Sunday, December 22, 2013

CHANGE IS THE ONLY PERMANENT FACTOR



कहते हैं वो बाबस्ता हमें बदलने कि कोशिश करते हुए कि, 
 "यदि शांति चाहते हो तो दूसरों को बदलने कि अपेक्षा मत रखो…ख़ुद को बद्लो…ज़ैसे कंकर से बचने ले लिए जूते पहनते हैं, धरती पर कालीन नहीं बिछाते।"
जवाब देते हैं हम भी हँसते हुए कि,
 "चाहत यथार्थ नहीं, अपेक्षा प्रयास नहीं, बदलना सार्थक, बचना निरर्थक, पहनते हैं हम लिबास वकती मिजाज नहीं, बिछाते हैं कालीन आशिक़ी बा हक़े तख्तोताज़ नहीं।"

कुछ समझ आया मियाँ गुल्फ़ाम?
कब तक पढ़ते रहोगे किताब-ए-ईमान? 



तबियत हमारी ही नासाज थी उन दिनों 
वर्ना साज़ तो जुग जुग से बेकल था बजने-बजाने को…

कुछ इस कदर बेइंतहा चाहा उसने मुझे कि 
मेरी एकमात्र सफलता भी मुझसे छीन ली गई 

या तो इस मृतप्राय: जगत में कुछ भी जीवित नहीं 
या इस जीवित जगत में कुछ भी मृत नहीं

वक़्त का फूहड़ मज़ाक तो देखिये जनाब  
सौंपा गया हमें उन लोगों में अंग्रेजी भाषा के लव कि आधारशीला रखने का दायित्व
जिन लोगों में ना हिंदूवादी संस्कार, ना कुशल व्यवहार और ना ही हिंद तमीज़

     



Man is bad case....isn't it?

Sunday, December 15, 2013

one liners

Just as the beauty lies in the eyes of a beholder,
similarly,
Reading the crux between the lines is a sublime art
or else;
we tend to read that which is not meant.

मानवीय दुनिया को हकीकत जान लेने वाले दुनिया छोड़ने कि बातें करते देखे-सुने गए हैं ख्याली सपनो में

दीवारें चिकनी-चुपड़ी बातें तो कर सकती हैं पर होतीं वे इंसानो जैसी दोमुही नहीं 

जैसा भी है वो 
दुआ यही है कि 'वो' आबाद रहे, दिलशाद रहे, पुरनूर रहे…,

अब ये बात ओर कि दुआएं हमारी किसी दीवार से टकरा कर  दम तोड़ देती हैं..!!

साये को भी मेरे, ना मेरे किरदार कि फ़िकर है और ना ही मेरे वज़ूद कि 

यार ही रहने तू मुझे अपना, ओ मेरे यारा…,

बक्श दे तू मुझे बस वो दौलत, तड़पता जिसके लिए ये जग सार..!!

हम जिसे भी मिले वो बर्बाद हो गया…,
भेजा हमें जो दूर उसने तो 'वो' आबाद हो गया..!!

असल मोहब्बत वो जिसमे एक साथ जीने कि होती है ख्वहिश…,

बेदार मोहब्बत वो जिसमे साथ-साथ मर कर साथ-साथ जीने कि रहती है गुंजाईश..!!



  



Man is bad case....isnt it?

Wednesday, December 11, 2013

11.12.13



चाहे रहें १. १. १. कि तरह होकर एकाकार हम 
या फिर 
अपने ही कर्तव्यों से ९. २. ११ होने कि करें बेकार कोशिश हम 
ये सच है कि कोई हमारी १२ नहीं बजा सकता 
तब तक के जब तक के तेरे १ऊँकार सतनाम हैं हम 
माँ कसम ११. १२. १३ कि मखमली रजाई हो तुम 
हुकुम रज्जाई दा चलने कि खायी हैं हमने ७-७ कसम 
१४दहवि का चाँद दूर नहीं अब हमसे
१५ध्रवे दिन ही १ से ५ होंगे हम 
१६ सोमवार तुम रखकर देखो तो सही 
१६वे हफ्ते ही मराठी सोळा पहन लोगी तुम 
१७वे दिन तू रंग देना बसंती मेरा चोला 
१८ बरस के भोले बादशाह से दिखेंगे तुझे हम 
ना तू १९ ना में २०
२१-२१ गुणों वाले सरदार हैं हम 
दीवाना हम में १३ जन्मो जन्मो से 
मीरा दीवानी या हाफ़िज़ कहानी, 
मीना कुंवारी या मासूम प्यारी
पता नहीं क्या हो तुम, कहाँ हो तुम?
बस यही दुआ करता रहते हैं हम अब दिन-रात 
कि मोहब्ब्त भरी इबादत का यूँ ही चलता रहे क्रम 
सरकार-ए-दो-आलम का यूँ ही बरसता रहे इश्कवालों पे रहम-ओ-करम 
वकती तौर पे ज़माने वाले फिर भले ही ढाते रहें लाखों-करोड़ों सितम 
ज़िंदा रहे ढाई आखर प्रेम का 
सनम मेरे सनम २जिस्म १जान हैं हम 
ख़ुदा कसम ख़ुदा कसम ख़ुदा कसम

     


Man is bad case....isn't it?

Sunday, December 1, 2013

' L' QUIZ




Please do Read to participate in " L " QUIZ
Yeaaaaaah.....She too is @Maggie - Maggie Q in swimsuit which reminds of a Keep Sunday Special @SON-SUNNY-khej Logo Quiz 2
Men & Women are not Born To Compete with each-other but are Nowhere to @COMPLETE each-other.
देखा एक "L" के presence/abscence का sensuous चमत्कार..??
Now tell me,
What this "L" stands for here and the winner of the quiz contest gets a Grand MastiB.A. Pass Nasha Sixteen ABCD on a super-duper XXX partynight.com for FREE....FREE....FREE
Mrs Pamela Lee will be the honourable judge of this quiz and our cute little Cutypie Subhasree Miss Universe 2013 will be kind enough to reward the contest winner with her Heart BlowingKISS N TELL Hate Story.
Soooo....Get ScaredGet Set GoReady for Love Go Goa Gone



Man is bad case....isn't it?

Monday, November 25, 2013

SPIRITUAL PLAGIARISM




I've just voted in a Cambridge school courtyard in Ujjain - M.P. State Assembly elections and practiced not only my right but also my responsibility as a citizen of India. I don't know why but this article or write-up is what my inner voice is intuiting me to share with all of you.

Please do read it carefully and not only honour but also oblige my basic instincts.

"When I teach English composition, I require students to write in class. I know that in-class writing is their own work, so in this way I become familiar with each student's writing 'voice' and am able to detect if they "borrow" a bit too heavily from another writer. Students are surprised to learn that their writing voice-which includes what they say as well as how they say it-is as distinctive as their speaking voice. Just as the words we speak come from our hearts, so do the words we write. They reveal who we are.

We become familiar with our own inner voice of conscience in much the same way. By reading what It has written, we learn who or what IT is and how It expresses Itself - call IT love or god as you please.

Satan, however, tries to make himself sound like god. By using divine words in a slightly altered fashion, he comes up with convincing arguments for things that are untrue. For example, by convincing people to do things that simulate godliness or loveliness, such as trusting in an outward regimen of self-discipline rather than its own egoist mind's death for salvation. Satan has led many astray.

Love/god went to extremes to make sure we'd recognize Its voice. It not only gave us Its word, It gave us the word made flesh - Messiahs/Gurus/Teachers/Prophets/... - so that we will not be easily deceived or misled."
                                   - Abridged article of Julie Ackerman Link

Instill within my heart, dear Love/Lord,
A deep desire to know Your word,
I want to learn to hear your voice
That I may make Your will my choice.
                                                         - D. Dehaan

 

Sunday, November 24, 2013

नमोकारी टंकार - NamoNaad

 नमोकारी टंकार 


नरे-नरे न से, नर-नारियों से और नारों से ही भरे हुए हैं जो फेंकूचंद वाचाल,
रच रहे हैं वो नेताओ कि नीतियों का स्वयंभू जंजाल,
महाकाल का अभिषेक करते वक़्त भी जो घुटने ना टेक सके,
वो मोदी नहीं प्रेम का, ये है प्रम पद का मोह-माया जाल ;-)

बेरोजगारी का दर जो घट गया
तो यूँ समझ लो 
कि 
रोजगारों को शोषित करने का स्तर और बढ़ गया
शोषित होना या शोषित करना पुरातन प्रथा हो जिस समाज कि 
वहाँ तो बस ये जान लो कि अमीरों को भाग्य से एक और गरीब मिल गया ;-)   

निर्माण कार्य को ही रोजगार समझता है जो नादान 
वो क्या ख़ाक जानेगा महाकालेश्वर प्रेरित निर्वाण 

बेहतर है कि कुछ तय ही ना किया जाए यहाँ 
खासतौर से तब जब कुछ भी तयशुदा नहीं यहाँ 

लय से लव करा, मोहबात से मोहब्बत कि इबादत करा इंसान
मोहब्बत करा, मोहब्बत करा, मोहब्बत करा ओह अनजान 

याद करने कि जरुरत उन्हें पड़ती है 
जो भूल जाते हैं सांस लेने का मकान 

सांसें लेना ही अपराध लगे जिसे तेरे बिना 
तू ही बता फिर क्या करे वो आशिक़ गुलफाम 

रह लो जब तक तुम रहना चाहो इल्म के दलदल में 
हम आबाद हैं डूबकर इश्क़ के दरिया में जानेजान 

गरीब हैं ऐसे हम कि खुद को गरीब भी नहीं कह सकते
दे सकते हैं दिल हज़ारों को पर तुझे नहीं दे सकते मेरी जान 

अब तुम्हे नींद नहीं आती तो कोई और वजह होगी 
तुम्हारे हर ऐब के हम जोड़ीदार सही, जिम्मेदार नहीं मदाम 

हम-तुम हैं या तुम-हम हो, पता नहीं? 
पता सिर्फ इतना कि हमतुम एक हो या ना हों 
रहता तुम्हारे-हमारे बीच कोई 'वो' नहीं, अहम् नहीं आवाम 

तेरी कमी भी है तेरा एहसास भी है, तू दूर भी है मेरे पास भी है 
खुदा ने कुछ यूँ नवाजा है तुम्हारे वजूद से मुझे मोहतरमा  
कि उसका शुक्र भी है और खुद पर नाज़ भी है      

मैडम को चित्त करने के प्रलोभन में अपने ही पुरखो को कह गया वो बोड़म
 नाम बूझने पर कोई नव कमल न खिलेंगे इतना बेकल वो नमो नम 

लगता है क़यामत के दिन ही अब वो चांदनी रात आएगी 
जब चाँद खिलेगा और रंग और नूर कि बरात साथ आएगी 
तब तक तो बस यूँ ही सुबह होगी, शाम होगी 
ज़िन्दगी यूँ ही तमाम होगी 

रंगो के भेद में उलझ गया जो 
रंगीन दुनिया देखने को तरस गया वो 
खुशरंग हीना का दर्द वो क्या जाने 
सतरंगी माया में उलझ गया जो 

 O Man_Jeete Jag_Jeet

पहले पहल सरदार पटेल को गुज्जु समझने कि भूल 
फिर जब एक पंजाबी सरदार ने हिला दिया मूल 
तो नमो नामक हिंदूवादी सरदार को याद आ गए सभी पंचतत्व मूल-चूल
देखते जाओ तमाशा मेरे हमवतन साथियों 
कि अभी बाकी है देखना नानी माँ कि दोधारी शूल ;-)  

बोलो बम बम भोले बम बम भोले भोले बम बम
बगड़ बम बम बगड़ बम बम बगड़ बम बम ;-)  


Man is bad case....isn't it?

Sunday, November 10, 2013

POLEMIC


POLEMIC: a polemic is a very strong written or spoken attack on, or defence of, a particular belief or opinion.

"A transfer of attention, on the part of science, from purely physical problems to questions of consciousness will truly lead us to the infinite world of "new physics" where there will be no dualism of rest & motion, and no diplomacy of matter & vacuum.
Everything finite is an illusion in an infinite world."
                                                                        - Professor P.D.Ouspensky

The microscopic living cell is more powerful than a volcano - the idea is more powerful than the geological cataclysm.
Time & Space are necessary properties of world but not of consciousness.

I am not interested in religion if being "religious" means just regularly following a set of traditional customs, rituals or rules so that we can look good outwardly but remain full of hypocrisy and lawlessness inside instead of enjoying a loving relationship with the Almighty.
There are numerous God-fearing people but God-loving there aren't many.

"There is no greater error or sin than to regard the world is 'divided' into phenomena & noumena.
This is philosophic illiteracy, which shows itself most clearly in the dualistic 'spiritistic' theories. The division into phenomena & noumena exists only in our minds. The 'phenomenal world' is simply our incorrect perception of the world.
THIS WORLD IS THE WORLD BEYOND PERCEIVED STRANGELY."
                                                                        -P.D.Ouspensky

One who is materialistic enough to make a selfish use of even as sacred a thing as devotional SELF-SACRIFICE to gain some or the other beneficial value instead of getting content with the feeling of immense benediction, is a valueless devilish personality with mean attitude.

Oh yes...
I'm gorgeous inside 
Oasis* I'm not 
My genesis* difficult to find 
Arc* mine is indiscriptively defined 
Arcade* I'm yet to find 
Righteousness is my heartfelt tide 
Characteristic beauty is my natural pride 
Arcane* I'm in a crevasse* cave 
Manna* waves just behind 

[Oasis* - a small area in a desert where water and plant are found. Genesis* - of something is its beginning, birth, or creation. Arc* - a smoothly curving line or movement. Arcade* - a covered passage where there are shops or market stalls. Arcane* - secret or mysterious. Crevasse* - a large, deep crack in thick ice or rock. Manna* - something unexpected is manna from heaven, means that it is good and happened just at the time it was needed.]

It is not at all human nature to want this or that .....it is the human mind that deduces us.
Mannish mistake is its illusionary vision which willingly allows its own mechanical mind to rule over its physical body & spiritual soul.

Blissful though, never compromises with the truth - neither politically, nor ridiculously. It acts as per the need of the time & thinks not about the forthcoming results.
This then is the key to live a karmayogic life.
Accept it or reject it my dear - the choice is, was & will be always yours & yours only.

If Shaitaan canturn love into indifference, God can change indifference back into love. God's power to restore is stronger than Shaitaan's power to destroy.

How do you define success?
For me; success is a SUCKingly greedy & SEXy disorder of human mind which unables us to get satisfied with life - as it is in now & here only to find out sooner or later that in fact it is nowhere.

ART OF LOVING:
Love is all about giving, giving, giving and keeping on giving till the last breath of this metaphysical life.
What we then get is beyond our imagination though.

Rejoicing it is to know that you are reviled, persecuted and honoured with evilgod medals of falsity for loving without any expectation whatsoever.
Remember, S/he who does not love does not know God, for God is love.

This too is a polemic attack -non-verbal type though ;-)




Man is bad case....isn't it?

Wednesday, November 6, 2013

शतरंज के खेल में CHECKMATE



मंशाएँ  रो-रोकर ही निसार होती हैं
हसरतें दबे होंठों से ही गुलज़ार होती हैं
अरमान मचल-मचलकर यूँ ही रोशन करते रहते हैं ख्वाबगाह
ख्वाहिशें तमाम यूँ ही नहीं इतनी दिलदार होती हैं

उसकी नज़रों से नज़रें आज मिला आया हूँ मैं
चुन्घिया गयी हैं आँखें जो सूरज से आँख लड़ा आया हूँ मैं
ज़माना कह रहा अब मुझे अँधा तो बेगाना कहे पापी
गुमनाम अंधेरों में अपनी लैला से अँखियाँ दो-चार जो कर आया हूँ मैं

इश्क़ ही शिव है, इश्क़ ही शक्ति है
नाज़-ओ-अदा हैं कभी उमा के
तो कभी भोले शंकर कि रुद्रात्मक सख्ती है
यही हैं इश्क़ के जलवे और यही इश्क़परस्ती है

ना तक़दीर बदलती है, ना तस्वीर बदलती है हुए हम जबसे नादान इश्क़ में,
ना तैरना आता है, ना डूबने का हक़ हमें है हासिल हुए जबसे हम गिरफ्तार इश्क़ में

रख हौसला वो दिन भी आएगा,
प्यासे के पास चल के खुद दरिया आएगा,
यूँ थक कर ना बैठ ऐ राह-ऐ-मंज़िल के हमसफ़र मुसाफिर,
मंज़िल भी आयगी और चलने का मज़ा भी आएगा

तेरी प्यारी सी उम्मीद कैसे तोड़ जाऊँ,
तू ख्वाब देखे तो मैं नज़र कैसे ना आऊँ,
कुछ तो बात है हमारे इस रिश्ते में,
क्या आपके कदम नहीं कहते आपसे कि चल एक बार मिला लाऊँ

दुआओं में कमजर्फ मंतशा कर 'उसकी' रहमदिली को मैं शर्मिंदा करता चला गया,
'वो' देना चाहता था 'सबकुछ' और मैं नाकुछ बहुत कुछ मांगता ही चला गया


शतरंज के खेल में;
एक अदना से वज़ीर को रानी समझने कि भूल कर बैठे बाबा लोगों के मुरीद,
मात देने कि चाह में अमावस रातों कि रानी के गुलाम हो बैठे ये डॉलरों के मुरीद

प्रगतिपूर्ण जरुरत इस बात को जान लेने कि नहीं
कि कोई आपको कितना चाहता है
बल्कि इस बात में है कि क्या आप खुद सचमुच किसीको दिल से चाहते हैं
या बस प्यार के मतलबी व्यापारी और असल में धन के पुजारी हैं?

हम तो सदियों से ही अकेले हैं
बस दिल कि ही गलियों में खेले हैं
तन्हाई माशूक़ा हुई जबसे हमारी
आठ पहर चौसठ घड़ी हर सूं लग रहे दिलकश मेले हैं

ना पीपल का रुखा पत्ता बनना है मुझे, ना मेहंदी का रुतबा हासिल करना है मुझे,
किसी चूहे को हाथी बनने का ख्वाब बुनते ना देख ये सीखा है मैंने
कि
जैसा बनाना चाहते है मुझे मेरा खुद बस वैसा ही बनना है मुझे   

yo yo भगत मनीष - yo यो दुर्गे शक्ति

   
 
Man is bad case....isn't it?


Sunday, October 13, 2013

7 billion Raavans

7 billion Raavans
ये RSS की शास्त्रीय परेड, ये सियासती तमाशे 
ये रुपैयॆ के ढोल, ये डॉलर के नगाड़े 
ये महंगाई के ढकोसले, ये पोपले बोल 
ये फैशन के चोचले, घट-घट है पोल
ये इंटरनेशनल कमीनापन, ये छिछोरा बाँकपन 
ये गायब कुँवारापन, ये मादक प्रलोभन 
ये व्यभिचारी प्यार, ये दुराचारी व्यवहार 
ये परेड ke maidaan par २०१३ फीट का कलयुगी रावण 
ये सब बना रहे इस पुनीत अवसरवाद को और भी पावन
७ अरब अमानवीय जनता जनार्दन से ये पूछ रहे सियाराम 
ki;
युगों-युगों से तो जलाते आ रहे हो तुम 
इस बाह्य जगत की बुराइयों के प्रतीकात्मक पुतले को 
पर… 
सच कहना मेरे भाई 
ki 
कभी दिलो-जान से जलाया तुमने अपनी घ्रुनास्पद सच्चाइयों को, परछाइयों को?
कब खोलोगे तुम अपनी भीतरी अच्छाइयों के कर्म pradhaan सुतले को?
या फिर ये
 ki;
ये भी सदा बने रहेंगे तुम्हारी दिखावटी धार्मिकता की तरह ही तुम्हारी मक्कार मानसिकता के प्रतीकात्मक पुतले?
बोलो राम, कुछ तो बोलो….
चुप क्यूँ हो सिया, भेद जिया के खोलो…. 
wolf in sheeps clothing
please do respond if you can...
please do if you have the guts n candid ability to do so logically..!!??!!
NO TIMEPLEASE






Man is bad case....isn't it?

Wednesday, October 2, 2013

POWER OF LOVE



इश्क-ईमान-इबादत वाला मन_इश ek बार फिर मोह-माया-मज़बूरी के मन_मयूर से हार गया…

पैसे और पद का पॉवर आज फिर प्रेम की शक्ति को पराजीत कर ले गया बेशर्मी से… 

जाने क्यूँ फिर भी मगर ये आनंदमयी एहसास हो रहा है मेरे आत्मन दिल को की;

वो जीत कर भी हार गया पहनकर हीरे-मोतियों का हार 

और 

हम हार कर भी जीत गए जब पहनाई हीर ने हमें अपने आँसुओं की मोती वाली माला 

अपनी नर्म-नाजुक गलबहियां डाल ;-)


Friday, September 20, 2013

Rabb Raakha



बेहिचक ईमान और एतबार माँगने वालों को 
इश्काँ होने में ना जाने क्यूँ बेहिसाब शर्म आती है…!!

माँ कसम कह रिया हूँ;
लैला-मजनू की आँखें इंसानों की ये अजीब मांग देख-सुन
हैरत से बेगानी इंसानियत को तकती रह जाती हैन…!!

देखो भाई-जान बात ऐसी है की;
जिस इश्क ने  खुदाई ठग ली 
उसी इश्क दे पेड़ विच - ईमान ते एतबार नि डंगाल पायी जाती है…!!

इमानदारी से, ईमान से;
श्रद्धा-विश्वास रखियो इश्क चम्बे दी बूटी विच… 
रक्खोगे ना…??
रब राखा  :-)
http://youtu.be/lQavW1X02TU

Saturday, September 7, 2013

MY CANDID FRUSTRATIONS ;-)


सिंहो के नहीं लह्ड़े (झूंड)
हंसो की नहीं पांत (कतार)
हीरों की नहीं बोरियाँ 
साधू ना चले जमात 

साधू कहावत कठीन है 
लम्बा पेड़ खजूर
चढ़े तो चाखे प्रेम-रस 
गिरे तो चकनाचूर 

ऐसी दुनिया भाई दीवानी 
भक्ति भाव नहीं बूझे जी
कोई आये तो बेटा माँगे 
यही गुंसाई दीजे जी 

कोई आवे दुःख का मारा 
हम पर कृपा कीजे जी 
सांचे का कोई ग्राहक नाही 
झूठे जगत पतिते जी 

कहता कबीर सुनो भाई साधो 
अन्धो का क्या कीजे जी

साधू भया तो क्या भया  
माला पहनी चार
बाहर भेष बनाईया
भीतर भरा अहंकार 

फूटी आँख विवेक की 
लखे ना संत-असंत 
जाके संग दस-बीस हैं 
वाको नाम महंत 

THANKS TO OUR BASIC HYPOCRITE NATURE...KABEER'S INNER VOICE OF MORALITY DIDN'T REACH MAJORITY OF WILLFULLY DEAF EARS THEN AND IS DYING EVEN TODAY...
   

दोस्त बन बन के मिले हमें मिटाने वाले  
हमने देखे है कई रंग ज़माने वाले 

साधो ये मुर्दों का गाँव 
और मरघट पे सन्नाटे को ही शान्ति कहा जाता है 

रूहानी सफ़र तुम क्या जानो 
तुम तो बस जिस्म की यात्रा ही जानो 
पूछो अफ़साने हकीकत के दिलवालों से 
जो रहते सदियों से ही अकेले हैं 
बस.… 
दिल की ही गलियों में खेले हैं 

एक सच्चा वारिस/वारसी/विद्यार्थी ज्ञान अर्जन के लिए पहले-पहल तो महज कौतुकता से, फिर जिज्ञासा से और अंततः मुमुक्षा से अपने सवालों के जवाब ढूँढता है…चाहे फिर वो सवाल ज़िन्दगी से, जिंदगानी से या सदगुरु से किये गए हों पर हमने तो अबतक यही महसूस किया है की सवालों के जवाब भी zen  ही देता है प्रश्न-उत्तरहीन भी जेन ही कर पाता है।
हैप्पी गुरु पर्व/गुरुवार 
When Guru wars with my head it turns out to be a heartfelt zen day ;-)  

वफ़ा (loyalty) और इश्क के माईने हैं अलग 
वफ़ा हमारी इश्क से है पर वफ़ा से इश्क के हम तलबगार नहीं 

 झूठी चंचला सकारात्मक Jane से मिल ना पायी
सच्चा रूप्किशोरे निन्दात्मक मिशेल से मिल ना पाया 
बहकते रहे हम, भटकते रहे हम यूँ ही सुबह-ओ-शाम 
तुम हमसे, हम तुमसे और आईना खुद से कभी मिल ना पाया

तू अगर बर्बाद है वहाँ 
तो मैं भी कहाँ आबाद हूँ यहाँ 
धज्जियां उड़ाई गयी जब तेरी इज्ज़त की 
तो मैं भी दिल-ओ-जान से जल रहा था यहाँ 
सबकुछ ख़त्म करने की कोशिश तो बहुत की दुनियावालों ने
तेरे-मेरे इश्क का मगर मिटा न सके वो नामो-निशाँ
सुलग रहा हूँ मैं भी और तड़प रही है तू भी 
अब भी मगर छू नहीं पाती हमें रंज-ओ-ग़म की दुनिया-जहाँ
चल एक बार फिर से एक हो जाए हम वहाँ  
 

आईना देख के बोले वो सजने-सँवरने वाले
देखना है किस-किस की आज है आई हुई
आईना देखते हैं वो नाज़-ओ-अदा से 
और फिर ये भी देखते हैं कोई देखता ना हो 
ये मगर वो कभी नहीं देखते की आईना उन्हें किस नीयत से देखता है  

सुबह-सुबह तेरा नाम लेते हैं हम,
दोपहर हो जाती है तेरे ही सदके में सनम,
शाम छा जाती है मदहोशी तेरे तसव्वुर की,
रात को सजदे में सरेआम होते हैं करम


ना जीते हैं और ना ही मरते हैं हम 
जाने क्यूँ फिर भी मगर 
तेरे ज़िक्र पे ये क़त्ल-ए-आम होते हैं हर जनम 



आठ पहर चौसठ घड़ी 
बजती रहती है दिल में शहनाई 
तेरे सिमरण की 
जाने क्यूँ फिर भी मगर 
ये घंटे घड़ियाल से लगते हैं सनम 



तुम ही सीखा दो अब हमें 
ये साँसें लेने-छोड़ने के सितम 
ओ मेरे यारा !!
ओ मेरे दिलबर !!
ओ मेरे सितमगर !!
वर्ना तो ज़िन्दगी में किस्से तमाम होते हैं हर दम 



बोलिये… सीखाएँगे आप मुझे 
यूँ पल-पल जीना 
और 
यूँ ही पल-पल मरना ??
या 
फिर से एक बार छोड़ देंगे आप मुझे 
सुबह-ओ-शाम तरसने और तड़पने के लिए सनम ??

बोलिए ना…  

Man is bad case....isnt it?

Saturday, August 31, 2013

Love ain't for Sale

चित भी मेरा
पट भी मेरा
और
सिक्का मेरे बाप का 


Heads हो या हो फिर tails 
इश्क से इश्क में होती ही नहीं कभी bail 
सिक्का है ये आशिक़ी का 
बच्चों का नहीं ये कोई खेल 

कारागार ये  किशन-कन्हैय्या का 
ज्ञानी समझ बैठे इसे मायावी jail

नादानियां देख मीरा दीवानी की 
अक्लमंदों की मति भी हो जाती fail

राधा प्यारी की मासूमियत है अनमोल
दुनियादारों को लगती मगर ये एक tale 

जाना है जिन्होंने मगर ब्रज बालाओं को दिल से 
सहजता से दिखाई दी उन्हें गोपियों की अंतहीन rail 

तू भी असीमित कर सोच का दायरा अपना 
डूब कर इश्क में दिलोजान से मिटा मन का मैल 

एक बार लूटा कर देख मोहब्बत भरी ये दौलत प्रेम से 
No, no.. no.. love is not for sale 

;-)  






Man is bad case....isn't it?

Wednesday, August 28, 2013

Keshav Kalki : जन्म जन्माष्टकम !!

  केशव कल्कि :


नटखट नन्द्लालम 
नयन पिन्गाक्षम 
मनमोहक मुस्कानम करत हाल-बेहालम !!

ग्वाला गोपालम 
चंचल चित्वनम 
फोड़त मन हांडी मय सुर-तालम !!

गोपिका वल्लभम 
मोहिनी सुरतम 
रचत रास-रंग नवरसम कालम !!

सारथि मोहनम 
सार्थक योवनम 
अर्जुनी मोह-मायम तजत गीता-bible-कुरानम !!

केशव त्वम् कल्कि 
लाज राखो पल-पल की 
सांवरे-सलोने त्वम् 
पाप मोहे धोनम 

सुदर्शनम घन्श्यामं 
कर्मयोगी त्वम् दयानिधाम 
हे राधे-कृष्णम
त्वम् मर्म अस्मम 
जगत कल्याणं 
जन्म जन्माष्टकम !!  


Sunday, August 11, 2013

MAN IS BAD KASE: "Bol baby Bol Rock n Roll"

MAN IS BAD KASE: "Bol baby Bol Rock n Roll": "Bol baby Bol Rock n Roll" The language of LOVE knows no limitations at all no, no, nope....none at all !! Limitless is its natur...

Man is bad case....isnt it?

"Bol baby Bol Rock n Roll"

"Bol baby Bol
Rock n Roll"

The language of LOVE knows no limitations at all
no, no, nope....none at all !!
Limitless is its natural habitat
Limitless are its signs, signals & symptoms
yes, yes, yup....for all and sundry
no matter
whether its Charlie's Angels
or
Vikram Betaal
Lingo isn't its hurdle at all
God day !!
To,
Tom, Dick & Harry !!
Doesn't matter
even if you are Jaafri, Sheshadri or Agrawall ;-)

http://youtu.be/Zywy9lU2vOY


Man is bad case....isnt it?

सुबह-ओ-शाम

Humaima Malick


सुबह-सुबह तेरा नाम लेते हैं हम,
दोपहर हो जाती है तेरे ही सदके में सनम,
शाम छा जाती है मदहोशी तेरे तसव्वुर की,
रात को सजदे में सरेआम होते हैं करम


ना जीते हैं और ना ही मरते हैं हम 
जाने क्यूँ फिर भी मगर 
तेरे ज़िक्र पे ये क़त्ल-ए-आम होते हैं हर जनम 



आठ पहर चौसठ घड़ी 
बजती रहती है दिल में शहनाई तेरे सिमरण की 
जाने क्यूँ फिर भी मगर 
ये घंटे घड़ियाल से लगते हैं सनम 



तुम ही सीखा दो अब हमें 
ये साँसें लेने-छोड़ने के सितम 
ओ मेरे यारा !!
ओ मेरे दिलबर !!
ओ मेरे सितमगर !!
वर्ना तो ज़िन्दगी में किस्से तमाम होते हैं हर दम 



बोलिये… सीखाएँगे आप मुझे 
यूँ पल-पल जीना 
और 
यूँ ही पल-पल मरना ??
या 
फिर से एक बार छोड़ देंगे आप मुझे 
सुबह-ओ-शाम तरसने और तड़पने के लिए सनम ??

Mahira Khan

बोलिए ना…  


Man is bad case....isnt it?

Wednesday, June 26, 2013

रायचंदी - unsolicited advice

रायचंदी 

मेरे मित्र ईश् ने कल रात एक अनजान एवं अनाम महोदय/महोदया द्वारा टंकित sms फॉरवर्ड किया था। आपकी अंतरात्मा को कचोटने हेतु प्रस्तुत करता हूँ :



मैंने पुछा 
हे केदारनाथ !!
भक्तों का क्यों नहीं दिया साथ ?
खुद का धाम बचाकर 
सबको कर दिया अनाथ।
वे बोले
"मैं सिर्फ मूर्ती या मंदिर में नहीं 
पृथ्वी के कण कण में बसता हूँ
हर पेड़, हर पत्ती,
हर जीव, हर जंतु 
तुम्हारे हर किन्तु, हर परन्तु में बसा हूँ 
हर सांस में, हर हवा में,
हर दर्द में, हर दुआ में...
तुमने प्रकृति को बहुत छेड़ा 
पेड़ों को काटा, पहाड़ों को तोड़ा 
मुर्गी के खाए अंडे 
कमजोरों को मारे डंडे 
खाया पशु-पक्षियों का मांस 
 मेरी ही हर बार तोड़ी तुमने साँस 
फिर आ गए तुम मेरे दरबार में 
मेरा ही अपमान करके 
मेरी मूर्ती का किया सत्कार 
हे मूर्ती में भगवान् को समेटने वालों 
संभल जाओ अधर्म को धर्म कहने वालों 
करते हो हिंसा और फिर पूजा
अहिंसा से बढ़कर नहीं कोई धर्म दूजा 
मेरे नाम पर अधर्म करोगे
तो ऐसा ही होगा 
दुसरे जीवों को अनाथ करोगे 
तो मंजर इससे भीषण होगा।"

इस बेतुके मशविरे का हमने भी दिया फिर एक बेतुका सा ही जवाब
आप ही पढ़कर कहिये की कैसा लगा जनाब?

आदरणीय साहब/साहिबा !!
और सबकुछ तो खैर आपने 
लिखा एकदम खरा-खरा है  
पर 
अंडे-मांस-मछली को
साग-फल-सब्जी से पृथक करके 
अलग-अलग देख
ये भी दिखा दिया हमें आपने ही 
की
आपके मुख से या कलम से 
  हमारे अद्वितीय प्रभु नहीं
अपितु 
आपका ही सिमित मन बोला था   
 आपकी सोच में अद्वैत का अधुरा ज्ञान धरा है 
अद्वैत का भान अभी आपको पूर्णतः नहीं फला है
मित्र तुम, सखी तुम, सखा तुम 
  अहिंसा को परमोधर्म मानने वाले 
इंसान तो लगते हो बड़े ही प्यारे 
पर 
लगता ये भी है 
की 
परमपूज्य इश्क अभी उतरा नहीं आपकी अंतरात्मा के द्वारे
ढाई आखर प्रेम को 
अब तक ना आपने 
खुदी को कूट कूट कर 
खुद के भीतर भरा है
कागजी ज्ञान सदा ही रह जाता 
प्रेम-ध्यान के आगे धरा की धरा है 
रघुकुल रित सदा चली आई 
प्राण जाई पर वचन ना जाई 
एक सच्चा भक्त और एक सच्चा भारतीय 
सच्चे दिल और सच्चे कर्मो से 
निभाता आया यही संस्कार 
और सच पूछो तो 
यही सच्ची परम्परा है।

।। सत्य मेव जयते ।।

मन is bad case....isn't it?