Thursday, March 30, 2023

ज़िंदगी का सफर

“मैं अपनी स्वाधीनता न खोना चाहूँगा, तुम अपनी स्वतन्त्रता न खोना चाहोगी। 

- मुंशी प्रेमचंद

(चलो, रेल की पटरियों की तरह एक साथ चलकर ये संघर्षपूर्ण सफर तय करते हैं। मिलन भले ही ना हो पाए हमारा पर सफर तो मस्ती से भरपूर होगा। पहुॅंच जायेंगे टर्मिनल पर किसी दिन पर अंतिम साॅंस तक साथ तो बना रहेगा। इसी बहाने प्रेम स्वाधीन भी रहेगा और स्वतंत्र भी।)

 *स्वाधीनता और स्वतंत्रता में क्या अंतर है?* 

# स्वाधीनता व्यक्ति को उसके अधिकार, विश्वास, अपने आप को अभिव्यक्त करने और बंधनो से मुक्त होने तथा अपने अनुसार की जिंदगी को चुनने की शक्ति देता है जबकि स्वतंत्रता को राजनीतिक, सामाजिक और नागरिक स्वतंत्रता का आनंद लेने के लिए स्वतंत्र होने की स्थिति के रूप में परिभाषित किया गया है।

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