Thursday, November 21, 2024

समय समय की बात है


मौज है प्यासी प्यासी
माथे पर उलझन है सिलवट सी
आरज़ू है जवान, जुस्तजू है मकाँ 
हम दहकते हैं, वो बहकते हैं
हम भटकते हैं..क्यों भटकते हैं 
मज़ा जो विरहन के आगोश में है
वो क़ायम पहलू - ए - यार में कहाँ

दोपहर की मौज
दो पहर बाद सुरमई शाम हो गई
चराग़ रोशन हुए 
तो दिलकश रात रंगीन हो गई
अगली सुबह पढ़ी 
जो उन्होंने हमारी प्यासी ईबारत 
दिन लाजवाब हुआ 
और morning good हो गई 

😉😉😉 
😜😜😜
😘😘😘

समय समय की बात है सरकार
समय को भी समय है दरकार
🫶
या वारिस 
🙏🌹🙏

No comments:

Post a Comment

Please Feel Free To Comment....please do....