Sunday, December 14, 2025

Thirsty Mind

तिश्नगी जल की हो, थल की हो या हो तल कि..
तृष्णा हुस्न की हो, जिस्म की हो या हो शबाब की..
माया धन की हो, वैभव की हो या हो नाम की..
मिटती है ना मिटाती है, ना ही मिटने देती है...
प्यास लगती है, लग आती है, जगती है, जगाती है, जलती है, जलाती है, उठती है, उठाती है पर बुझती नहीं..

💦 😍 🍷 

Bar Bar Her Bar 
घर-बार Car-o-Bar 
  बार-बार, हर बार, 
चरम आनंद, चरम सुख,
  चमत्कार चमत्कार

😜💘😜
Happy Sunday Times

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