Wednesday, September 10, 2025

रंग-बेरंग

झूम के आती है 
घूम के आती है 
छम से आती है 
छान के जाती है 

रुक के आती है
ठहर के जाती है
थम के आती है 
थाम के जाती है

वक्त पे आती है
बेवक्त जाती है
होश में आते ही
बेहोशी छा जाती है

जोर से आती है
शोर मचाती है 
जम के आती है 
जाम पिला जाती है 

ये ज़िंदगी है जो मोहब्बत बन कर आती है
वो मोहब्बत है जो ज़िंदगी बन जाती है 


दिल्ली वाली चाय

दिल्ली वाली चाय और दिल्ली वाली गर्लफ्रेंड की बात ही अलग
एक अदरक वाली है तो दूजी नखरे वाली; दोनों का अंदाज़ है गौरतलब

तलब लग जाए तो मुँह लगाना कतई नहीं गलत
मुँह लगते ही हॉट फीलिंग्स भी होती है वाक़ई ग़ज़ब

दिल वालों से दिल्लगी करना तो करना थोड़ी अजब
ऐं वें तो ना ये हलक से उतरें ना फ़लक की डेट तलक

चढ़ जाएं जो सर पे तो माथा जाता है ठनक
सोच समझ कर ही चुस्की लेना बिना सनक
वैसे सी...सी करते हुए इन्हें गरमागरम कर पीने का मजा ही अलग..
😜😘😜
दिल से लेना 
दिल से देना
बिल फट जाए तो कहना कि दिल्ली वाली चाय और दिल्ली वाली गर्लफ्रेंड की बात ही कुछ अलग 
😜😘😜

Wednesday, September 3, 2025

Abusive language - अभद्र भाषा, गाली-गलौच

गाली माँ की हो या माँ को दी जाए
मुख देने वाले का ही सड़ता है
गाली खाने वाले काम ही क्यों किए जाएँ 
गालियों से भला किसका पेट भरता है

🙊🙉🙈

आपकी भाषा बता देती है की आप कितने सनातन संस्कारी हो
Your language tells how civilized you are
आपका लहज़ा आपकी दिमागी हक़ीक़त बयान कर देता है
Your tone highlights your current status
खुदाया, कब तक छिपाओगे ख़ुद को ख़ुद की खुदी से
Gosh, until when will you hide your ego from yourself
सुना है, ख़ुदा शब्दों से ज़्यादा नीयतों की नमाज़ सुनता है
I have heard that God pays more attention on deeds and intent than mere words

Monday, September 1, 2025

बुरहानपुर स्टेशन

https://youtu.be/DrFD-JDCGT8?si=L8-f0Q5JoPLJka1B

*महज़ एक स्टेशन नहीं था वो स्टेशन:*

यादें साधु और पान-पट्टी की आज भी जवान हैं वहाँ...

चाय-कचौरी के लाजवाब स्टाल की सुगंध तड़पाती है आज भी...

पापा और उनके सहकर्मियों का सुट्टा बार भी हुआ करता था वो लालबाग का स्टेशन...
 
पठानकोट एक्सप्रेस और पंजाब मेल के आने-जाने के बीच कराता था चंगी कुड़ियों के दीदार भी वो स्टेशन...

जाने ज़िंदगी में दुबारा कब आएगा हसीन यादों का वो प्राचीन मगर दुर्लभ सा एक स्टेशन...

😜

Tuesday, August 26, 2025

Sleeping with Dog

सुना है, कुत्तों के साथ सोना इंसानी सेहत के लिए अच्छा होता है 
🐶🐕🐶 
कुत्तों के लिए भी तो मालिक के आगे दुम हिलाना जरूरी होता है 
🐶🐕🐶 
सोना अगर मालामाल होने का परिचायक है तो दुम हिलाना वफ़ा का
🐶 🐕🐶
(God is dog spelled backwards)
ये महज़ इत्तेफ़ाक नहीं, संकेत इसमें पवित्र साथी का भी होता है
🐶🐕🐶

पता नहीं..
शोले का वीरू फिर बसंती को कुत्तों के सामने नाचने से मना क्यों करता है
🤔🤔🤔
पता नहीं..
बसंती जब उसकी नहीं सुनती तो वीरू कुत्तों का खून पीने की बात क्यों करता है


🙈🙉🙊

Tuesday, August 19, 2025

जिस्म और रूह

#रूह 

जिस्म को जिस्म की ही जरूरत होती है
जिस्म चाहने वाला जिस्म ही तलाशता है

रूह को रूह की ही जरूरत होती है
रूह रुह को ही तलाशती है

जिस्म उपरी तौर पर ही प्रेम करता है.. मगर..
रूह रुह की गहराई में उतर जाती है

जिस्म से प्रेम करने वाले अक्सर ही धोखा
दे जाते हैं…
मगर… रूह से प्यार करने वाले ही रिश्ता
निभा जाते है..

✍️🌹 ©अनीता अरोड़ा


#जिस्म और रूह

जुदाई का आलम नहीं जानते जिस्म हो या रूह
खुदी को कबूल ले ख़ुदा की खुदाई की तरह

ज़िंदा जिस्म में ही ज़िंदा रहती है कोइ भी रूह
हाँ...दिखाई नहीं पड़ती वो भी मन ही की तरह

साँसों के दम पर ज़िंदगी होती मौत से रू-ब-रू
रूह-जिस्म संग जीते-मरते हैं प्रेमियों की तरह

दो में से एक को चुनता नहीं कोई भी सुर्खरू
चुनाव पक्षपाती हैं बेबस मतदाता की तरह

तोड़-मरोड़ लो या कर दो उन्हें तुम बेआबरू
रोड़ा अटका रहेगा गुलाब में काँटों की तरह

सुना है के जिस्म दफ़न हो जाते हैं पर मरती नहीं है रूह
जिस्म के बाज़ारों में रूह को मरते हुए देखा है ज़मीरों की तरह 

✍️🌵 ~दीवाना वारसी

Monday, August 18, 2025

काम का संगीत

वो बातें जो तुम्हारी तस्वीरों से अकेले में कहीं करता हूँ ना मैं..
वो बातें तो बस एक दीवाने की नाकाम सी क़वायद होती है 😊
हक़ीक़त में जब तुम्हारी नज़रों से नज़रें चार करता हूँ ना मैं..
काम की बात नहीं बस ऊलजुलूल सी एक बकवास होती है 😊 

नज़रें मिलती हैं तो बात नहीं कर‌ पाता हूँ मैं...
दो काम एक साथ नहीं ना कर पाता हूँ मैं 😜

गा कर ही कहूंँगा कभी मैं तुझसे अपने दिल की बात..
यूँ तो लड़खड़ा जाती है ज़ुबान जब कुछ कहने जाता हूँ मैं 😜

संगीत ही करेगा मदद
बदन तेरा होगा साज़ 
होंठ करेंगे अपना काज
उंगलियाँ थिरक उठेंगी
संगीतमयी होगी आग
🔥 🔥 🔥
आँखें देखेंगी तेरा गुलबदन
स्पंदित होगा नाच
चंदन सा बदन, चंचल चितवन
प्रेम का दर्द, मीठा स्वाद
😋 😋😋

रंगमंच और रंगकर्मी

दुनिया एक रंगमंच है और इस रंगमंच ने हमें सबकुछ भरपूर, अनायास और बेशक दिया है..

मेरा-तेरा, अपना-पराया, ये-वो के द्वैत से ऊपर उठकर जो देखो तो साफ दिखाई पड़ता है..
 
की..

मालिक ने दो आलमों पर मालकियत जताने का हक़ तो शायद ख़ुद को भी नहीं दिया है..
🪔 
अप्पो दीपो भवः

Thursday, July 31, 2025

नज़र नज़र की बात है जी...


[7/31, 10:00 AM] 
Salim: Kya dekhte ho darling..?? 😜

[7/31, 10:20 AM] 
Manish Badkas:
जब भी गतिमान मोबाइल कैमरे की आँख में झांँककर देखता हूँ तो वहीं पुराने दिन, खूबसूरत पलछिन, बचपन के यार, हँसी-ठिठोली, वो पहला प्यार, वो बहार, वो दुलार, वो जीत, वो हार, वो मरासिम, वो तकरार, वो...
वही रंगीन नज़ारे, वही मैदान, वही ज़लज़ले नज़र आते हैं, सलीम भाई...,

स्थाई आईने की नज़र से देखता हूँ तो लगता है कितना बदल गया है ना सबकुछ - मैं, मेरे आस-पास के लोग, मेरी तमन्नाएंँ-मेरी ख्वाहिश, मेरा चेहरा, मेरे सपने, मेरा समाज, सामाजिक वातावरण, और भी बहुतकुछ...
पर दिल अब भी वैसा ही नादान बच्चे जैसा नज़र आता है, सलीम भाई..!!

(मोहम्मद सलीम मेरे बचपन के यार, मेरे सहपाठी, मेरे जिगरी दोस्त हैं)

Tuesday, July 8, 2025

याद है..??

मनाया तो था तुम्हें पर वैसे नहीं जैसे तुम मानती हो
शायद तुम्हें याद नहीं..

नखरे भी उठाए थे हमने तुम्हारे पर कभी गिनाए नहीं
शायद तुम्हें याद नहीं..

हाथ थामा और हक़ जताया तो तुम उसे व्यभिचार समझीं 
शायद तुम्हें याद नहीं..

सुलझाने वाला खुद ही तुम्हारी रेशमी बातों में उलझ गया
शायद तुम्हें याद नहीं..

https://x.com/WeYoSahitya/status/1941776632630386746



Sunday, June 1, 2025

अंतरात्मा की आवाज


उसकी जुल्फों से आती है dove शैंपू की भीनी-भीनी खुश्बू...,
मेरी हसीन माशुका मुझे बूढ़ा नहीं होने देती..!!

पचपन में भी दिखा देती है मुझे मेरा बचपन....,
मेरी नादानियांँ मुझे जवान नहीं होने देती..!!

पचास के मोड़ पर भी वो लगती है कमसिन...,
मेरी दीवानगी मुझे बुजुर्ग नहीं होने देती..!!

नस नस और अंग प्रत्यंग में दौड़ता है लहू...,
तन बदन की आग होश में रहने नहीं देती..!!

ख्वाबों में आ आ कर तड़पाता है जोबन...,
मचलते अरमान रात भर सोने नहीं देते..!!

मनी के मनु में भर देती है वो उमंग और उत्साह...,
मेरी अंतरात्मा मुझे बुढ़ापा महसूस होने नहीं देती..!!
                          ~ दीवाना वारसी

Sunday, March 16, 2025

नोक-झोंक


वो शे'र ही क्या जिसमें नोक-झोंक न हो
वो ज़िंदगी क्या जिसमें जोक-शौक न हो

मेरी चुहलबाज़ी को मेरी पहल समझते हैं वो
वो आशिक़ी क्या जिसमें नोक-झोंक न हो

छेड़खानियाँ मेरी अब भी चौंका देती है उन्हें
वो मुहब्बत क्या जिसमें रोक-टोक न हो

आप ही की तस्वीर है इन आँखों में 😍
कभी निहारती है टुकुर टुकुर चुपके से 🫣
तो कभी बंद हो जाती है हौले से 😜
शर्मा जी से करीबी रिश्ता है इनका 🫣
मिलते ही गले जो पड़ जाती हैं वो 🤗

हँस देती हैं वो मेरी हर बात पर 
वो दोस्ती क्या जिसमें हँसी-मज़ाक न हो

खिलखिला उठती है वो दोस्ती के नाम पर 
वो रिश्ता क्या जिसमें लोक-लाज न हो

रोके रखती है वो ख़ुद को डूब जाने से
वो हसरत क्या जिसमें जज़्बात न हो

कुछ नहीं कहकर सबकुछ कह देती है वो
वो बात ही क्या जो बेबाक न हो

ज़िंदादिली पर लगा है आवारापन का ठप्पा
वो दिलदार क्या जो दिलफेंक न हो

Tuesday, January 28, 2025

ज़िंदगी, आशा और उम्मीद


"सुना है कहीं की हर एक की ज़िंदगी में एक ऐसा वक्त आता है जब उसे फैसला लेना होता है कि पन्ना पलटना है या किताब बंद करनी है"

किताब पढ़ते वक्त पन्ने पलटना होते हैं
पन्ने पलटते वक्त अश'आर अधूरे से होते हैं
किताब बंद करते वक्त एक पन्ना मोड़ देता हूँ 
बंद किताब खुलते ही जिंदा जो हो जाती है

आशा करता हूँ कि उम्मीद पूरी होगी

आशा और उम्मीद में अंतर यह है कि आशा सिर्फ़ इच्छा है, जबकि उम्मीदें मांग करती हैं. उम्मीदें अक्सर किसी तर्क पर आधारित होती हैं, जबकि आशा के लिए किसी तर्क की ज़रूरत नहीं होती।

ज़िंदगी एक अज्ञेय, एक अबूझ किताब सी लगती है, ए दोस्त,
पन्ने पलटते पलटते अध्याय बदल जाते हैं...

एक अध्याय खत्म होते ही दूसरा अध्याय शुरू हो जाता है...

एक कहानी या किताब पूरी होते ही कई अनुत्तरित सवाल छोड़ जाती है...

बस, उन्हीं सवालों के जवाब खोजने हेतु एक नई किताब फिर खुल जाती है...

ज़िंदगी एक ऐसी अदभुत और अविश्वसनीय किताब जो कभी ख़त्म नहीं होती...

Wednesday, January 22, 2025

मौसम और मिजाज़

दिल तड़पता रहा हम तड़पते रहे
सारी रात चांद को तकते रहे 
तेरी याद में सोये नही रातभर
सितारों से ही बातें करते रहे..

सुबह हुई तेरे नाम से
आँखों के एहतराम से
सलाम किया जज़्बातों ने
दिन कटेगा सपनों में..

दोपहर की बात ना कर
आठों पहर ये कहर
शाम के करवट लेते ही
फिर वही रात का सफर..

तुम्हारे साथ मौसम फरिश्तों जैसा
तुम्हारे बिना वही मौसम गमगीन
जादू तुम्हारा है मोहब्बत जैसा
तुम जो हसीन तो समा भी रंगीन..

अनकही बातें


बहुत कुछ पा लिया लेकिन अधूरापन नही भरता... किसी से ऊब जाते है...किसी से मन नही भरता...

एक सिलसिले की उम्मीद थी जिनसे वही फासले बढ़ाते चले गए..
हम तो पास आने की कोशिश में थे जाने क्यूं वही दूरियां बढ़ाते गए..

Wednesday, January 1, 2025

Happy New Year

स्वीकार करो या मत करो
जो है, जैसा है, वैसा है
वो तो है...
ऐसा हो, वैसा हो, तो जाने कैसा हो
ऐसा होना चाहिए, वैसा होना चाहिए
समय को हर बिंदु पर ध्यान देना चाहिए...
ऐसा होता तो कैसा होता,
वैसा होता तो कैसा होता,
इन सब मनोकामनाओं के पार...
जैसा है, वैसा है
सतत् है, अमर है, सनातन है...
अब तुम्हारा मन उसे अंग्रेजी वर्ष कहकर
स्वीकार करे या ना करे
वो तो है...
जैसा है, वैसा है 
😜🫶😜
Happy Happy 2025 💯
Be happy - Stay happy 😊 
Let happiness come without a Y 💓