तिश्नगी जल की हो, थल की हो या हो तल कि..
तृष्णा हुस्न की हो, जिस्म की हो या हो शबाब की..
माया धन की हो, वैभव की हो या हो नाम की..
मिटती है ना मिटाती है, ना ही मिटने देती है...
प्यास लगती है, लग आती है, जगती है, जगाती है, जलती है, जलाती है, उठती है, उठाती है पर बुझती नहीं..
💦 😍 🍷
Bar Bar Her Bar
घर-बार Car-o-Bar
बार-बार, हर बार,
चरम आनंद, चरम सुख,
चमत्कार चमत्कार
😜💘😜
Happy Sunday Times
No comments:
Post a Comment
Please Feel Free To Comment....please do....