माथे पर उलझन है सिलवट सी
आरज़ू है जवान, जुस्तजू है मकाँ
हम दहकते हैं, वो बहकते हैं
हम भटकते हैं..क्यों भटकते हैं
मज़ा जो विरहन के आगोश में है
वो क़ायम पहलू - ए - यार में कहाँ
दोपहर की मौज
दो पहर बाद सुरमई शाम हो गई
चराग़ रोशन हुए
तो दिलकश रात रंगीन हो गई
अगली सुबह पढ़ी
जो उन्होंने हमारी प्यासी ईबारत
दिन लाजवाब हुआ
और morning good हो गई
😉😉😉
😜😜😜
😘😘😘
समय समय की बात है सरकार
समय को भी समय है दरकार
🫶
या वारिस
🙏🌹🙏
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