Wednesday, March 9, 2011

महत्वाकांक्षा

 आजकल सब मुझे शक की निगाहों से देखते हैं
पास जाऊं तो बेवजह बिदकते हैं
गोया मैं कोई बिमा एजंट हूँ
देख मुझे यूँ धीरे से खिसकते हैं.....

माना के हम गायक हैं
कुछ कम ही सुनने लायक हैं
थोडा सा गुनगुना भी न सकें
क्या इतने हम नालायक हैं.....

अच्छा जी..!!
अब मैं समझा की लोग मुझसे इतना क्यूँ बिचक रहे हैं
उन्हें लगता है की हम भी कोई रिकॉर्ड तोड़ने निकल रहे हैं
मत डरों यारों, हम नहीं इस दौड़ में शामिल
ये गीत तो बस....यूँ ही निकल रहे हैं.....


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