Wednesday, October 8, 2008
चुनने की भूल...
फूलों के ही दीवाने हैं सब,
कांटो से दिल कौन लगाये,
कांटे ही लिए बैठें हैं अब,
फूल तो कब के मुरझाये...
चुनने की भूल की थी तब,
अब तो यह राज़ साफ़ नज़र आए,
खुशबु बनकर महके है रब,
रब ही तो कांटो में समाये...
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