Saturday, July 30, 2022

Banyan Tree बरगद का पेड़




मन हूं और मनीष बड़कस भी..
कस रखा है जिसे बड़ की बरोह या प्राप जड़ों से..
ऋषि-मनीषियों की तरह मन का ईश तो नहीं
सतत प्रयास है की मन न बन जाए ईश कहीं।

हर हर महादेव 🙏🌹🙏

Man is bad case....isn't it?

2 comments:

  1. आग है, मोह है, माया है, काम है, कामिनी है तब तक हम पूर्ण सन्यासी कहां,
    गृहस्थ सन्यस्थ हैं अभी तो पल पल डोलता है तन और मन, कभी यहां तो कभी वहां...
    आग लगती है पल दो पल में और बुझ भी जाती है पल दो पल में,
    मगर फिर जाग उठती है कभी भूख बनकर तो कभी प्यास बनकर...

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  2. उसके पास इतनी फुरसत नहीं की मेरी परीक्षा ले,
    ये जंग है मेरी मुझसे ही
    या मौला,
    कर दे मुझे मुझसे ही रिहा

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