकी एक अटूट कड़ी के रूप में हम पुरजोर तरीके से अपने दिव्या भारत के स्वप्न को संभवतः साक्षात कर सकते हैं।

चिंता मत कीजिये, मैं निश्चित रूप से आप लोगों का मेरे अनुरोध का सम्मान करने या नहीं करने का चुनाव जान्ने के लिए लालाल्यित हूँ क्यूंकि इस कृत्य से ना केवल मुझे अपितु आपको भी अपनी मौलिकता की असली पहचान हो जाएगी। कमसकम , स्वयं के बारे में एक प्रामाणिक संकेत तो मिल ही जायेगा …नहीं ??:-)

हाँ ... भारत की आपराधिक मानसिकता के लोगों को ये जान लेने की जरय्रत है की हम सच्चे भारतीय भारत के ही आपराधिक प्रवृत्ति अपना कर रातोंरात अमीर हुए लोगों के खिलाफ एक क्रूर युद्ध के लिए तैयारी कर रहे हैं।
हाँ ... उन्हें हमारी नैतिक ताकत या अच्छाई हमारी कमजोरी या एक सामाजिक वर्जना नहीं समझने के लिए प्रेरित करने का यह बिलकुल उचित समय है।

अब सन्देश:

तो क्या ... अगर तुम एक उच्च तकनीक द्वारा मेरे पाठ संदेश, मेरे ईमेल, मेरे ब्लॉग पोस्ट, मेरे चहचहाते tweets, मेरे अमेरिकन प्लान या मेरे फेसबुक के अपडेट देख सकते हो या तो क्य…गर तुम्हारे पास मेरे फोन कॉल टेप करने की सुविधा है या मेरे फोन का विवरण दर्ज करने के लिए निगरानी संस्था है?

तुम अब भी मुझे नियंत्रित करने, मुझे डराने-धमकाने, मुझे अपने निर्मम वश में करने लायक नहीं हुए हो और ना ही मुझे क्रूस पर चढ़ाने का कोई वैश्विक अधिकार है तुम्हारे पास।

आप जानना चाहते हैं - ऐसा क्यों ..?

ठीक है..
विनम्रतापूर्वक मैं आप के साथ कुछ बहुमूल्य तथ्य साझा करता हूँ ...
यह इसलिए है स्वतंत्र भारत के मेरे प्रिय नागरिक जनों क्योंकि मेरे पास इन कारणों की n माने असीमित संख्या है।
खैर, मुझे आप के साथ उनमें से कुछ तथ्यों की हिस्सेदारी जरुर करनी चहिये…नही ?
आप पसंद करते हैं या नापसंद करते हैं इन तथ्यों को ये आपकी स्वेच्छा है लेकिन मेरे लिए ये मोजास को दि गई दस आज्ञाओं से कमतर नहीं है। आज के समय में तो बिलकुल भी कम नहीं :


  1. मेरा कोई रहस्य नहीं है। मेरा जीवन सभी के लिए एक खुली किताब है।
  2. मैं कर्म करने के बाद में स्वयं को दोषी महसूस करूँ या उन स्वेच्छा से किये गए कर्मो के बारे में शर्म महसूस करने की जरूरत नहीं समझता क्यूंकि वे कर्म मेरे अंतरात्मा की आवाज़ के अनुसार गोपनीय रखे जाने वाले या पाप के कृत्य कदापि नहीं हैं। और ना ही मैं उन कर्मों में सदैव लिप्त रहने की मनोकामना रखता हूँ।
  3. मैं, वरदान के रूप में मुझे बख्शे गए इस जीवन को अपनी इच्छा अनुसार जीने के लिए उतना ही स्वतंत्र हूँ जितने की आप।
  4. मुझे प्यार का एक अतुलनीय सुरक्षा कवच प्रदान किया गया है जो म्सदैव मेरे साथ एक साए के रूप में रहता है। यह एक आशीर्वाद दिया गया है मुझे। आप संक्षिप्त रूप में इसे मेरी किस्मत भी कह सकते हैं
  5. सर्वशक्तिमान ने मुझे गलती से कुछ गलतियां करने या सरासर अज्ञानता में आपे से बाहर होकर किये गए गुनाहों से मुझे मेरे रहमदिल खुदा ने मुझे माफ़ी देने का वादा किया है। शर्त सिर्फ इतनी है की मैं तहे दिल से अपने गुनाहों की माफ़ी मांग लूँ।
  6. मैं विधिवत तरीके से जान बूझकर और तहे दिल से उसके सामने अपने किये के लिए माफी माँगता हूँ की ए मेरे सर्वशक्तिमान प्यार से भी की गई  मेरी बेरहमीयों से और जानबूझकर किये गए पापों को क्षमा कर।
  7. मैं घुटने टेक कर और एक शुद्ध भावपूर्ण इरादे के साथ अपने गुनाहों की माफ़ी माँगने के पलों को कभी भी विस्मृत नहीं करता।
  8. मैं अपने सारे कर्म भगवान को समर्पित करता हूँ। स्वेच्छा से और ध्यानपूर्वक किये गए कर्मों का खुद को सिर्फ भागीदार ही नहीं अपिटी पूर्णतः जिम्मेदार भी समझता हूँ। मेरे सुप्रीम भगवान के रूप में आप सब लोगों के शारीर में साक्षात विराजमान हैं और इसलिए मैं आप सबका भी अत्यंत सम्मान करता हूँ।
  9. शिव शक्ति से नवाज़ा गया हूँ मैं। उन्होंने संसार की बुरी शक्तियों से ना केवल निपटने के लिए अपितु उनके साथ  लड़ाई, झगड़ा या दुनियाभर की शैतानी दिमाग वाले शैतानी इंसानों या शक्तियों के साथ एक आध्यात्मिक युद्ध जुटाने के लिए प्रचुर मात्रा में साहस, युद्ध कौशल और अच्छी तरह से उचित धर्म के साथ मुझे आशीर्वाद दिया है। हाँ, मैं ZORBA, THE BUDDHA हूँ। बाहरी जगत के लिए एक सक्षम योद्धा और आतंरिक जगत में एक निपुण ध्यानी।
  10. अन्त में लेकिन अंततः कदापि ही मत समझना की तुम इतने बुरे हो के तुम में ईमानदारी के प्रति समर्पण भाव तो क्या तुम में प्रेम के प्रति श्रद्धा-सबुरी का भाव भी विकसित नहीं हो सका है और ये सब इसलिए की तुम अपनी स्वयं की इच्छा से ही एक दुष्टात्मा भावना के कब्जे में हो। उपरोक्त बयान से किसी की जड़ को समझने का या उसे अपने काबू में करने के लिए जिस प्रज्ञा, जिस ज्ञान, जिस सत्य  और जिस प्यार के प्रति निस्वार्थ भक्ति भाव की दरकार होती है वो भेंट तुम गँवा चुके हो। हाँ, मेरे आजीवन किये गए कर्मो ने और मेरे चिन्मयी सदगुरुओं ने इस अमर उपहार के साथ मुझे सम्मानित किया है।

और इसलिए ....

अपने तथाकथित निगरानी बिजली कुछ भी नहीं बल्कि एक hallucinated शैतानी मन की मूर्खता से बेकार में की गई एक हास्यास्पद कवायद है।
         मान ले भाई की तेरी स्थिति तेरे ही चयन की वजह से बहुत ही खराब हो चुकी है .... है ना?
जाग जा, नेकी की राह पर, दीन-ओ-ईमान के पथ पर असतो मा सदगमय तमसो मा ज्योतिर्गमय पढ़ते हुए अग्रसर हो जा भाई।
तेनु रब्ब राखे।


मन is bad case....isn't it?

MAN IS BAD KASE: WHO IS 'WATCHING' WHO..??

MAN IS BAD KASE: WHO IS 'WATCHING' WHO..??: This write-up is with reference to the current news published in almost all good newspapers that Indian Government has started CENTRAL MONI...

Man is bad case....isnt it?

WHO IS 'WATCHING' WHO..??

This write-up is with reference to the current news published in almost all good newspapers that Indian Government has started CENTRAL MONITORING SYSTEM from April 2013 which means that someone is keeping an 'eye' on your calls, sms - text messages, e-mail etc. This surveillance system will help the government to tape or record your phone calls, your e-mail content, your facebook updates, your twitter tweets or your posts on your blog , Linkedin etc.

Human Rights Organizations are raising the issue of violation of right of privacy. They are indeed fearful about the chances of criminal minded misuse of these technological spying and hence are rightfully protesting against the usage of this central monitoring system.

True, Honest, Law-abiding, Morally righteous and free, loving, patriotic patrons or citizens of  India need not need to worry or fear about this corrective step taken by the government of India to correct the criminal minded individuals or intellectuals. In a way the Indian Government is just trying to help us protect from this bullying animals or blackmailers and for this, the Indian Government should not only be helped to get hold of such criminals but also should be publicly appreciated for taking such a bold and futuristic step.

We, almost 12 crore internet users in current India can not only send this appreciative message to the Government of India and its officials but also to the biased mediocre media & its editorial men.
Needless to say that this message will automatically reach to the most dishonest, law-breaking, immoral, mind slaves, hating, tyrants and fugitive citizens of India too if you people actually help me by implementing or honoring my humble request to share this post or its link with as many people as much you possibly can.

Do not worry, I will surely get an authentic signal about your true identity whether you people honor my request or choose not to do so :-) 

Yes...the criminal minded people of India should know that we are preparing for a ruthless war against criminally rich people of India.
Yes...its time for them to understand that our moral strength or goodness is not our weakness or a social taboo.

Who is watching who?


So What...if you have a hi-tech surveillance to watch my text messages, e-mails, blog posts, tweets, fb updates or have the facility to to tape my phone calls or record my call details..??

You still have no authority to control me, terrify me, enslave me or crucify me.

You wanna know - WHY SO..??

OK. 
I humbly share with you as to why it is so.
It is because of n number of reasons my dear citizen of India.
Well, let me share a few of them with you.
You can take these reasons as you like or prefer but for me they are as good as the TEN COMMANDMENTS:
  1. I have no Secret. My Life is an open for all book.
  2. i do not indulge into any self-ambitious, secretive or sinful acts about which i need to feel guilty or feel ashamed about, later on.
  3. I am absolutely free to live this Life, the way I choose to live.
  4. I have been blessed with a noumenal protective shield of LOVE-UNDERSTANDING-COMPASSION-KINDNESS. You can call it my L.U.C.K in an abbreviated form.
  5. The Almighty has promised me to be my Savior even at times when I mistakenly commit a blunder or found to be pathetically involved in a mistake done out of sheer ignorance.
  6. My Almighty lovingly forgives even my most ruthlessly & knowingly committed sins if I duly, consciously & wholeheartedly apologize in front of Him/Her.
  7. I kneel down and seek His/Her pardon on a daily moment to moment basis and that too with a pure soulful intent.
  8. I God willingly perform all my acts meditatively with due and utmost respect towards the honorable soul that rests within the body temple of all and sundry as my Supreme Lord.
  9. Shiv-Shakti has blessed me with abundant courage, war skills and well justified righteousness to deal with, fight with, quarrel with, fight with, handle it or raise a spiritual war with the evil minded devils of the world. Yes, I am Zorba - the warrior outside and Buddha - the meditator within.
  10. Lastly but mind you, not the leastly; You do not have the WISDOM to understand or grasp the crux of any of the statement typed above because you are in possession of an evil-minded spirit which is not at all bestowed with dedication towards honesty or truth and which is certainly not gifted with selfless devotion towards LOVE. Yes, my lifelong Sadgurus have honored me with this immortal gift.
and so...., 

YOUR so called SURVEILLANCE POWER IS NOTHING BUT A STUPIDLY USELESS EXERCISE OF AN HALLUCINATED EVIL MIND.  
         Mann is bad case....isn't it?

Thursday, June 20, 2013

MAN IS BAD KASE: Love is a Needless Need

MAN IS BAD KASE: Love is a Needless Need:    फिर  वो मोहब्बत नहीं जो रोए-रुलाए  आज़माए  या फिर अश्रु बहाए ग़म के, हाँ मगर ... आनंद की धारा बहे निसदिन अगर  तो जान ...

Man is bad case....isnt it?

Love is a Needless Need

  

फिर वो मोहब्बत नहीं
जो रोए-रुलाए 
आज़माए 
या फिर अश्रु बहाए ग़म के,
हाँ मगर ...
आनंद की धारा बहे निसदिन अगर 
तो जान लो 
की बात पार हुई अक्ल, सोच और समझ के,
जागो राम जागो !!
की क्या रक्खा है इस मोह-माया के जंजाल में ??

जिस्मों के मिलने-मिलाने की,
दिलों के टूट-फुट जाने की,
दूरियों - नज़दीकियों की,
इन्तहा-ए-इंतज़ार की,
रस्म-ए-उल्फ़त को निभाने की बात ना कर हमसे वाईज़ 
कीजिये ये दोमुही बातें आप उनसे 
जो रहते हैं दो जहाँ में होकर के सब से पराए 

यहाँ तो ना बिछडन है,
ना दर्द-ए-जुदाई है,
ना कोई अनबन है  
और ना ही कोई फ़लसफ़ा-ए-दस्तूर बचा है ज़माने का 
ज़मानात्दारों को खुश करने के लिए 
इश्कां है हमारी आशिक़ी 
और बस 
वही है ...वही है ...वही है ...



हाथ पकड़ कर वो साथ चलें 
जिनका दिल नहीं 
सिर्फ
जिस्म ही मिला है अब तक अपने हमसफ़र से

हमसफ़र है वो तेरा 
कोई गुलाम नहीं 
जो कदमताल करता चले वो तेरे पीछे-पीछे
क्यूँकर चले वो तेरे मन मुआफिक 
के वक़्त के साथ बदल जाते हैं अंदाज़ सभी 
और फिर 
वक़्त के साथ पल-पल बदलते रहने की 
इंसानी फितरत नहीं अब कोई बात नई 

माँ कसम !!
लाजवाब है ये इंसानी फितरत 
वर्ना तो इंसानी भी एक कठपुतली की तरह
जिंदा लाश ही बनकर रह जाता



प्यार नहीं व्यापार होती है वो मोहब्बत 
जो अपनी ही जानेमन पे जमाती रहती है
अपने ही मगरूर दिल के हिसाब-किताब से
जीने का तरीका सीखाए चले जाती है बे-हिसाब
ताज्जुब ये !!
के हक समझती है वो अपने इस अनैतिक अधिकार को
बस इसीलिए शायद 
रोती रहती है वो ज़ार - ज़ार 
होकर के तनहाइयों में खुद से ही बेज़ार 

दिल के अफ़साने भी हकीकत हो सकते हैं कभी 
बन जाते हैं वो हकीकत उस दिन जिस दिन 
दिल से कबूल कर लेते हैं हम 
बेमिसाल ये क़ाएनात तसव्वुर की, खुदा की, रसूल की

आसान नहीं मगर यहाँ आशिक हो जाना 
पलकों पर काँटों को सजाना 
आशिक को मिलती हैं गम की सौगातें 
सबको नहीं मिलता ये खज़ाना
[-ये चार पंक्तियाँ सशुक्रिया उधार ली गई है जनाब इरशाद कामिल जी के कलाम  में से ]   
   
  

नादानों की नादानियों का 
क्यूँकर भला-बुरा माने हम जैसे बेवक़ूफ़
ईमान हमें रोके है 
जो खींचे है हमें कुफ़्र

    


Man is bad case....isn't it?

Wednesday, June 19, 2013

MADRAS HIGH COURT VERDICT DATED MONDAY, 18th OF JUNE 2013



UPDATED NEWS FOR FAKE SPIES OF THIS WORLD:

MADRAS HIGH COURT VERDICT DATED MONDAY, 18th OF JUNE 2013

"If an legally adult true loving couple jointly decides to fulfill their naturally erotic desire by agreeing to make love (copulate, mate or have sex that is) with each-other then they can be surely called legal Husband-Wife.
(THOUGH A THIRD PARTY HAS NO RIGHT TO LABEL OTHERS RELATIONSHIP STATUS BECAUSE IT IS NONE OF THEIR CONCERN)

This love making couple is then righteously and equally bound to face the results or consequences of having such a relationship to achieve ecstatic feeling of oneness or togetherness.

Honorable Justice Karnan says in his incredible judgement that Mangalsutra, Varmaala wearing, ring ceremony etc. are just Marital Formalities adopted by human beings only to satisfy social needs of our juvenile society.
(NONE OF THE OTHER CREATURES ON PLANET EARTH HAVE THE INSTITUTION, CUSTOM, TRADITION, SYSTEM OR RITUAL OF SOCIAL MARRIAGE)

Anyone, who provides sufficient documents or proofs about having love, mating or sexual relationship can undoubtedly apply in a Family Court to seek the authorized status of being a happily and willingly married couple.

Once the Family Court announces so, the couple can then legally register themselves as Husband-Wife in government records too."

HAPPY NOW....?? :-)
but;
Mind YOU that this decision applies only to those soulful lovers who mate with their soul-mate wholeheartedly and lovingly and not for those cruel and selfish minded bodies who USE and THROW their partners mind-body-soul just to attain momentary orgasmic or ejaculatory pleasure.

Well, no one knows YOU better than YOURSELF and hence only YOU and YOUR ALMIGHTY knows that How, When, Why and with what Purpose or Intent you make love with your partner.

...and Hence, the decision to know whether YOU are living-in a truly, really, actually Married Life or just pretending to live a fake sucksexfull married life too is totally dependent on Your insight my dear Husbands and Wives....!!



GOD BLESSES US ALL :-)

Man is bad case....isn't it?

Monday, June 17, 2013

USING & THROWING OTHERS IS AMAZINGLY SUCCESSFUL POLICY...ISN'T IT?

Amazing USE and THROW policy:

If you really need to use & throw your fellow human beings by thinking of them as some kind of mechanical things, toys or objects then please do take care about USING  them very Lovingly.Understandingly.Caringly.Kindly ( i abbreviate it as L.U.C.K :-) )

i ask you to do so because you already know naa....that such people are not only stupidly but also egoistically very very very sensitive.

In fact, they are Super sensitive ;-)

So, act as if you are using & throwing them with world's supernatural growth as a soulful benevolent benedictory intent behind this utmost necessary process that you are willingly indulging in ;-)

...and YES...

Never let them feel that you are using them or you have used them or you are planning to use them.

Nope .. Never...Never...Never

It would be even more better or more so the best, if you can somehow manage to befool them to make them believe that you've actually set them Free to fly in a blissful Alice's wonderland or a timeless zone which is much much beyond their own limited mindset or belief ;-)

This, even when you amazingly trust and are fully aware that in fact you've actually thrown them to sink in abyss after using their energetic spirit and also their genetic skills ;-)

That's so intellectual of you. Isn't it..?? ;-)

All this, hoping that allowing or letting this discarded item species to grow up supernaturally or evolve god willingly as per their own heartfelt wishes or desires is not at all a reliable option for those who choose to USE & THROW others as a must must must spiritual need ;-)

Well, not at all because why should a HYBRID care about the pathetic superstitious whims & fancies of a low category upcoming breed ?

Right naa..??

Oh Yes !! You are always righteous and that is so because you are never wrong :-)
After all, God blesses you all the time - no matter what you do :-)

Link up and read more about this hybrid species published on amazon.com as an e-book by the title MAN IS BAD KASE which between the lines means Mann(Mind) is bad case ;-)
 http://www.amazon.com/dp/B00AQGM4S4

Man is bad case....isn't it?

Saturday, June 15, 2013

Speech - भाषण

http://youtu.be/czMyHUbdPLI भाषण 

कलमाए लाइल्लाह इल्लल्लाह मोहम्मदू रसूलअल्लाह

बिस्मिलाहेरहमानेरहीम होवल वारसुल करीम

अस्सलामवालेकुम जनाब-ए-मोह्तरिन 

बाद शुक्रिया के बाअदब चंद अलफ़ाज़ पेश करता हूँ आपकी रूहानी ताबीर के लिए। कुबूल फरमाईएगा हुजुर।

तुझसे ही हूँ मैं 
तेरे ही संग हूँ मैं 
तुझमे ही खो जाऊँगा मैं एक दिन ...,

तू मुझे आजमाए क्यूँ 
की तुझसे अलहदा नहीं हूँ मैं ..!!

बस इतना जान ले मेरी जान 
की तू ना दिल है 
न है तू कोई सोच ...,

तमाम हाथ 
इस अजायबघर में तुझे
छूकर भी छू नहीं सकते ..!!

तुझ पर ही और तुझसे ही 
ख़त्म ये सारी क़ाएनात होगी ...,

शुक्र है 
की फिर ना कभी ये ज़लालत भरी ज़िन्दगी होगी ..!!

करेंगे ज़िक्र तेरा अब कुछ ऐसी अदा से
ना तुझे ज़हमत देंगे, ना ज़माने की शिकायत होगी ..!!

खुद से ही किया करेंगे बात 
होंगे हम जब भी ज़माने से रु-ब-रु 
अलहदा समझने की तुझको खुद से अब ना हमसे हिमाक़त होगी ..!!

ग़म हो या हो फिर ख़ुशी 
दोनों से ही बनाये रखेंगे हम एक सी दूरी 
एक के नाम पर अब ना दुसरे की शहादत होगी ..!!

कहते हैं मौलाना तारिक़ ज़मील 
के 'मौत के साथ ज़र्फ़ लगे तो सब शुन्य हो जाता है'
कोई बताये उन्हें की मैं बताऊँ क्या
के 'शुन्य तो तब भी शुन्य का शुन्य ही रह जाता है'

ठीक उसी तरह जिस तरह;
"पूर्ण में से पूर्ण निकाल दो तब भी पूर्ण ही शेष रह जाता है"

बात ये संसारी गणित से या दिमागी फितूर से नहीं
अपितु मोहब्बत भरे दिल से जी कर ही महसूस की जा सकती है मेरे यारब ...

कहते हैं मौलाना ये भी 
की 'मैय्यत उठते ही "सबकुछ" उठ जाता है'
हयाती में  फिर भी वो उठाते हैं ये दिमागी सवाल 
की 'हमें किसने बनाया, क्यूँ बनाया, किसलिए बनाया ??
और फिर बनाकर हमें क्यूँकर मिटाया ??'

जीते जी इन महीन सवालों का जवाब ढूँढने की भी हमसे फ़रियाद करते हैं ये मौलाना और फिर किताबी जवाब देने की जल्दबाजी में खुद के ही बने-बनाये तैय्यारशुदा जवाब सुझाने की रुसवाई भी कर बैठते हैं ये मौलाना साहब ... और वो भी अल्लाह का नाम लेकर ताकि हम हामी भर मान लें उनके उस जवाब को जो हमारा खुद का जज़्बा नहीं।

वाह ...क्या नायाब तरीका अपनाया है जोर-ज़बरदस्ती अपनी बात मनवाने का !!

पूछे जो अब कोई पलट कर एक सवाल के अल्लाहताला ने जिस इंसानी मोहम्मद को दिए थे इन सवालों के जवाब वो तो नबी थे पर हम क्या हैं, कौन हैं, कहाँ हैं जो रखें एहतराम उन्हें बक्शी गयी आयतों पर ??

क्यूँ रखें हम ये उधार का ईमान और कहलायें मुसलमान ??
और जो ना रखें हम बादस्ता मुसलसल ईमान उनकी बातों पर तो कहलाते हैं हम काफिर क्यूँ ??

आखि अल्लाहताला अपनी रहमदिली से हमें भी नए सिले नए जवाब दे सकते हैं।
दे क्या सकते हैं ... देते आयें हैं "वो" और दे रहें हैं "वो" आज भी, अब भी हम सबको हर सवाल के आमूलचूल जवाब बहिश्त में पल-पल, हर पल, हर वक़्त अपनी नूर-ए-रोशनाई  की जानिब से हमें ...

अब ये बात और की हम में से अधिकाँश लोगों ने 'तौबा' कर ली है अपनी ही अंतर आत्मा की आवाज़ सुनने से और दीन-ओ-ईमान की राह पर चलने से, अमल करने से।

'मौत' से ना दरो तुम हमें यूँ मौलाना जी 
की ये मौत भी अल्लाहताला ने बक्शी है हमें जानबूझकर 
सजा नहीं सौगात है ये 
हमारी आत्मा को परमात्मा से एकाकार होने के लिए ...

बात सिर्फ इतनी सी है 
की सबकुछ निर्भर करता आया है, कर रहा है और ताउम्र करेगा भी हमारे द्वारा पल-पल किये गए, करने के लिए गालिबन, बातिमन, ज़ाहिरन चुने गए नित्य या दैनिक करमों पर ...

हमारे ये करम ही तय करेंगे हमारी आखरी मंजिल ...

जियेगा आनंद-उत्सव्-ध्यान से जो खुद की रची क़ाएनात में हर वक़्त 
क़यामत के दिन भी उसे सादर आमंत्रित किया जाता है उसे नूह की नौका में

खुदाया बाखुदा हम भी देखेंगे 
की कैसे मारता है, ख़त्म करता है खुदा हमारी मोहब्बत भरी दीन-ओ-ईमान की राह पर बादस्तूर चलने वाली रूह को         

तेरी महफ़िल-ए-बारगाह में किस्मत आजमा कर हम भी देखेंगे  

हम नबी ना सही पर तेरी रहमत आजमा कर हम भी देखेंगे 

अब तक परदे में जो छिपा रक्खी थी तूने जो जलवागीरी उसकी नुमाइश हम भी देखेंगे 

और हाँ ...तू भी चौंक उठेगा इस नाचीज़ खुदी को खुदा की खुदाई से खुदाया अलहदा ना देख  

हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन 
दिल के खुश रखने को ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है 
नहीं जी सकता जो 'अभी और यहाँ में' खुदा की खुदाई को जन्नत मान 
तो फिर भला उस शख्स का ईमान, रसूल और वजूद क्या है 
  

Man is bad case....isnt it?

Wednesday, June 5, 2013

Logic should serve love..



This is;
  • for PEOPLE who willingly allow their MIND to rule their own HEART.
  • for PARENTS, TEACHERS & SOCIAL ELEMENTS who try hard to engineer, doctor or condition innocent people's mind as per their whims and fancies. 
YOUR ANSWERS QUESTIONED....

 Man's Inhumanity 
Why do people treat each other like they do? Is it all conditioning, or is there something in man that makes him willing to go astray?
It is both.

First, there is something in man that leads him astray. And secondly, there are people whose interest it is to lead human beings astray. Both together create a false, fake human being. His heart longs for love, but his conditioned mind prevents him from love.

This is the problem. The child is born with a heart that longs for love, but he is also born with a brain that can be conditioned.
Society has to condition it against the heart, because the heart will be always rebellious against the society, it will always follow its own way.

It cannot be made into a soldier. It can become a poet, it can become a singer, it can become a dancer, but it cannot become a soldier.

It can suffer for its individuality, it can die for its individuality and freedom, but it cannot be enslaved. That is the state of the heart. But the mind.... The child comes with an empty brain, just a mechanism, which you can arrange the way you want. It will learn the language you teach, it will learn the religion you teach, it will learn the morality you teach. It is simply a computer; you just feed it with information. And every society takes care to make the mind stronger and stronger so that if there is any conflict between heart and mind, the mind is going to win. But every victory of the mind over the heart is a misery. It is a victory over your nature, over your being – over you – by others. And they have cultivated your mind to serve their purposes.

So the mind is empty, it is brain; you can put anything in it. And with twenty-five years of education you can make it so strong that you forget your heart; you will always remain miserable. The misery is that your heart can only give you joy, can only give you happiness, can only make you dance.

The mind can do arithmetic, but it cannot sing a song. Those are just not the capacities of the mind. So you are torn apart between your nature, which is your heart, and the society that is in your head. And certainly you are born  everybody is born  with these two centers. That is the difficulty.

And one center is empty. In a better society it will be used in accordance with the heart, to serve the heart. Then it will be a great life, full of rejoicings. But up to now we have lived in an ugly society, with rotten ideas. They have used the mind. And that vulnerability is there – mind can be used.

Now communists are using it in one way; fascists used it in Germany in one way; all the other religions are using it in different ways. But that vulnerability is with every individual: that you have a mind which you bring empty. In fact it is a blessing of existence – but misused, exploited. It is given to you empty so that you can make it perfectly subservient to your heart, to your longings, to your potential. Nothing is wrong in it. But the vested interests all over the world have found it a beautiful opportunity for them – to use the mind against the heart. So you remain miserable and they can exploit you in whatever ways they want.

That’s why the whole world is miserable.

Everybody wants to be loved, everybody wants to love; but the mind is such a barrier that it neither allows you to love, nor does it allow you to be loved. In both cases the mind comes in the way and starts distorting everything.

And even if by chance you meet a person you feel love for and the person feels love for you, your minds are not going to settle. They have been trained by different systems, different religions, different societies.

It is everybody’s birthright to be happy, but unfortunately the society, the people with whom we have been living, who have brought us into the world, have not thought anything about it. They have just been reproducing human beings like animals– even worse because at least animals are not conditioned. This conditioning process should be completely changed. The mind should be trained to be a servant of the heart.

Logic should serve love. And then life can become a festival of lights.

Osho, Beyond Psychology, Talk #43

Man is bad kase....isn't it?